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Success Story: महज 25 रुपये के पौधे ने मजदूर को बना दिया करोड़पति, आप भी कर सकते हैं ये खेती

Bhawaram Success Story: कहते हैं सफलता किसी की मोहताज नहीं होती. कई लोग ऐसे होते है जो बेहद कम संसाधन में भी सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंच जाते हैं. कई लोग ऐसे होते है जो कम पढ़े होने के बावजूद भी करोड़ों रुपये कमा लेते हैं. ऐसा ही कर दिखाया है एक 8वीं पास मजदूर ने. जानें पूरी जानकारी..
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महज 25 रुपये के पौधे ने मजदूर को बना दिया करोड़पति
                   

HR Breaking News, (डिजिटल डेस्क):  कहते हैं सफलता किसी की मोहताज नहीं होती. कई लोग ऐसे होते है जो बेहद कम संसाधन में भी सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंच जाते हैं. कई लोग ऐसे होते है जो कम पढ़े होने के बावजूद भी करोड़ों रुपये कमा लेते हैं. ऐसा ही कर दिखाया है एक 8वीं पास मजदूर ने. उसने महज 25 रुपये का पपीते की खेती कर करोड़ों रुपये कमाए. ये कहानी है जालोर के पालड़ी गांव के रहने वाले भावाराम(Bhawaram Success Story) की. उन्होंने आठवीं तक ही पढ़ाई की है. वे गुजरात के अहमदाबाद में मजदूरी करते थे. हाड़तोड़ मेहनत करते, लेकिन मजदूरी में जरूरत से कम ही रुपये मिलते.

 

 

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कई बार ख्याल आया नौकरी छोड़ दूं, फिर सोचा- ये काम छोड़ दिया तो करूंगा क्या? पिछले साल की बात है, एक दिन यूट्‌यूब पर वीडियो स्क्रोल कर रहे थे. तभी उन्हें मिल गया सफल होने का आइडिया मिल गया. 

वीडियो के जरिये उन्हें पपीते की ताइवानी रेडलेडी किस्म(Taiwanese redlady variety of papaya) की खेती के बारे में पता चला. यूट्‌यूब पर ताइवानी रेडलेडी किस्म के कुछ और वीडियो देखे तो पता चला- ये सबसे कम लागत में सबसे ज्यादा मुनाफा देने वाली खेती है. यह किस्म पपीते की टॉप थ्री वैरायटी में आती है.


गुजरात में पता किया तो जानकारी मिली कि यहां ताइवान किस्म के पपीते मिलते हैं. भावाराम ने तय कर लिया- चाहे कुछ हो जाए, अब तो ताइवानी पपीते की खेती ही करनी है. गांव लौट आए और 25 रुपये प्रति पौधे के हिसाब से 2500 पौधे मंगवाए.

जून-जुलाई 2021 में अपनी 2.35 हेक्टेयर जमीन पर पपीते की ताइवान रेडलेडी किस्म(Taiwanese redlady variety of papaya)  की खेती की शुरुआत की. ड्रिप सिस्टम और ऑर्गेनिक खाद की सहायता से इन्हें तैयार किया. महज 6 महीने में प्रोडक्शन शुरू हो गया. एक साल में भावाराम की किस्मत बदल गई. अब तक वे 1 करोड़ रुपये के पपीते बेच चुके हैं.

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मंडी में नहीं मिले रेट तो घर से की बिक्री


किसान ने बताया कि जब पपीते को मंडी में बेचने के लिए कॉन्टैक्ट किया तो अच्छे भाव नहीं मिले, जबकि उन्हें पता था कि वे अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इस पर उन्होंने घर के आसपास ही इसे बेचना शुरू किया.

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उन्होंने बताया कि ट्रैक्टर-ट्रॉली में पपीते भरकर वे सड़क किनारे खड़े हो जाते. जब लोगों को इसका टेस्ट पसंद आने लगा तो एक दिन में 5 क्विंटल पपीते बेच दिए. अब जालोर जिले में यह पपीते ‘भावाराम के पपीते’ के नाम से बिकते हैं.