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Kapas Ki Kheti हरियाणा में कपास से किसानों का हुआ मोह भंग, दाम अच्छा मिलने के बावजूद भी घटा रकबा

हरियाणा में कपास की खेती ( kapas ki khetti) से किसानों का मोह भंग हो चुका है। मार्केट में दाम (kapas ka bhav) अच्छा मिलने के बावजूद भी किसान कपास की खेती नहीं कर रहे हैं। पिछले साल के मुकाबले इस बार कपास का रकबा भी घटा है। आइए नीचे जानते है कपास की खेती से जुड़ी अन्य जानकारी
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Kapas Ki Kheti हरियाणा में कपास से किसानों का हुआ मोह भंग, दाम अच्छा मिलने के बावजूद भी घटा रकबा

HR Breaking News, डिजिटल डेस्क, हरियाणा में कपास की खेती (kapas ki khetti) करने में किसान रूचि नहीं दिखा रहे हैं। मार्केट में अच्छा भाव (kapas bhav) मिलने के बावजूद भी किसानों का कपास से मोह भंग हो चुका है। मार्केट में नरमा कपास (narma) इस समय 10 से 12 हजार रुपये क्विंटल बिक रही है। इसके बावजूद किसान कपास की फसल की बिजाई करने में ज्यादा रुचि नहीं ले रहे। जिसके कारण पिछले साल से 40 से 50 प्रतिशत तक कपास का रकबा घट सकता है।


कपास की फसल से किसानों का मोह भंग होने का कारण गुलाबी सुंडी है। गुलाबी सुंडी ने पिछले साल कपास की फसल में कहर ढाया था। जिसके कारण किसानों ने समय से पहले कपास की फसल काटकर अगली फसल की बिजाई कर दी थी। सरकार और कृषि विभाग को भी पहले से ही इस बार कपास का रकबा घटने का अंदेशा था। जिसके चलते गुलाबी सुंडी पर नियंत्रण पाने के लिए खरीफ सीजन से पहले ही प्रयास शुरू कर दिए गए थे।

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अधिकारियों ने किया था किसानों से संपर्क

कृषि विभाग के अधिकारियों ने काटन मिल में जाकर निरीक्षण किया और वहां रखे बिनौले को ढक कर रखने के आदेश दिए थे, ताकि बिनौले से निकल कर गुलाबी सुंडी का फैलाव ना हो। वहीं खेतों में रखे कपास के फसल अवशेष (लकड़ी) भी उठाने या नष्ट करने के लिए कृषि विभाग के अधिकारियों ने किसानों से संपर्क किया। ताकि फसल अवशेष में अगर गुलाबी सुंडी है, तो वो भी नष्ट हो जाए और कपास की अगली फसल में जाए। लेकिन कृषि विभाग के प्रयासों के बावजूद कपास की फसल की बिजाई करने में किसान कम रुचि ले रहे हैं।

 


60 हजार हेक्टेयर में थी कपास की फसल

जींद जिले में पिछले साल 60 हजार हेक्टेयर में कपास की फसल थी। 15 मई तक कपास की बिजाई के लिए अनुकूल समय माना जाता है, लेकिन अभी तक करीब 25 हजार हेक्टेयर में ही कपास की बिजाई हो पाई है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में 10 हजार हेक्टेयर में और कपास की बिजाई हो सकती है।

 

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कैसे नुकसान पहुंचाती है गुलाबी सुंडी
गुलाबी सुंडी (gulabi sundi) कपास के पौधे पर फूल से टिंडे के अंदर चली जाती है। टिंडे के अंदर बिनौले का रस चूस जाती है, जिससे कपास की गुणवत्ता खराब हो जाती है और वजन भी नहीं रहता। गुलाबी सुंडी की प्रजनन क्षमता भी बहुत ज्यादा है। कपास के एक खेत से दूसरे खेत में कुछ दिनों में फैल जाती है। साल 2018 में काफी सालों बाद पहली बार उचाना क्षेत्र के पालवां गांव में गुलाबी सुंडी देखी गई थी। उसके बाद प्रदेश के सभी कपास उत्पादक जिलों में गुलाबी सुंडी पहुंच गई। 25 हजार रकबे में कपास की बिजाई हो चुकी है।

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