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Indian Currency : सरकार या RBI, नोट छापने का कौन लेता है फैसला, 90 प्रतिशत लोग नहीं जानते करेंसी जारी करने का पूरा प्रोसेस

Indian Currency Rules : पैसों की किल्लत को देखते हुए आपके मन में भी यह सवाल आता होगा कि सरकार समय पर करेंसी जारी कर कैश फ्लो को क्यों नहीं बढ़ा देती है, लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया या भारत सरकार भी ऐसा नहीं कर सकते। उन्हें भी नियमो का पालन करते हुए नोट छापने (note printing cost) का फैसला लेना होता है। हालांकि आज भी 90 प्रतिशत लोग करेंसी जारी करने के पूरे प्रोसेस के बारे में नहीं जानते हैं।
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Indian Currency : सरकार या RBI, नोट छापने का कौन लेता है फैसला, 90 प्रतिशत लोग नहीं जानते करेंसी जारी करने का पूरा प्रोसेस

HR Breaking News - (Indian Currency Rules)। आरबीआई  (reserve bank of india) द्वारा एक रुपये के नोट को छोड़कर बाकी नोटों को छापने का अधिकार होता है। हालांकि देश में एक साल में कितने नोटों की छपाई करनी हैं इसका आखिरी फैसला भारत सरकार का ही होता है, लेकिन भारत सरकार भी यह फैसला अकेले ही नहीं करती है। उन्हें भी नियमों का पालन करते हुए नोटों की छपाई करने का फैसला लेना होता है। आइए खबर के माध्यम से जानते हैं करेंसी जारी करने का पूरा प्रोसेस क्या है।

जानिए क्या है इसका पूरा प्रोसेस-


दरअसन आपको  बता दें कि देशभर में नए नोट को छापने  (indian note facts) के लिए मंजूरी लेने का प्रोसेस दो स्टेज में पूरा होता है। इसके पहले स्टेज में आरबीआई केंद्र सरकार को नोट छापने के लिए एक आवेदन भेजती है। इसके बाद सरकार की ओर से आरबीआई के ही वरिष्ठ अर्थशास्त्रियों के एक बोर्ड से इस बारे में बात-चीज की जाती है। उसके बाद ही रिजर्व बैंक (india rupees making cost) को नोट छापने की मंजूरी दे दी जाती है।

कौन तय करता है कि एक साल में कितने छपेंगे नोट-


हालांकि देखा जाए रतो नोट छापने (Rules for printing notes) के मामले में आखिरी फैसला सरकार ही लेती हैं और सरकार ही तय करती है कि एक साल में कितने रुपये के कितने नोट छापे जाएंगे, लेकिन ऐसा करने के लिए नियमो का पालन करना होगा। नए नोटों का डिजाइन और सुरक्षा मानक भी सरकार के द्वारा ही तय किया जाता है। वहीं आरबीआई 10,000 रुपये तक के नोट छापने का अधिकार भी रखती है। अगर आरबीआई को इससे बड़े नोट छापने हैं तो इसके लिए रिजर्व बैंक (indian currency)  को सरकार से मंजूरी लेनी होती है।

नोट छापते समय गौर करने वाली बातें-


सरकार और RBI (indian currency facts) को कई मानकों का ध्यान में रखते हुए नोट छापने का फैसला लेना होता हैं। इन मानकों में जीडीपी, विकास दर और राजकोषीय घाटे आदि को देखा जाता है। इन्हीं के आधार पर नोटों की छपाई की जाती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि साल 1956 में मिनिमम रिजर्व सिस्टम की शुरुआत की गई थी,

जिसके तहत आरबीआई को नोट छापने के लिए हमेशा 200 करोड़ का रिजर्व रखना ही होता है। इस 200 करोड़ के रिजर्व (indian currency printing rules) में 115 करोड़ का सोना और 85 करोड़ रुपये की फॉरेन करेंसी होनी चाहिए। यि रिजर्व इसलिए रखा जाता है ताकि किसी भी हालात में आरबीआई (Reserve bank of india) बैंक को डिफॉल्ड ना घोषित करना पड़े।

कहां होती है नोटों की छपाई-


अब कई लोग इस बारे में सोच रहे होंगे कि आखिर इन नोटों  (indian currency rules) की छपाई होती कहां है तो आपको बता दें कि भारत में नासिक, देवास, मैसूर और सालबनी में नोटों की छपाई होती है। नोट छपने के बाद ये नोट बैंकों को बांट दिए जाते हैं। उसके बाद बैंक इन नोटों  (RBI note printing rules)को अलग अलग तरीके से जनता तक पहुंचा देती है। उसके बाद ये नोट कई सालों तक सर्कुलेशन में रहते हैं। 

कैसे होता है नोट रिईश्यू- 


जेसे ही ये नोट लोगों के पास सर्कुलेट (Note Circulation) होते होते ये नोट घिसते भी रहते हैं। उसके बाद ग्राहकों द्वारा इनको फिर से बैंकों में ले जाकर जमा किया जाता है। उसके बाद बैंकों के पास से वापस ये नोट आरबीआई के पास पहुंचते हैं। जिसके बाद आरबीआई (Reserva bank of india) की ओर से इनकी स्थिति को देखकर इनको दोबारा से ईश्यू करना है या फिर नष्ट कर देना है, इस बात का फैसला लिया  जाता है।