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CIBIL Score : कैसे कैलकुलेट होता है आपका सिबिल स्कोर, कंपनी ने खुद दी जानकारी

How is CIBIL score calculated : जब बात लोन की आती है तो हर कोई सिबिल स्कोर चेक करता है। क्योंकि लोन लेने के लिए आपका सिबिल स्कोर का अच्छा होना बहुत जरूरी होता है। जितना ज्यादा सिबिल स्कोर (CIBIL Score) होगा इतना ही सस्ता और आसानी से लोन मिलेगा। लेकिन अब सवाल ये उठता है कि आखिरी सिबिल स्कोर को कैसे कैलकुलेट किया जाता है। चलिए नीचे खबर में समझते हैं - 

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CIBIL Score : कैसे कैलकुलेट होता है आपका सिबिल स्कोर, कंपनी ने खुद दी जानकारी

HR Breaking News - (ब्यूरो)। जब भी आपको पैसों की जरूरत पड़ती है और लोन लेने के लिए बैंक के पास जाते हैं तो वहां सबस पहले आपका सिबिल स्कोर चेक किया जाता है सिबिल स्कोर को क्रेडिट स्कोर भी करते हैं यह एक तरह से  आपका फाइनेंशियल रिपोर्ट कार्ड होता है। बता दें कि सिबिल स्कोर (CIBIL Score) 300 से 900 के बीच तीन अंकों की संख्या होती है, लेकिन 750 तक या इससे ऊपर के स्‍कोर को ही अच्‍छा माना जाता है।

सिबिल स्कोर को बिगाड़ना और सुधारना आपके हाथ में होता है। बेहतर तरीके से ट्रांजेक्शन कर के आप इसे बढ़ा सकते हैं। लेकिन इसके लिए आपको सबसे पहले यह जानने की जरूरत है कि आखिर सिबिल स्कोर को कैलकुलेट (Cibil Calculation) कैसे किया जाता है। यह 4 प्वाइंट के आधार पर कैलकुलेट होता है। 

पेमेंट हिस्ट्री होगी चेक -

आपकी पेमेंट हिस्ट्री (payment history) सिबिल स्कोर के कैलकुलेशन में सबसे बड़ा रोल निभाती है इसमें देखा जाता है कि आपने कितने पेमेंट का भुगतान समय पर किया है यदि अपने कोई किस्त दे से भरी है तो कितनी बार कितनी देरी की। इसके साथ ही ये भी देखते हैं आपने कितनी बार किस्त को बाउंस (EMI bounced) किया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इन सभी चीजों का सिबिल स्कोर कैलकुलेशन में पर लगभग 30 प्रतिशत तक असर पड़ता है। 

क्रेडिट एक्सपोजर -

अब बात आती है क्रेडिट एक्सपोजर (credit exposure) की। इसमें यह देखा जाता है आपका कुल आउटस्टैंडिंग कितना है, आपके नाम पर कितना क्रेडिट या कर्ज (Loan News) हैं और आपने उसमें से कितना हिस्सा उपयोग कर लिया है। सिबिल स्कोर के कैलकुलेशन में इसकी हिस्सेदारी 25 प्रतिशत की होती है। 

अनसेक्योर्ड लोन और सेक्योर्ड लोन की होगी गिनती - 

इसके अलावा, सिबिल स्कोर का कैलकुलेशन (Calculation of CIBIL Score) करते समय यह भी देखा जाता है कि आपके जो लोन हैं वह किस तरह का है। इसमें ये भी चेक किया जाता है कि कितने अनसेक्योर्ड लोन (Unsecured Loan) हैं और कितने सेक्योर्ड लोन (Secured Loan) हैं। जितने अधिक सिक्योर्ड लोन हैं, उतना ही आपका सिबिल स्कोर अच्छा होता है। इसके साथ ही यह भी देखा जाता है कि उन लोन की अवधि क्या है। इन सभी चीजों का सिबिल स्कोर की कैलकुलेशन पर 25 प्रतिशत असर पड़ता है। यदि इसमें से कुछ भी गड़बड़ पाई जाती है। तो आपका सिबिल स्कोर डाउन आ सकता है। 

सिबिल स्कोर की कंपनी ने दी जानकारी - 

इस कैलकुलेशन में बचे हुए 20 प्रतिशत में आपकी लोन से जुड़ी अन्य एक्टिविटीज को देखा जाता है। इसमें यह चेक किया जाता है कि आपने हाल ही में कितने लोन लिए हैं यानी आपके नाम पर कितने लोन अकाउंट खुले और बंद हुए हैं। इसके अलावा आपका क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो (Credit Utilization Ratio) भी देखा जाता है। जानकारी के लिए बता दें कि आपका क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो 30 से 40 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए। इन सभी फैक्टर्स के बारे में सिबिल स्कोर की कंपनी ने अपनी वेबसाइट पर विस्तार से जानकारी दी है।