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Success Story- गुदड़ी के लाल का कमाल, अनपढ़ मां-बाप का सपना पूरा कर दिखाया

कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं होता, एक पत्थर तो तबीयत से फेंक कर देख, इन शब्दों का सच कर दिखाया है भीलवाड़ा आरजिया गांव के भैरूलाल ने। जिन्होंने कोटा में अपनी मेहनत के जरिये जेईई-एडवांस एग्जाम में सफलता अर्जित कर अपने अनपढ़ मां-बाप का सपना पूरा किया है।
 
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गुदड़ी के लाल का कमाल, अनपढ़ मां-बाप का सपना पूरा कर दिखाया 

HR BreakingNews, Digital Desk- कोटा के एक कोचिंग इंस्टीट्यूट में पढ़ने वाल भैरूलाल का जीवन भले ही अभावों में गुजरा हो, लेकिन अब उसने जेईई-एडवांस एग्जाम में सफलता हासिल कर कामियाबी की सीढ़ियों पर कदम रख दिया है। भीलवाड़ा के गांव नया आरजिया से ताल्लुक रखने वाला भैरूलाल अपनी आरजिया पंचायत का पहला छात्र होगा जो आईआईटी में प्रवेश लेगा।

भैरूलाल ने जेईई-एडवांस में ओबीसी वर्ग में 1143वीं रैंक प्राप्त की तथा सामान्य श्रेणी में 6750वीं रैंक हासिल की है। भैरूलाल ने इससे पहले दसवीं बोर्ड में 88 प्रतिशत और 12वीं बोर्ड में 83 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे।

मां ने मनरेगा में काम किया-


भैरूलाल ने बताया कि घर में 4-5 बीघा जमीन है। माता-पिता पढ़े लिखे नहीं हैं। पिता गोपाल लाल खेती के साथ-साथ दूध बेचने का भी काम करते हैं। वहीं मां सीमा देवी गृहिणी है। उसने बताया कि पढ़ाई और घर चलाने के लिए मां ने मनरेगा में काम भी किया।

गांव में पिता के परिचित का प्राइवेट स्कूल था, पांचवी तक वहीं पढ़ा। इसके बाद 10वीं तक पढ़ाई करने के लिए आरजिया के सरकारी स्कूल में गया। दसवीं में 88 प्रतिशत आए तो इंजीनियरिंग कर चुके गांव के घनश्याम वैष्णव ने आगे पढ़ने के लिए कोटा जाने का सुझाव दिया।

इसके बाद भैरूलाल को गांव के शिक्षक ही साथ लेकर कोटा आए। यहां एक कोचिंग इंस्टीट्यूट ने भी पारिवारिक स्थिति देखकर आधी फीस माफ कर दी। भैरूलाल ने बताया कि गांव बहुत पिछड़ा हुआ है। हालात ये है कि एक भी व्यक्ति सरकारी नौकरी तक में नहीं है। गांव के आस-पास मूलभूत सुविधाएं भी पूरी नहीं हैं।

भैरूलाल ने बताया कि जेईई-एडवांस में 1143 वीं रैंक के बाद अब आईआईटी से मैकेनिकल या कम्प्यूटर साइंस में बीटेक करना चाहता हूं। प्रशासनिक सेवा में जाने की इच्छा है। इसी को देखते हुए आईआईटी के बाद आईएएस की तैयारी करना चाहता हूं। भैरूलाल अब चाहता है कि गांव में जागरूकता आए और यहां के युवा भी बड़े संस्थानों में पढ़ें और आगे बढ़ें। भविष्य में भैरूलाल की इच्छा है कि वह जीवन में आगे बढ़ते हुए गांव के बच्चों को आगे लाने के लिए प्रयास करे।

कोचिंग इस्टीट्यूट के निदेशक नवीन माहेश्वरी ने बताया कि उनके इंस्टीट्यूट का मकसद यही है कि भैरूलाल जैसी प्रतिभाएं आगे आएं और अपने माता-पिता ही नहीं वरन गांव के सपनों को साकार करें।