monsoon weather : इस बार कैसा रहेगा मॉनसून, कहां होगी ज्यादा बारिश, IMD ने दी अहम जानकारी

HR Breaking News : (monsoon weather) गर्मियों का सीजन ने अबकी बार कुछ जल्द ही दस्तक दे दी है। देश भर में गेंहू की कटाई का सीजन चला हुआ है और इसके बाद किसान अगली फसल उगान का भी प्लान कर रहे है। जिसके लिए मॉनसून का बेसब्री से इंतजार कर रहे है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने मंगलवार को एक अपडेट के माध्यम से कहा कि इस साल जून से सितंबर के बीच दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान देश में सामान्य से ज्यादा बारिश हो सकती है। यह खबर किसानों और कृषि पर निर्भर भारत की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी मानी जा रही है।
मौसम विभाग की भविष्यवाणी (IMD Latest Updates) के मुताबिक, तमिलनाडु और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से कम बारिश हो सकती है। वहीं, मराठवाड़ा और तेलंगाना में सामान्य से ज्यादा बारिश होने की उम्मीद है, जो आमतौर पर बारिश की कमी से जूझते हैं।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम. रविचंद्रन ने बताया कि ज्यादातर मानसून (monsoon weather) में औसतन 87 सेंटीमीटर बारिश होती है, लेकिन इस साल अनुमानित बारिश 105% रहने की संभावना है। दक्षिण-पश्चिम मानसून आमतौर पर 1 जून से 30 सितंबर तक चलता है।
IMD के प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि इस साल मानसून (monsoon weather) पर असर डालने वाले तीन बड़े वैश्विक कारकों में से दो का असर सामान्य रहेगा और एक का असर बारिश (chances of rain) के लिए पॉजिटिव होगा। उन्होंने बताया कि 30% संभावना है कि बारिश सामान्य होगी, 33% संभावना है कि बारिश सामान्य से ज्यादा होगी, और 26% संभावना है कि बहुत ज्यादा बारिश होगी।
IMD के मुताबिक:
96% से 104% तक बारिश को 'सामान्य' कहा जाता है
105% से 110% तक को 'सामान्य से ज्यादा'
और 110% से ज्यादा को 'अत्यधिक' बारिश माना जाता है
90% से कम को 'कम बारिश'
और 90%-95% को 'सामान्य से कम' कहा जाता है
जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, तमिलनाडु, बिहार और पूर्वोत्तर राज्यों में इस बार सामान्य से कम बारिश हो सकती है। जबकि मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में सामान्य से अधिक बारिश की उम्मीद है। ये इलाके देश के मुख्य कृषि क्षेत्र हैं और ज्यादातर खेती बारिश पर (monsoon updates) निर्भर करती है।
अप्रैल से जून के बीच देश के कई हिस्सों में भीषण गर्मी पड़ रही है और आने वाले समय में लू के दिनों की संख्या काफी ज्यादा हो सकती है, जिससे बिजली और पानी की कमी की स्थिति बन सकती है।
भारत में लगभग 42.3% आबादी खेती पर निर्भर करती है और यह देश की GDP का करीब 18.2% हिस्सा देती है। इसलिए मानसून (monsoon Updates) की अच्छी बारिश बहुत जरूरी है। हालांकि, सामान्य बारिश का मतलब यह नहीं होता कि देश के हर हिस्से में एकसमान और एक समय पर बारिश होगी। जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश की अनियमितता भी बढ़ रही है।
वैज्ञानिकों (weather experts) का कहना है कि अब कम दिनों में ही बहुत ज्यादा बारिश होने लगी है, जिससे सूखा और बाढ़ की घटनाएं बढ़ रही हैं। तीन मुख्य जलवायु कारणों को मानसून की भविष्यवाणी में शामिल किया जाता है:
ENSO – प्रशांत महासागर में समुद्र के तापमान में बदलाव जो पूरी दुनिया के मौसम को प्रभावित करता है।
Indian Ocean Dipole – हिंद महासागर के पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों में तापमान के अंतर का असर।
हिमालय और यूरेशिया में बर्फ की परत – जमीन की गर्मी पर असर डालकर मानसून को प्रभावित करता है।
इस साल ENSO और Indian Ocean Dipole दोनों ही सामान्य स्थिति में रहने की संभावना है। इसके अलावा, हिमालय और यूरेशिया में बर्फ की मात्रा भी कम है, जो मानसून के लिए अच्छा संकेत है।