wheat flour rate today : गेहूं आटे के भाव ने तोड़ा रिकॉर्ड, सातवें आसामान में जा पहुंचे रेट
wheat flour rate today : इस महंगाई के दौर में गेहूं के साथ ही आटे के भाव (wheat flour price) भी रफ्तार पर हैं। सबसे अहम बात तो यह है कि अब गेहूं की बढ़ती कीमतों ने गेहूं से बने अन्य खाद्य पदार्थों की कीमतों पर असर डालना शुरू कर दिया है। इस समय गेहूं के भाव (wheat price update) में आई तेजी का कारण बाजार में गेहूं की बढ़ती मांग को बताया जा रहा है। आइए जानते हैं देशभर में इस समय क्या क्या चल रहे हैं गेहूं और आटे के भाव।
Hr Breaking News (wheat and flour pirice) : पिछले कई दिनों से गेहूं के दाम बेलगाम चल रहे हैं। इससे आटे के भाव में भी अच्छी-खासी बढोतरी देखने को मिल रही है। गेहूं व आटे के बढ़ते भाव (wheat flour price hike) के चलते हर राज्य में आम उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है।
गेहूं न्यूनतम भाव भी अब एमएसपी (wheat minimum support price) से काफी ज्यादा चल रहा है, जो आम लोगों के बजट को भी प्रभावित कर रहा है। अभी गेहूं के दाम कम होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं, माना जा रहा है कि इनमें कुछ माह और तेजी जारी रहेगी।
गेहूं को लेकर सरकार को उठाने होंगे ठोस कदम
वर्तमान में गेहूं का थोक दाम MSP से करीब 24 प्रतिशत अधिक (wheat rate today) है, जिससे आटे के रेट भी पिछले एक दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं। इस बढ़ोतरी को नियंत्रित करने के लिए सरकार भारतीय खाद्य निगम (Food corporation of india) के माध्यम से बाजार में गेहूं की आपूर्ति बढ़ा रही है। सरकार के इन प्रयासों का कितना असर पड़ेगा, यह कुछ दिन बाद ही तय हो सकेगा।
माना जा रहा है कि ये प्रयास नाकाफी हैं, सरकार को सस्ते रेट में गेहूं मार्केट में लाने के और भी ठोस उपाय करने चाहिए। हाल में 1 लाख टन गेहूं ई-ऑक्शन (wheat e-auction) से बेचा गया और मिलर्स पर स्टॉक लिमिट भी घटाई गई है, फिर भी गेहूं के दाम एमएसपी से ऊपर बने हुए हैं।
अब इतना पहुंचा गेहूं का अधिकतम रेट (wheat maximum rate)
अब हर दिन गेहूं के रेट लगातार बढ़ रहे हैं। देशभर की प्रमुख मंडियों में रेट (mandi bhav) सातवें आसमान पर हैं। विभिन्न मंडियों में गेहूं की कीमतों में अंतर देखा जा रहा है। उत्तर प्रदेश की कई मंडियों में गेहूं का थोक (wheat wholesale price) के हिसाब से न्यूनतम मूल्य 2909 रुपये प्रति क्विंटल रहा, जो सरकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2275 रुपये से करीब 23 प्रतिशत ज्यादा है।
उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य में इतने रेट (wheat price Uttar Pradesh) होना आम लोगों के लिए चिंताजनक है। इससे आटा महंगा हो रहा है। जो लोगों के बजट को प्रभावित कर रहा है।
वहीं, महाराष्ट्र के अमरावती में गेहूं की कीमत (wheat price maharashtra) 2811 रुपये प्रति क्विंटल चल रही है। राजस्थान के अलवर मंडी में भी गेहूं का थोक दाम (wheat price rajasthan) 2817 रुपये प्रति क्विंटल था। इन कीमतों से यह साफ है कि गेहूं की आपूर्ति और मांग के कारण अलग-अलग इलाकों में दामों में फर्क आ रहा है। गेहूं के अधिकतम रेट भी कई जगह 3850 रुपये (gehu ka taja bhav) प्रति क्विंटल को पार कर चुके हैं।
गेहूं से बने खाद्य पदार्थ भी हुए महंगे
गेहूं की कीमतों में पिछले कुछ हफ्तों से लगातार वृद्धि हो रही है, जिसके कारण आटे की कीमतों (flour price) में भी भारी बढ़ोतरी देखने को मिली है। केवल आटा ही नहीं गेहूं से बने खाद्य पदार्थ भी महंगे हो गए हैं। इन पर बढ़ते गेहूं के दामों (gehu ke daam) का असर अब साफ दिखाई देने लगा है। इसके कारण बिस्किट, ब्रेड और अन्य खाद्य वस्तुओं के दाम और बढ़ने की आशंका है।
इतने हो गए आटे के खुदरा रेट
दिसंबर महीने में आटे के खुदरा रेट (wheat flour retail rate) 50 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गए हैं, वहीं थोक मूल्य भी कई जगह 45 रुपये किलोग्राम है। यह साल 2009 के बाद का सबसे ऊंचा आटे का रेट है। इससे आटा पहले के मुकाबले काफी महंगा हो गया है और इसकी वजह से खाद्य महंगाई (aate ka taja bhav) को नियंत्रित करने में सरकार के प्रयास विफल ही नजर आ रहे हैं। अगर यह स्थिति बनी रही, तो इससे आम उपभोक्ताओं को रोटी और महंगी पड़ेगी।
अगले साल में कम हो सकते हैं गेहूं के दाम
जब तक मंडियों (mandi news)में नए गेहूं की आवक नहीं हो जाती, तब तक गेहूं के दाम कम होने के आसार नहीं हैं। यह बाजार विशेषज्ञों व फसलों के भावों से जुड़े जानकारों का कहना है। हालांकि दिसंबर माह के शुरू में ही इस बात के संकेत भी जानकारों की ओर से दिए गए थे कि दिसंबर में गेहूं और उससे बने खाद्य पदार्थों की कीमतें रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच सकती हैं।
अब उनका मानना है कि गेहूं की कीमतों(wheat and flour new price) में दबाव मार्च तक जारी रह सकता है, क्योंकि इस समय तक व्यापारी और किसान अपने स्टॉक को बाजार में नहीं लाएंगे।
इस बार गेहूं के अधिक उत्पादन की संभावना
हालांकि, इस बार रबी सीजन में गेहूं की बुवाई पिछले साल से करीब साढ़े नौ लाख हेक्टेयर ज्यादा क्षेत्र में की गई है, जिससे यह उम्मीद जताई जा रही है कि गेहूं का उत्पादन (wheat production) अधिक होगा। इससे भविष्य में गेहूं की आपूर्ति बढ़ने की संभावना है, जो कीमतों को स्थिर (wheat flour rate) करने में मदद कर सकता है। इस बार गेहूं का उत्पादन भी अधिक हो सकता है।