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Success Story - बेटे की पढ़ाई के लिए पिता को बेचना पड़ा था घर, आज बेटा बना बड़ा अफसर

माता-पिता अपने बच्चों को कामियाब करने के लिए क्या कुछ नहीं करते है। हर मां-बाप चाहता है कि एक दिन उसका बेटा बड़ा अफसर बनें। आज हम आपको एक ऐसे पिता की कहानी बताने जा रहे है जिन्होंन अपने बेटे को अच्छी शिक्षा देने के लिए अपने घर को बेच दिया था। आज उसी बेटे ने मेहनत कर अपने पिता का नाम रोशन किया है और बन गया है बड़ा अफसर। 
 
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HR Breaking News, Digital Desk-  यूपीएससी की परीक्षा को पास करने के लिए हर साल लाखों कैंडिडेट्स पढ़ाई करते हैं। देश भर में लाखों की तादाद में बच्चे आईएएस, आईपीएस और आईएफएस बनने के लिए दिन रात मेहनत करते हैं।

कोचिंग संस्थानों में बच्चों की जैसे बाढ़ आई हुई है दिल्ली का मुखर्जीनगर सविल सर्विस कोचिंग हब के तौर पर फेमस हैं। पर क्या आपने पेट्रोल पंप पर काम करने वाले एक डेली मजदूर का बेटा आईएएस बनने की बात सोची है? ये सच है एक गरीब बेटे ने देश का बड़ा अधिकारी बनने का सपना देखा और सच भी कर दिखाया है। 

 हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के इंदौर के रहने वाले प्रदीप सिंह के बारे में है। प्रदीप के संघर्ष की कहानी मिसाल बन चुकी है। प्रदीप के पिता पेट्रोल पंप में नौकरी करते हैं।

प्रदीप के पिता मनोज सिंह ने कहा- मेरी शुरू से ही ये यह इच्छा थी कि अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दूं। इससे वे अपनी जिंदगी में बेहतर कर सकें। प्रदीप ने एक दिन मुझसे कहा कि वह यूपीएससी की परीक्षा देना चाहता है, लेकिन मेरे पास पैसे की कमी थी।

वे अपने बुरे दिनों के बारे में बताते है, बेटे की पढ़ाई के लिए मैंने अपना घर बेच दिया। पिता के अलावा प्रदीप के भाई संदीप एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करते हैं। प्रदीप कहते हैं कि उनके भाई ने ही उन्हें सिविल सेवा की परीक्षा के लिए गाइड किया था।

प्रदीप ने 10वीं और 12वीं दोनों की परीक्षा 81 फीसदी नंबरों के साथ पास की। इसके बाद उन्होंने इंदौर स्थित देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय से बीकॉम किया था। बीकॉम करने के बाद वह सिविल सेवा की परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली आ गए थे।

यूपीएससी में प्रदीप का ऑप्शनल सब्जेक्ट सोशियॉलजी था। प्रदीप ने लगभग एक साल तैयारी की और पहले प्रयास में परीक्षा पास कर ली। प्रदीप के मुताबिक वह रोजाना सुबह 6 बजे उठते थे। इसके बाद वह दोपहर में कुछ देर आराम करने के बाद फिर से पढ़ाई करते थे। इस तरह प्रदीप ने गरीबी और मुश्किलों से लड़ते हुए साल 2018 में यूपीएससी की परीक्षा में 93वीं रैंक हासिल करके पिता का नाम रोशन कर दिया।

वे इस सफलता का क्रेडिट अपने माता-पिता को दिया है। प्रदीप के मुताबिक- एग्जाम में सफल होने की खबर सुनकर मुझे यकीन नहीं हो रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे मैं सपना देख रहा हूं।

उनके मुताबिक- विमिन एम्पारवेंट के लिए लोगों में बिहेवियरल चेंज लाने की कोशिश करूंगा। मैं छोटे से अंश में भी अगर कॉन्ट्रिब्यूशन दे पाऊंगा तो भी बदलाव आएगा। प्रदीप के मुताबिक- हेल्थ, एजुकेशन, लॉ ऐंड ऑर्डर और विमिन एम्पावरमेंट। ये चार चीजें सोसायटी का पिलर हैं। प्रदीप के न सिर्फ सपने बड़े हैं बल्कि इरादे भी बहुत ऊंचे और सेवाभाव के हैं।