wheat flour price : गेहूं आटा के भाव ने तोड़ा 15 साल का रिकॉर्ड, उच्चतम स्त्र पर पहुंची कीमतें
wheat and flour price : गेहूं के दामों में लगातार हो रही बढ़ोतरी के कारण आटे के दाम भी सातवें आसमान पर जा पहुंचे हैं। अब गेहूं व आटे के भाव (wheat flour price hike) ने 15 साल के रिकॉर्ड को ध्वस्त कर डाला है। इस स्थिति में लोगों को आटा-गेहूं खरीदना महंगा पड़ रहा है। कई साल में पहली बार इनकी कीमतें अपने उच्चतम लेवल पर जा पहुंची हैं। आइये जानते हैं गेहूं व आटे के ताजा भाव के बारे में खबर में।
Hr Breaking News (wheat flour price hike) : दिसंबर माह में जिस तेजी से गेहूं के रेट (wheat rate) बढ़े हैं, वे बेतहाशा वृद्धि वाले हैं। अपने रिकॉर्ड आंकड़े को छू चुके गेहूं व आटे के दामों को लेकर संभावना जताई जा रही है कि आगामी समय में इनमें और बढ़ोतरी हो सकती है। गेहूं-आटे के रेट शिखर में चढ़ने के कारण अब आम उपभोक्ताओं की जेब पर इसका असर साफ दिखाई देने लगा है।
इस समय देशभर की अनेक मंडियों में गेहूं के दाम इसके एमएसपी (wheat minimum support price) से दोगुने से भी ऊपर चले गए हैं। गेहूं व आटे के भाव में आई इस बढ़ोतरी ने डेढ़ दशक का रिकॉर्ड तोड़ डाला है। उम्मीद है इन पर रोकथाम के लिए सरकार (gehu ke rate par sarkar ka faisla) कोई ठोस कदम जल्द उठाएगी।
अब MSP से इतना ऊपर पहुंचा गेहूं का भाव
गेहूं के बढ़ते रेट (latest wheat price)से लोगों का रसोई बजट भी प्रभावित होने लगा है। आम लोगों को रोटी महंगी पड़ रही है। अब गेहूं के रेट इसके MSP 2275 रुपये प्रति क्विंटल से करीब 23 फीसदी महंगा हो गया है।
गेहूं की बढ़ती कीमतों का असर आटे के रेट पर भी प्रत्यक्ष रूप से पड़ा है। इस समय गेहूं का थोक रेट कई जगह 4200 रुपये (wheat price today) प्रति क्विंटल तक भी जा पहुंचा है। जो एमएसपी से लगभग दोगुना है।
इन राज्यों में भी गेहूं के रेट हाई लेवल पर
खास बात तो यह है कि प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब व मध्य प्रदेश (wheat price in MP) में भी गेहूं के दाम एमएसपी से काफी ऊपर हैं। यहां उन किसानों को मोटा मुनाफा कमाने का मौका मिल रहा है, जिन्होंने अपना गेहूं स्टॉक (gehu stock limit) करके रखा हुआ था। अब आटे के साथ ही गेहूं से बनने वाले अन्य खाद्य पदार्थों के रेट भी उछलने के आसार हैं।
नहीं लग रही बढ़ती कीमतों पर लगाम
दिन-प्रतिदिन रॉकेट की रफ्तार से बढ़ रहे गेहूं के रेट (gehu ka aaj ka bhav) पर लगाम कसने में सरकारी प्रयास भी नाकाम साबित होते नजर आ रहे हैं। सरकार भारतीय खाद्य निगम के स्टॉक किए गए गेहूं को बाजार में उतारा है। ई-ऑक्शन के जरिए 1 लाख टन गेहूं को तो पहले ही मार्केट में लाया जा चुूका है, इसके बावजूद गेहूं के भाव (wheat rate today)लगातार बढ़ोतरी का रिकॉर्ड कायम कर रहे हैं।
अभी और बढ़ सकते हैं गेहूं के दाम
