wheat price : गेहूं के भाव में 24 फिसदी से ज्यादा का इजाफा, आटे के भाव ने तोड़ा रिकॉर्ड
Wheat Price Hike : गेहूं के बढ़ते रेट ने अब आम उपभोक्ताओं की परेशानी भी बढ़ा दी है। फिलहाल गेहूं के रेट एमएसपी (wheat minimum support price) से काफी ऊपर चल रहे हैं जो 24 फिसदी से भी ज्यादा हैं। अगर पिछले 16-17 साल के रुझानों को देखें तो इस समय गेहूं आटे के (wheat rate) सबसे अधिकतम हैं। आईये नीचे जानते हैं गेहूं और आटे का ताजा भाव...
Hr Breaking News (Wheat Price Update) : पिछले कुछ दिनों से देशभर में महंगाई काफी ज्यादा बढ़ रही है। बढ़ती महंगाई का असर गेंहू के दामों (wheat rate) पर पड़ रहा है। लगातार बढ़ रहे रेटों की वजह से लोगों की जेब ढीली हो रही है। रेट बढ़ने के कारण आम लोगों के लिए एक वक्त की रोटी भी महंगी पड़ रही है।
इसको कम करने के लिए भी सरकार कई कदम उठा रही है, लेकिन ये सभी कदम असफल होते दिख रहे हैं। आने वाले दिनों में गेहूं की कीमत (Gehu ka bhav) में और भी तेजी देखने को मिल सकती है।
गेहूं की बढ़ती कीमतों ने इन चीजों पर भी डाला असर
पिछले कुछ दिनों से लगातार बढ़ रही गेहूं की कीमतों (Wheat Price) ने आम लोगों के पसीने छुड़ा रखे हैं। लगातार बढ़ रहे गेहूं के रेट की वजह से उससे बनने वाले पदार्थों की कीमतों में भी उछाल आना शुरू हो गया है।
इस समय गेहूं के रेट अपने चर्म पर हैं। फिलहाल गेहूं (MSP Of wheat) के थोक दामों के बारे में बात करें तो वो एमएसपी (wheat MSP) से भी 24 प्रतिशत अधिक हैं। इसके अलावा आटा के भाव में उछाल देखने को मिल रहा है, जिसके बाद बिस्किट, ब्रेड समेत अन्य खाद्य पदार्थों की कीमतों में भी उछाल आता नजर आ रहा है।
बाजार में इस भाव मिल रहा है गेहूं (wheat price hike)
फिलहाल बाजार में गेहूं की कीमतों (latest wheat price)में लगातार उछाल देखने को मिल रहा है। लगातार बढ़ रही कीमत को नियंत्रित करने के लिए सरकार की ओर से कई कदम उठाए जा रहे हैं। कुछ सप्ताह पहले सरकार ने मार्केट में 1 लाख टन गेहूं को उतारा था जिसको ई-ऑक्शन के जरिए बेचा गया था। कीमतें (Gehu rate) कंट्रोल करने के लिए खाद्य आपूर्ति विभाग ने मिलर्स पर स्टॉक लिमिट को भी कम कर दिया है।
सरकार के इनके कदम के बावजूद भी गेहूं का दाम एमएसपी (Wheat MSP) से 23 फीसदी ज्यादा ही है। अधिकतर राज्यों में गेहूं के दाम 3810 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास पहुंच गए हैं व आटा 45 से 50 रुपये प्रति किलो मिल रहा है।
यूपी समेत अन्य मंडियों में ये हैं गेहूं के दाम
इस समय यूपी की मंडियों में (Uttar Pradesh Wheat Price) में गेहूं का थोक एमएसपी 3000 रुपये प्रति क्विंटल तक दर्ज किया है, जोकि एमएसपी 2310 रुपये से लगभग 24 फीसदी अधिक है। वहीं महाराष्ट्र की मंडी (Wheat Price in Maharashtra) में गेहूं का न्यूनतम दाम 2810 रुपये प्रति क्विंटल और अधिकत्तम रेट 4000 रुपये प्रति क्विंटल है। मध्यप्रदेश में गेहूं का न्यूनत्तम भाव (wheat rate in mp) 2800 रुपये प्रति क्विंटल और अधिकत्तम रेट 3600 रुपये प्रति क्विंटल रहा। दिल्ली एनसीआर में भी गेहूं औसत कीमत (wheat rate delhi ) 3000 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक रही।
इसके अलावा राजस्थान (Wheat Price in Rajasthan) में गेहूं की थोक कीमत 2850 रुपये प्रति क्विंटल है। हैरानी करने वाली बात तो ये है कि यूपी में सबसे ज्यादा गेहूं का उत्पादन होता है लेकिन इसके बावजूद भी यहां पर गेहूं के रेट काफी ज्यादा है।
गेहूं आटा के भाव ने तोड़ा 16 साल का रिकॉर्ड (Wheat flour price hike)
पिछले सप्ताह की तुलना में इस सप्ताह गेहूं के रेट (Gehu ke taza rate) ज्यादा हैं। लगातार बढ़ रहे गेहूं के रेटों का असर आटे के दामों पर भी पड़ रहा है। आटे की कीमत पिछले 15 साल के मुकाबले अब उच्चतम स्तर पर जा पहुंची है। अगर दिसंबर में आटे के रेट देखें तो इस समय आटा (Wheat flour price) 45 रुपये प्रति किलो के भाव से बिक रहा है। अब से पहले जनवरी 2008 में आटे की सबसे ज्यादा कीमत थी। 2009 के बाद अब गेहूं और आटे के रेट इतने ज्यादा बढ़े हैं। इसकी वजह से खाद्य (Food Corporation of India) महंगाई पर नियंत्रण पाने की सरकार निरंतर कोशिश कर रही है, लेकिन सरकार के सभी कदम असफल होते नजर आ रहे हैं।
जानिये कब घटेंगे गेहूं के रेट
माना जा रहा है कि आने वाले समय में गेहूं के रेटों (Gehu ke rate) में तेजी देखने को मिल सकती है। अगर पिछले 3 सप्ताह के हिसाब से अनुमान लगाया जाए तो गेहूं के खाद्य पदार्थों की कीमतों में फिलहाल कोई गिरावट नहीं आएगी। एक्सपर्ट का मानना है कि गेहूं की कीमतों (wheat price) में गिरावट नया स्टॉक आने के बाद ही आएगी, जिसके हिसाब से मार्च के बाद गेहूं की कीमत कम हो सकती है।
इस रबी सीजन में बुवाई के आकड़ों को देखें तो इस बार लगभग 295 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुवाई की गई है, जोकि पिछले नौ साल की तुलना में 9 लाख हेक्टेयर ज्यादा है।