Bank Update : अब बैंक डूबने पर 5 लाख नहीं, इतना पैसा मिलेगा वापस, सरकार का बड़ा बदलाव
Bank Update : बैंक जमाकर्ताओं के धन की सुरक्षा बढ़ाने पर केंद्र सरकार विचार कर रही है. वर्तमान में, DICGC अधिनियम के तहत, बैंक दिवालिया होने पर जमाकर्ताओं को पांच लाख तक की बीमा सुरक्षा मिलती है. लेकिन अब सरकार इस बीमा कवर को बढ़ाने पर विचार कर रही है...ऐसे में इस अपडेट से जुड़ी पूरी जानकारी जानने के लिए इस खबर को पूरा पढ़ लें-

HR Breaking News, Digital Desk- (Bank Customers) केंद्र सरकार बैंक जमाकर्ताओं के धन की सुरक्षा बढ़ाने पर विचार कर रही है. वर्तमान में, DICGC अधिनियम के तहत, बैंक दिवालिया होने पर जमाकर्ताओं को ₹5 लाख तक की बीमा सुरक्षा मिलती है. सरकार इस बीमा कवर को बढ़ाने पर विचार कर रही है, जिससे डूबने की स्थिति में अधिक धन सुरक्षित हो सके. यह कदम बैंक में जमा धन की सुरक्षा को मजबूत करेगा.
जमा बीमा की सीमा पांच लाख रुपये से बढ़ाने पर विचार-
वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम. नागराजू ने घोषणा की है कि सरकार जमा बीमा की सीमा को वर्तमान ₹5 लाख से बढ़ाने पर गंभीरता से विचार कर रही है. यह कदम न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक (New India Co-operative Bank) में कथित घोटाले के बाद उठाया जा रहा है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) की उपस्थिति में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, नागराजू ने पुष्टि की कि बीमा सीमा बढ़ाने पर सक्रिय रूप से काम किया जा रहा है.
जैसे ही सरकार मंजूरी देगी, हम इसकी अधिसूचना जारी कर देंगे हालांकि, नागराजू ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के संकट पर कुछ भी टिप्प्णी करने से इनकार कर दिया और कहा कि इस मामले को भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) देख रहा है। जमा बीमा दावा तब शुरू होता है जब कोई ऋणदाता डूब जाता है.
पिछले कुछ वर्षों में निक्षेप बीमा व प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) ऐसे दावों का भुगतान करता रहा है. यह निकाय अपने द्वारा प्रदान किए जाने वाले ‘कवर’ के लिए बैंकों से प्रीमियम एकत्र करता है और अधिकतर दावे सहकारी ऋणदाताओं (co-operative lenders) के मामले में किए गए हैं. गौरतलब है कि कि पीएमसी बैंक घोटाले के बाद डीआईसीजीसी बीमा (DICGC Insurance) सीमा 2020 में एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दी गई थी.
आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने कहा कि सहकारी बैंकिंग क्षेत्र आरबीआई (Cooperative Banking Sector RBI) की निगरानी में अच्छी तरह विनियमित है. उन्होंने क्षेत्र की समग्र स्थिति को मजबूत करार दिया. उन्होंने कहा कि किसी एक इकाई में संकट आने से किसी को भी पूरे क्षेत्र पर संदेह नहीं करना चाहिए. दोषी इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई करना नियामक का काम है. खबरों के अनुसार, न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के 1.3 लाख जमाकर्ताओं में से 90 प्रतिशत की पूरी रकम डीआईसीजीसी के अंतर्गत आएगी.
बैंक में 122 करोड़ रुपये की नकदी का घोटाला भौतिक जांच में सामने आया. जांच में पता चला कि बैंक के महाप्रबंधक-वित्त हितेश मेहता ने बही-खाते में दर्शाई गई राशि में से एक बड़ी रकम स्थानीय बिल्डर को कथित तौर पर दे दी थी. यह घोटाला बैंक के वित्तीय प्रबंधन में गंभीर अनियमितताओं को उजागर करता है.