इसके अलावा खाद्य आपूर्ति विभाग ने गेहूं को स्टॉक करने की लिमिट (wheat stock limit new rules)को भी घटा दिया है ताकि गेहूं के रेट पर लगाम कसी जा सके। इसके बाद भी गेहूं सस्ता नहीं हो रहा है। गेहूं के भाव पर लगाम कसने के लिए सरकार को अन्य ठोस कदम जल्द उठाने होंगे। हालांकि माना जा रहा है कि नई गेहूं की आवक तक गेहूं के दाम गिरने की संभावना नहीं है, बल्कि ये और बढ़ सकते हैं। इसका असर आटे के दामों पर भी पड़ेगा।
गेहूं का न्यूनतम रेट भी एमएसपी से ऊपर
गेहूं के दामाें ने आसमान छूने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, यह इस बात से साफ सपष्ट होता है कि गेहूं के दाम एमएसपी से भी ज्यादा हो गए हैं। यूपी गेहूं का प्रमुख उत्पादक राज्य है, यहां की मंडियों ( mandi bhav) व बाजारों में भी गेहूं के रेट हाई हैं।
यहां कई मंडियों में गेहूं की कीमत 3150 रुपये प्रति क्विंटल के करीब पहुंच गई है। जबकि न्यूनतम कीमत 2350 रुपये के लगभग है। गेहूं की न्यूनतम कीमत भी MSP से ऊपर होना आम उपभोक्ताओं के लिए चिंताजनक है। दूसरी ओर बात करें महाराष्ट्र के (maharashtra wheat price) अमरावती मंडी (mandi wheat price) की तो यहां पर गेहूं का रेट 2850 रुपये प्रति क्विंटल है। राजस्थान के अलवर मंडी में भी गेहूं की कीमत 2840 रुपये प्रति क्विंटल रही। इन मंडियों में गेहूं की कीमतें (gehu ka aaj ka bhav)एमएसपी (MSP) से ऊपर हैं, जो किसानों के लिए बेशक लाभकारी है लेकिन आम उपभोक्ताओं को ये कीमतें पेरशान कर रही हैं।
इतने पहुंचे आटे के दाम (wheat flour rate)
पिछले 15 साल में इस बार के गेहूं के दाम सबसे ज्यादा अधिकतम पर पहुंच गए हैं, जिसका परिणाम है कि इसका सीधा असर आटे की कीमतों (wheat flour price new update) पर पड़ा है।
इस समय आटे की कीमत भी गेहूं की कीमतों की तरह 15 साल के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है। इस महीने में आटे की कीमत कई जगह 50 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है। इस बढ़ोतरी से गेहूं व इसके आटे से बनने वाली खाद्य वस्तुओं की महंगाई (wheat flour latest price) पर नियंत्रण पाने की सरकार की कोशिशों को बड़ा झटका लग सकता है।
मार्च तक जारी रह सकती है बढ़ोतरी
बढ़ते गेहूं के कीमतों (wheat rate today) से परेशान आज सभी लोगों के मन में एक ही सवाल आ रहा है कि महंगे गेहूं से राहत कब मिलेगी? तीन सप्ताह पहले विशेषज्ञों ने यह चेतावनी दी थी कि गेहूं और उससे बने खाद्य पदार्थों की कीमतों पर नकारात्मक असर देखने को मिल (gehu k taja bhav) सकता है। उनका अनुमान है कि गेहूं के रेट मार्च तक कम नहीं होंगे, क्योंकि तब तक मंडियों में नया गेहूं नहीं आएगा और किसान अपने पास रखा गेहूं बेचने शुरू नहीं करेंगे।
हालांकि,इस साल रबी सीजन में गेहूं की बुवाई पिछले साल के मुकाबले ज्यादा है। ऐसे में गेहूं का उत्पादन पिछले साल से काफी ज्यादा होने के दावे किए जा रहे हैं। मार्च के बाद मंडियों में तेजी से नए गेहूं की आवक होने पर ही दामाें में राहत देखने को मिल सकती है।