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Success Story: बेटे की पढ़ाई के लिए मां-बाप ने गहने तक बेच दिए, बेटे ने IAS बनकर किया सपना पूरा

मां-बाप अपने बच्चों को कामयाब व बेहतर इंसान बनाने के लिए क्या कुछ नहीं करते है। कोई बाप अपने बच्चे की अचछी शिक्षा के लिए दिहाड़ी मजदूरी करता है तो कोई कुछ। आज हम आपको हमारी सक्सेस स्टोरी में एक ऐसी ही कहानी बताने वाले है जिसमें अपने बेटे की पढ़ाई के लिए मां-बाप ने गहने तक बेच दिए और अब बेटे ने आईएएस बनकर अपने मां-बाप का नाम रोशन किया है। 
 
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बेटे की पढ़ाई के लिए मां-बाप ने गहने तक बेच दिए, बेटे ने IAS बनकर किया सपना पूरा 

HR Breaking News, Digital Desk- इंदौर के प्रदीप सिंह ने साल 2018 में UPSC के सिविल सर्विस एग्जाम में ऑल इंडिया 93वीं रैंक हासिल की. प्रदीप ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को दिया है. प्रदीप का कहना है कि उनके माता-पिता ने उनकी सफलता के लिए बहुत संघर्ष किया है. अब उनके संघर्ष को खत्म करने का समय है. मध्य प्रदेश के रहने वाले प्रदीप मूल रूप से बिहार के निवासी हैं और दिल्ली में रहकर पढ़ाई की. प्रदीप के पिता भी मूल रूप से बिहार से ही हैं.

बचपन का सपना हुआ पूरा-


प्रदीप ने बचपन से ही सोच रखा था कि बड़े होकर उन्हें कलेक्टर बनना है. वे कलेक्टर बनकर महिला सशक्तिकरण, महिला सुरक्षा और देश के लिए काम करना चाहते हैं. प्रदीप ने कहा UPSC की परीक्षा पास करने के लिए सिर्फ मन में दृढ़ निश्चय हो, उसके बाद सब मुमकिन है.

ऑल इंडिया 93वीं रैंक-


UPSC में 93वीं रैंक पाने वाले प्रदीप ने दिल्ली में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की. गरीबी में उनके माता-पिता ने बच्चों को पढ़ाने में कोई कमी नहीं छोड़ी. प्रदीप के माता-पिता ने अपनी जरूरतों को किनारे कर अपने बच्चों को पढ़ाया. प्रदीप के पिता 1992 में मध्य प्रदेश आए और यहां उन्होंने पेट्रोल पंप पर नौकरी की.

बेटे के लिए पिता ने बेच दिया मकान-

प्रदीप के पिता ने बेटे को तैयारी करने के लिए दिल्ली भेजने के लिए मकान बेच दिया. तब से परिवार किराए के मकान में रहा. मां ने पढ़ाई जारी रखने के लिए अपने गहने बेचे और गिरवी रखे. दिल्ली जाते वक्त प्रदीप ने मां को भरोसा दिलाया था कि उसका चयन जरूर होगा और हुआ भी. इंदौर डीएवीवी से पढ़ाई करने के बाद प्रदीप दिल्ली गया. वहीं पर अपनी पढ़ाई जारी रखी.