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Business Idea : इस व्यक्ति ने बदल दी किसानों की किस्मत, अब कमा रहे हैं लाखों

How To Start A Business : भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां किसानों को भगवान का दर्जा दिया जाता हैं। किसान चाहे तो बंजर जमीन में भी सोना उगा सकता है। ऐसा ही कुछ तमिलनाडु के रहने वाले इस किसान ने कर दिखाया है। जानिए कैसे ये बंजर जमीन से लाखों रुपये कमा रहे हैं
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HR Breaking News (ब्यूरो) : कृषि के प्रति सिर्फ सोच बदलने की जरूरत होती है, क्योंकि आपकी एक बेहतर सोच सिर्फ आपका ही आपके साथ-साथ कई किसानों की तकदीर बदल सकता है. तमिलनाडु के रहने वाले निर्मल राघवन ने इस कथन को चरितार्थ कर दिखाया है. दुबई में रहकर काम करने वाले निर्मल की सोच तब बदली जब उन्होंने शक्तिशाली चक्रवाती तूफान गाजा का सामना किया. उन्होंने इस तूफान की तबाही देखी. इसके बाद उनके दिमाग में एक आइडिया आया जिसने तूफान प्रभावित इलाके के किसानों की जिंदगी बदल दी. आज सभी किसान बेहतर कमाई कर रहे हैं.

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दुबई में रहकर काम करते थे राघवन


साल 2018 में निर्मल राघवन दुबई से तमिलनाडु स्थित अपने गांव आये थे. राघवन दुबई में काम करते थे. हालांकि गांव आने के बाद राघवन ने यह नहीं सोचा था कि बंगाल की खाड़ी में उठने वाला तूफान उनकी जीवन की दिशा को ही बदल देगा. नारियल की खेती करने वाले किसानों को धान और गन्ने की खेती करने के प्रोत्साहित करेंगे और निर्मल राघवन किसानों के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.

चक्रवाती तूफान ने बदल दी सोच


दरअसल 16 नवंबर, 2018 को, जब राघवन तंजावुर जिले के पेरावुरानी शहर में अपने गांव नदियाम में आराम कर रहे थे, तभी उनके गांव में शक्तिशाली चक्रवात गाजा टकराया था. तूफान ने भारी तबाही मचायी थी. हजारों घर नष्ट हो गए, लाखों बिजली के खंभे क्षतिग्रस्त हो गए और डेल्टा क्षेत्र में लगभग एक करोड़ नारियल के पेड़ उखड़ गए.  इस दौरान तंजावुर जिले के ओरथनाडु, पट्टुक्कोट्टई और पेरावुरानी में काफी तेज हवाओं ने काफी तबाही मचायी थी. बता दें कि यह तीनों क्षेत्र नारियल की खेती के लिए जाने जाते थे, जो यहां के 80 प्रतिशत परिवारों की आजीविका का स्रोत था.

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दी जरूरी जानकारी


चक्रवात के विनाशकारी प्रभाव को देखने के बाद, राघवन ने अपनी नौकरी छोड़ दी और राहत कार्य में लग गए. इन राहत प्रयासों के दौरान राघवन ने महसूस किया कि क्षेत्र के किसान नारियल की खेती पर अत्यधिक निर्भर थे और धान और गन्ना जैसी बेहतर उपज वाली फसलों की अनदेखी कर रहे थे. राघवन बताते हैं कि इसके बाद उन्होंने उन किसानों को वापस धान और गन्ना की खेती में लाने का फैसला किया. पर इलाके में पानी की कमी एक गंभीर चुनौती थी.  इसलिए सबसे पहले उन्होंने इलाके में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने का मन बनाया और वहां पर मौजूद झील के कायाकल्प करने के लिए कदम उठाए. राघवन ने अपने पुराने मित्रों के साथ मिलकर इलाके में स्थायी खेती के विकास के विए कदईमदई क्षेत्र एकीकृत किसान संघ कैफा का गठन किया.

इसके बाद कैफा की टीम ने पानी की कमी को पूरा करने के लिए सबसे पहले पेरावुरानी में 565 एकड़ के पेरियाकुलम (बड़ी झील) की सफाई की और झील को जिंदा कर दिया. आज इसका फायदा यह हुआ है कि इस झील के पानी 6,000 एकड़ से अधिक जमीन में सिंचाई हो रही है. कैफा की जलसंरक्षण के प्रयासों का फायदा हुआ कि क्षेत्र का भूगर्भ जल स्तर जो कभी 300 से 400 फीट नीचे था आज बढ़कर 40 फीट हो  गया है. इससे उत्साहित राघवन और उनकी टीम ने इलाके के अन्य जलाशयों में काम करना शुरू किया.

आज, KAIFA टीम, जिसने तंजावुर, थिरुवरूर, नागपट्टिनम, पुदुक्कोट्टई और शिवंगगई जिलों में अपनी गतिविधियों का प्रसार किया है, टीम 95 झील का कायाकल्प कर रही है. वो प्रत्येक झील से गाद की सफाई करते हैं, उनको गहरा करते है और उसमें पानी भरे इसका पूरा ख्याल रखा जाता है. इसके साथ ही झील के बीच में देसी पेड़ लगकर एक झील तैयार करते हैं. कैफा टीम ने स्थानीय लोगों के सहयोग से अब तक 650,000 पौधे लगाए हैं. अब इलाके के किसानों को पानी मिल रहा है. इसलिए अब किसान धान और गन्ना की खेती कर रहे हैं.