Success Story: सिर से मां-बाप का साया उठने के बाद भी नहीं मानी हार, बनकर दिखाया IAS
HR Brewaking News, Digital Desk- आज की सक्सेस स्टोरी में मिलिए उस लड़की से जिसने तमाम परेशानियों के बीच अपनी हिम्मत बनाए रखी और मुकाम हासिल किया. यूपीएससी का सिविल सर्विस एग्जाम पास करने वाली हर हस्ती की अपनी एक प्रेरणादायक दास्तां है. इस दास्तां में आप रूबरू होंगे 577 वीं रैंक हासिल करने वाली देहरादून की डॉक्टर मोनिका राणा से.
मोनिका उत्तराखंड में देहरादून जिले के गांव नाडा- लाखामंडल की हैं. मोनिका बचपन से ही पढ़ाई में होनहार थीं. माता-पिता का सपना था बेटी एक दिन प्रशासनिक अधिकारी बनेगी. पिता का सपना था उन्हें अधिकारी बनते देखें. 5वीं तक की शिक्षा दून के स्कॉलर्स होम से ली. छठी से 12वीं तक की पढ़ाई सेंट जोसेफ स्कूल हुई. पर ज़िंदगी ऐसे ही कहां चलने वाली थी. मोनिका की ज़िंदगी में 'पहाड़ टूटने सा' हादसा हुआ. पिता गोपाल सिंह राणा और मां इंदिरा राणा की साल 2012 में सड़क दुर्घटना में मौत हो गई. परिवार बिखर गया. बहन दिव्या राणा ने उनका हौसला बढ़ाया. वे दिल्ली के यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया में मैनेजर हैं.
MBBS की पढ़ाई-
2015 में मोनिका मद्रास मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई करने लगीं. लेकिन मम्मी पापा को खोने के बाद उनके पास एक ही लक्ष्य था, पढ़ाई कर मां-बाप के हर सपने को पूरा करना. तभी वे यूपीएससी की तैयारी करने लगीं. एग्जाम दिया लेकिन 2015 और 2016 में सफल नहीं हो पाई. वेदांता कोचिंग सेंटर से कोचिंग की. दिल्ली के श्रीराम सेंटर से कोचिंग कर 2017 यूपीएससी एग्जाम में 577वीं रैंक पाकर सफलता प्राप्त की.
मिली 577वीं रैंक-
2017 यूपीएससी एग्जाम का रिजल्ट 2018 में आया था जिसमें कुल 990 कैंडीडेट्स पास हुए थे. इन पास हुए कैंडीडेट्स में 750 पुरुष और 240 महिलाएं थी. 577वीं रैंक पाने वाली मोनिका राणा (MONIKA RANA) का रोल नंबर 0044251 था.
कामयाब होने पर सभी ने बधाई दी. लेकिन मोनिका की नज़रें माता-पिता को तलाश रही थीं. जब बेटी ने उनका सपने सच कर दिखाया तो वे उस लम्हे को जीने के लिए थे ही नहीं. बेटी को अफ़सर बन खुद के पैरों पर खड़े होते देखना उनकी किस्मत में नहीं था. मोनिका चाहतीं तो मां-बाप के जाने के बाद हार मानकर अपनी नियति को कोसतीं. लेकिन उन्होंने मेहनत कर यह मुकाम हासिल किया.