Rice Rate: चावल खाना हुआ मुश्किल, रेट में हुई जबरदस्त बढ़ोतरी

HR Breaking News (ब्यूरो) : बासमती किस्म का चावल एक महीने पहले के 95 रुपये प्रति किलोग्राम की तुलना में 110 रुपये प्रति किलोग्राम की रिकॉर्ड ऊंचाई पर बिक रहा है.
ट्रेडर्स इसका श्रेय विश्व बाजार में बेहतर कीमतों की उम्मीद में राइस मिलर्स द्वारा स्टॉक बनाने को देते हैं, क्योंकि पाकिस्तान में बाढ़ ने देश की चावल की फसल को नुकसान पहुंचाया है.
Edible Oil - खाने का तेल हुआ सस्ता, सरसों और सोयाबीन में भारी गिरावट
चावल की मार्केटिंग और निर्यात करने वाली कंपनी राइस विला ग्रुप के सीईओ सूरज अग्रवाल ने कहा कि भारतीय बासमती चावल के सबसे बड़े बाजारों में से एक ईरान से बमुश्किल कोई ऑर्डर मिलने के बावजूद ऐसा हो रहा है.
वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि खरीफ चावल के उत्पादन में गिरावट, सरकार द्वारा संचालित खाद्य सुरक्षा योजना को वापस लेने और नेपाल को धान के शुल्क मुक्त निर्यात की वजह से गैर-बासमती चावल की कीमतें बढ़ रही हैं.
Edible Oil - खाने का तेल हुआ सस्ता, सरसों और सोयाबीन में भारी गिरावट
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को 31 दिसंबर, 2022 से वापस ले लिया गया
द इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, 2022-23 में खरीफ चावल का उत्पादन 104.99 मिलियन अनुमानित है, जो 2021-22 के 111.76 टन से 6.77 मिलियन टन कम है.
अग्रवाल ने कहा, “दूसरी बात, कोविड के दौरान शुरू की गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को 31 दिसंबर, 2022 से वापस ले लिया गया है.” वहीं, जानकारों का कहना है कि चावल की कीमतों को लेकर यह रूख रहा तो आने वाले दिनों में यह गरीबों की थाली से गायब हो सकता है. ऐसे भी आटा 40 रुपये किलो के पार पहुंच गया है.
पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह निर्यात 118.25 लाख टन रहा था
बता दें कि भारत दुनिया में चावल उत्पादक और निर्यातक देशों में प्रमुख है. बीते दिनों खबर सामने आई थी कि निर्यात की खेप पर रोक के बावजूद भारत के सुगंधित बासमती और गैर-बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष के पहले सात माह (अप्रैल-अक्टूबर) में 7.37 प्रतिशत बढ़कर 126.97 लाख टन हो गया. उद्योग जगत के आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है. पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह निर्यात 118.25 लाख टन रहा था.
Edible Oil - खाने का तेल हुआ सस्ता, सरसों और सोयाबीन में भारी गिरावट
इंडस्ट्री के मुताबिक, भारतीय चावल की मांग बनी रहने से ये ग्रोथ उस वक्त भी देखने को मिल रही है. जबकि देश में चावल की कुछ किस्मों के निर्यात पर अंकुश था. चावल के उत्पादन में गिरावट को देखते हुए सरकार ने मूल्य को नियंत्रित रखने के लिए चावल की कुछ किस्मों को देश से बाहर भेजने जाने पर प्रतिबंध लगाया था.