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1100 साल से मंदिर में दर्ज है चुनाव संहिता : भ्रष्टाचार करने वालों का कार्यकाल बीच में ही होता था खत्म, 7 पीढ़ी होती थी अयोग्य घोषित

HR BREAKING NEWS. बहुत से लोग यही जानते होंगे कि आजाद भारत के पहले आम चुनाव के साथ ही निर्वाचन प्रक्रिया के लिए आचार संहिता बनाई गई। हालांकि इतिहास खंगाले तो पता चलता है कि देश में लोकतंत्र के प्रावधान 1100 साल पहले भी थे और आचार संहिता आज से ज्यादा सख्त थी। ऐसे ही लोकतंत्र की गाथा का बखान करते एक मंदिर के बारे में हम आपको बताएंगे…

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Sri Vaikunta Perumal temple
तमिलनाडु के प्रसिद्ध कांचीपुरम से 30 किमी दूर लगभग 1250 साल पुराना कस्बा है उथीरामेरुर। इसे लोकतंत्र के प्राचीनतम तीर्थस्थलों में से एक कहा जाता है।

यहां वैकुंठा पेरूमल (विष्णु) मंदिर के चबूतरे की दीवारों पर 920 ईस्वी के आसपास चोल वंश का वे राज्यादेश दर्ज हैं, जिनमें कई प्रावधान मौजूदा आदर्श चुनाव संहिता में भी हैं। सदियों पहले उथीरामेरुर के 30 वार्डों से 30 जनप्रतिनिधियों का चुनाव बैलेट सिस्टम से होता था। नियत दिन बच्चों, महिलाओं सहित सभी लोग ग्राम सभा मंडप में उपस्थित होते थे। सिर्फ बीमार, तीर्थ यात्रा पर गए लोगों को छूट थी।

पहली बार राजपथ की बजाए इस स्थान पर हुई थी गणतंत्र दिवस की परेड

ताड़ के पत्तों पर प्रत्याशियों के नाम लिखकर संकरे मुंह वाले घड़े में डाले जाते थे। हर वार्ड का अलग बंडल होता था। पुजारी किसी बच्चे से ताड़पत्र निकलवाकर, सबके सामने नाम पढ़ते थे। सबसे बुजुर्ग पुजारी, विजेता की घोषणा करते थे।

चुनाव में सभी वर्ग के लोग भाग ले सकते थे। इन्हीं 30 निर्वाचित लोगों में से योग्यता के अनुसार, सिंचाई तालाब, बाग, परिवहन, स्वर्ण परीक्षण व व्यापार, कृषि, सूखा राहत आदि के लिए कमेटियां बनाई जाती थीं।

कार्यकाल एक साल होता था। पद पर रहते हुए घूसखोरी, अपराध करने या अक्षम साबित होने पर बीच कार्यकाल से हटाया जा सकता था। यह ‘राइट टू रिकॉल’ जैसी प्रक्रिया थी।

मंदिर के चबूतरे के चारों ओर 25 राज्यादेश दर्ज हैं। आज भी विधानसभा और लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी इस मंदिर में आशीर्वाद लेने आते हैं। सेंट्रल विस्टा की नींव रखते वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसका जिक्र किया था।

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मंदिर के मुख्य पुजारी एस. शेषाद्रि बताते हैं, पहली बार यह मंदिर चर्चा में तब आया, जब 1988 में राजीव गांधी यहां आए। मैंने टूटी-फूटी अंग्रेजी में राजीव गांधी को मंदिर की दीवारों पर दर्ज चुनावी प्रक्रिया और आचार संहिता के बारे में बताया था।

शेषाद्रि कहते हैं राजीव गांधी यहां लिखी इबारत से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने न सिर्फ इसके रखरखाव के इंतजाम करवाए बल्कि नया पंचायत राज अधिनियम बनाने के पहले यहां का सिस्टम समझने के लिए अधिकारी भी भेजे।

शिक्षित और ईमानदार होना सबसे बड़ी योग्यता, घूसखोरी व व्यभिचार बर्दाश्त नहीं

चुनाव लड़ने की न्यूनतम आयु 35 व अधिकतम 70 साल थी। ईमानदारी से कमाई, करदाता होना और आधा एकड़ टैक्स पेड जमीन होना जरूरी था। दो कार्यकाल में 3 साल अंतर, अधिकतम 5 बार ही लड़ सकते थे। न्यूनतम शिक्षा अनिवार्य, वेदों का ज्ञान अतिरिक्त योग्यता।

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आय-खर्च, संपत्ति का ब्योरा न देने वाले अयोग्य। पद पर रहते घूसखोरी, भ्रष्टाचार करने पर ससुराल सहित सभी रिश्तेदार ताउम्र अयोग्य होते थे। परिवारिक व्यभिचार, दुष्कर्म करने वाला 7 पीढ़ियों तक अयोग्य। अवैध संबंध रखना, हत्या, मदिरापान, चोरी, अतिक्रमण, ठगी पर ताउम्र अयोग्य।