CIBIL Score New Rule 2025 : सिबिल स्कोर को लेकर रिजर्व बैंक ने जारी किया बड़ा आदेश, लोन लेने वाले करोड़ों लोगों को होगा फायदा
CIBIL Score New Rule 2025 : हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से सिबिल स्कोर को लेकर बड़े आदेश जारी किए गए है. जिसके चलते लोन लेने वाले करोड़ों लोगों को फायदा होगा.... आरबीआई की ओर से जारी इस नई गाइडलाइन से जुड़ी पूरी जानकारी जानने के लिए इस खबर को पूरा पढ़ लें-
HR Breaking News, Digital Desk- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने होम, पर्सनल और ऑटो लोन लेने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला किया है. अब सिबिल स्कोर की जानकारी रियल टाइम में अपडेट करनी होगी, जो पहले 15 दिन में एक बार होती थी. आरबीआई के इस कदम से कर्जदारों को बड़ा फायदा होने की उम्मीद है. यह बदलाव उन्हें अपनी क्रेडिट स्थिति की तुरंत और सटीक जानकारी देगा.
आरबीआई (Reserve Bank of India) के डिप्टी गवर्नर एम. राजेश्वर राव ने ट्रांसयूनियन सिबिल (TransUnion CIBIL) जैसी क्रेडिट सूचना कंपनियों (CICs) से पाक्षिक (15 दिन) के बजाय वास्तविक समय (रियल-टाइम) में डेटा साझा करने का आग्रह किया है. सिबिल के एक कार्यक्रम में राव ने कहा कि डेटा (data) के तीव्र आदान-प्रदान से प्रणाली में विश्वास, दक्षता और पारदर्शिता बढ़ेगी. आरबीआई ने अपनी वेबसाइट पर यह संबोधन जारी किया. इस कदम से ऋण लेने वालों को तुरंत लाभ मिलने की उम्मीद है, क्योंकि इससे उनकी क्रेडिट जानकारी अधिक तेज़ी से अपडेट होगी.
क्रेडिट की लगातार जानकारी जरूरी-
राव ने कहा कि हमें क्रेडिट सूचना के बारे में अधिक और लगातार जानकारी की उम्मीद करनी चाहिए. वास्तविक समय या लगभग वास्तविक समय पर क्रेडिट सूचना मिलने से जोखिम आकलन की परिशुद्धता बढ़ेगी, ऋण खाते को बंद करने या पुनर्भुगतान जैसी उधारकर्ता गतिविधियों को दर्शाने में मदद मिलेगी और उपभोक्ता (consumer) का अनुभव भी बेहतर होगा. इस अवसर पर राव ने यह माना कि प्रौद्योगिकी, प्रक्रिया पुनर्रचना और परिवर्तन प्रबंधन में निवेश होने से इसमें लागत आएगी लेकिन यह राशि उससे होने वाले फायदों से कहीं कम होगी.
क्रेडिट संस्थानों पर ज्यादा निर्भरता-
डिप्टी गवर्नर ने कहा कि इस मामले में एक अन्य प्रमुख चुनौती पहचान मानकीकरण की है. सीआईसी सटीक और मान्य पहचान देने के लिए क्रेडिट संस्थानों पर निर्भर है. इसके बिना दोहराव और गलत रिपोर्टिंग का जोखिम बना रहता है. आरबीआई के डिप्टी गवर्नर ने जटिल कृत्रिम मेधा (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) मॉडल के इस्तेमाल से मॉडल संबंधी जोखिम को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि इनका पूरी तरह परीक्षण, सत्यापन या पूर्वाग्रहों और प्रदर्शन में उतार-चढ़ाव के लिए निगरानी नहीं होने से समस्या होती है.
डिफॉल्ट से निपटने के लिए जरूरी-
बैंकिंग प्रणाली (Banking System) में बढ़ते जोखिमों के बीच, डिप्टी गवर्नर ने बैंकों को डिफ़ॉल्ट (Default) से निपटने के लिए मजबूत तैयारी करने की आवश्यकता पर बल दिया है. उन्होंने कहा कि मौजूदा मॉडलों में कड़े सत्यापन, निरंतर निगरानी और मजबूत शासन की आवश्यकता है ताकि वे निष्पक्ष, पारदर्शी और नियामक व नैतिक मानकों के अनुरूप बने रहें. इन उपायों के बिना, बैंकों के लिए बढ़ते ऋण विस्तार और बढ़ती मांग के बावजूद अपने ऋण जोखिम को कम करना चुनौतीपूर्ण होगा.
