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हरियाणा कांग्रेस में फिर हुड्डा और सैलजा के बीच तलवार, अब यूपी में चुनाव प्रचार लेकर हुए आमने-सामने

Haryana Congress Tussle हरियाणा कांग्रेस में एक बार‍ फिर टकराव के हालात पैदा हो गए हैं और पूर्व सीएम भूूपेंद्र सिंह हुड्डा व हरियाणा कांग्रेस अध्‍यक्ष कुमारी सैलजा के बीच तलवार खिंच गई है। इस बार दोनों यूपी विधानसभा चुनाव में प्रचार को लेकर आमने-सामने हैं।
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Tussle in Haryana Congress: हरियाणा कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। पार्टी में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और हरियाणा कांग्रेेस अध्‍यक्ष कुमारी सैलजा फिर आमने-सामने हैं। इस बार विवाद का कारण उत्‍तर प्रदेया विधानसभा चुनाव में प्रचार है।

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Tussle in Haryana Congress:

हुड्डा और कुमारी सैलजा के बीच राजनीतिक तनातनी और गंभीर होती जा रही है। दोनों एक-दूसरे के खिलाफ खुलकर तो नहीं बोल रहे हैं मगर संगठन को लेकर दोनों के फैसले अलग हो रहे हैं।


भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बाद सैलजा समर्थकों को भी उत्तर प्रदेश चुनाव प्रचार में मिली जिम्मेदारी

तनातनी का कारण उत्तर प्रदेश चुनाव प्रचार में हरियाणा के नेताओं की जिम्मेदारी लगाने का है। हुड्डा समर्थक 55 नेताओं को केंद्रीय चुनाव पर्यवेक्षक के रूप में डेढ़ माह पहले ही जिम्मेदारी मिल गई थी मगर सैलजा ने अपने समर्थक 60 नेताओं को चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी सोमवार को दी है।

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दोनों जिम्मेदारियों में खास बात यह है कि हुड्डा समर्थकों की केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्ति कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल द्वारा की गई थी। सैलजा ने अपने समर्थकों को प्रदेश कांग्रेस की तरफ से चिट्ठी दी हैं।


हुड्डा और सैलजा के बीच तनातनी का यह पहला मौका नहीं

Tussle in Haryana Congress:

पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डाक्टर अशोक तंवर के इस्तीफे के बाद कुमारी सैलजा को जब प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया तो पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सहमति थी। इसके बाद हुड्डा और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा के बीच तब तक आपसी समन्वय बना रहा जब तक राज्यसभा चुनाव नहीं हुआ था।

राज्यसभा चुनाव में हुड्डा ने सैलजा का कार्यकाल पूरा होने पर खाली हुई सीट पर अपने बेटे दीपेंद्र हुड्डा को पार्टी की टिकट दिलवा दी। तब प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी गुलाम नबी आजाद थे। इसलिए राजनीतिक रूप से असहाय सैलजा हुड्डा के सामने बोल नहीं पाईं।

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इसके बाद से दोनों के बीच आपसी खींचतान बढ़ती ही गई। चाहे बरोदा या ऐलनाबाद उपचुनाव हो, दोनों सैलजा और हुड्डा के बीच तनातनी साफ दिखाई दी। हुड्डा ने प्रदेश संगठन से अलग नेता प्रतिपक्ष के नाते विपक्ष आपके समक्ष कार्यक्र्रम भी चलाया हुआ है। इसमें राज्य कांग्रेस के 31 में से 24 विधायक पहुंचते हैं जबकि कुमारी सैलजा ने इन कार्यक्त्रमों से दूरी बनाई हुई है।

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प्रियंका ने भी नहीं दिया सैलजा का साथ


कांग्रेस की 12 दिसंबर 2021 को जयपुर में हुई महारैली पहले दिल्ली में होनी थी। दिल्ली में इस रैली की अनुमति नहीं मिली थी। मगर इससे पहले प्रियंका ने हरियाणा कांग्रेस नेताओं की केसी वेणुगोपाल के सामने रैली की तैयारियों को लेकर एक बैठक की थी।

Tussle in Haryana Congress:

इसमें हुड्डा और सैलजा भी उपस्थित थीं। सैलजा ने प्रियंका के सामने राज्य कांग्रेस के संगठन की सूची जारी करने का मुद्दा उठाया।

प्रियंका ने संगठन की सूची जारी करने में देरी पर नाराजगी जताई। हालांकि प्रियंका ने सैलजा की सोच के अनुरूप इस बैठक में केसी वेणुगोपाल को संगठन की सूची को जारी करने का आदेश नहीं दिया। इससे सैलजा काफी दुखी हुईं थीं। सैलजा समर्थकों को फिलहाल लग रहा है कि पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व भी हुड्डा की अनदेखी करने की स्थिति में नहीं है।