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Success Story- पिता को जिंदगी और मौत से लड़ता देख मिली ताकत, छोटी उम्र में बेटी ने बनकर दिखाया IAS

किसी ने बेहद खूबसूरत बात कही है कि "जिनके पास प्रगति करने की शक्ति है, वे बार-बार आने वाली समस्याओं का सामना करना जानते हैं." आज हम आपको एक ऐसी कहानी बताने जा रहे है जिसमें एक बेटी को पिता को जिंदगी और मौत से लड़ते देख मिली ताकत, और छोटी सी उम्र में ही वे बन गई आईएएस अधिकारी.
 
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HR Breaking News, Digital Desk- किसी ने बेहद खूबसूरत बात कही है कि "जिनके पास प्रगति करने की शक्ति है, वे बार-बार आने वाली समस्याओं का सामना करना जानते हैं." ऐसी ही शक्ति और मानसिक मजबूती की मिसाल पेश की है पंजाब के मोगा की रहने वाली आईएएस ऑफिसर रितिका जिंदल (IAS Officer Ritika Jindal) ने.

इन्होंने यूपीएससी की तैयारी के दौरान पिता को दो बार कैंसर होने पर भी हार नहीं मानी और ऐसी स्थिति में पूरे घर की जिम्मेदारी संभालते हुए यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की. हालांकि, मुश्किलें बहुत थी, लेकिन सभी कठियानाइयों का सामना करते हुए रितिका ने परीक्षा के लिए पूरी ईमानदारी से मेहनत कर परीक्षा पास की और आईएएस ऑफिसर (IAS Officer) का पद हासिल किया.

महज 22 साल की उम्र में बनी IAS-


रितिका ने काफी कम उम्र में ही इतना बड़ा मुकाम हासिल कर लिया था. रितिका महज 22 साल की उम्र में ही आईएएस ऑफिसर बन गई थी. बता दें कि आईएएस ऑफिसर बनने का सपना रितिका ने काफी कम उम्र में ही देख लिया था. वो कहती हैं कि वह पंजाब से हैं, जहां का हर बच्चा लाला लाजपत राय और भगत सिंह जैसे महान स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारियों की कहानियां सुनकर बड़ा होता हैं. वह भी उन्हीं कहानियों को सुनकर बड़ी हुई थीं, जिस कारण वह भी देश के लिए कुछ करना चाहती थी. इसी कारण से उन्होंने यूपीएससी परीक्षा देने का निर्णय लिया.

12वीं क्लास में पूरे नॉर्थ इंडिया में किया टॉप-


रितिका का जन्म पंजाब के मोगा में हुआ था. उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई भी वहीं से की थी. बता दें कि रितिका शुरू से ही पढ़ाई में काफी तेज थी, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने कक्षा 12वीं में सीबीएसई बोर्ड में पूरे नॉर्थ इंडिया में टॉप किया था. 12वीं पास करने के बाद रितिका ने दिल्ली के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से ग्रेजुएशन किया और 95 प्रतिशत अंकों के साथ पूरे कॉलेज में तीसरा स्थान हासिल किया.

पहले अटेंप्ट के दौरान पिता को हुआ टंग कैंसर- 


बता दें कि रितिका ने अपने ग्रेजुएशन के दिनों में ही यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी. हालांकि, रितिका के लिए यूपीएससी की तैयारी इतनी आसान नहीं थी, क्योंकि जब वह परीक्षा की तैयारी कर रही थीं तब उनके पिता टंग कैंसर (Oral Cancer) के शिकार हो गए थे और इसी वजह से रितिका की पढ़ाई भी काफी प्रभावित हुई थी. इसी कारण से शायद जब रितिका ने पहली बार यूपीएससी का एग्जाम दिया तो उनके तीनों स्टेज तो क्लियर हो गए थे, लेकिन फाइनल लिस्ट में वह कुछ अंकों से पीछे रह गईं, जिसके बाद उन्होंने दूसरी बार यूपीएससी का एग्जाम देने का फैसला किया. 


दूसरे अटेंप्ट के समय हुआ लंग कैंसर फिर भी क्रैक की UPSC-


रितिका ने अपने दूसरे अटेंप्ट के दौरान जी तोड़ मेहनत की, लेकिन शायद किस्मत रितिका का इम्तिहान लेने पर तुली हुई थी. जब रितिका दूसरी बार एग्जाम की तैयारी कर रही थीं, तब उनके पिता को लंग कैंसर (Lung Cancer) हो गया. रितिका के लिए यह काफी कठीन समय था, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने मुश्किलों का सामना करते किसी भी तरह से अपनी तैयारी जारी रखी. इसी का फल था कि साल 2018 में जब रितिका ने अपना दूसरा अटेंप्ट दिया, तब उन्होंने यह देश की सबसे कठिन परीक्षा पास कर ऑल इंडिया में 88वीं रैंक हासिल की और अपने आईएएस ऑफिसर बनने के सपने को पूरा किया.


पिता को जिंदगी और मौत से लड़ता देख मिली ताकत-


रितिका ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कहा था कि 'मैं एक छोटे शहर से आती हूं, जहां बहुत सीमित बुनियादी ढांचे और संसाधन हैं. हर बार जब भी मेरे पिता की तबीयत खराब होती तो हमें उनको इलाज के लिए लुधियाना ले जाना पड़ता था और मुझे उनके साथ अस्पताल जाना पड़ता था. अपने पिता को जिंदगी और मौत से लड़ता देखकर मुझे बहुत ताकत मिलती थी.'