wheat rate down : गेहूं के भाव में तगड़ी गिरावट, MSP से इतना डाउन हो गया रेट

HR Breaking News - (wheat price)। सरकार की ओर से साल 2025-26 के गेहूं सीजन के लिए एमएसपी में बढ़ौतरी किए जाने के बावजूद किसान मंडियों में कम गेहूं लेकर पहुंच रहे हैं। इस कारण अब आवक और खरीद एकदम से प्रभावित हुई है। गेहूं के दाम (wheat rate today 9 may) एमएसपी से कम होने के कारण किसान गेहूं बेचने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इस समय गेहूं के भाव में तगड़ी गिरावट आई है, हालांकि सीजन के शुरुआती चरण में गेहूं के भाव (gehu ka bhav) ने जोर पकड़ा था और ये एमएसपी से काफी ऊपर चले गए थे।
इस कारण गिरे गेहूं के रेट-
इस समय देश की अधिकतर मंडियों में गेहूं का भाव (wheat rate latest) एमएसपी के आसपास ट्रेड कर रहा है। सरकार ने इस बार गेहूं का समर्थन मूल्य 2425 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। कुछेक राज्यों की मंडियों में यह एमएसपी (wheat MSP) पर बरकरार है,
लेकिन कई मंडियों में औसतन गेहूं का रेट 2420 रुपये तक आ गया है। ऐसा गेहूं की गुणवत्ता के कारण भी है। हालांकि कुछ मंडियों में गेहूं का भाव (mandi bhav today) 2450 रुपये भी पहुंच गया है। अब आढ़ती किसानों को गेहूं का अधिक रेट दे रहे हैं, खुदरा व्यापारी घर जाकर ही किसानों का गेहूं खरीद रहे हैं। इससे मंडियों में आवक कम हो गई है।
उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश में गेहूं का भाव-
देश के प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश में गेहूं का भाव (MP wheat price) औसत रूप से 2425 रुपये के करीब ही है। राजस्थान में 2440 रुपये प्रति क्विंटल का औसत भाव चल रहा है। यहां पर सरकार की ओर से प्रति क्विंटल गेहूं पर बोनस (bonus on wheat) भी दिया जा रहा है।
महाराष्ट्र व गोवा में रेट अधिक-
महाराष्ट्र व गोवा में ही इस समय गेहूं के दाम (wheat price update) अधिक हैं। यहां पर 5900 रुपये प्रति क्विंटल तक गेहूं का भाव पहुंच चुका है। इन राज्यों में रेट अधिक होने का कारण यह है कि यहां पर अधिकतर गेहूं दूसरे राज्यों से मंगाया जाता है। इस कारण मांग और आपूर्ति में अधिक अंतर होने के कारण रेट (wheat rate today) बढ़ गए हैं।
मंडियों में घटी गेहूं की आवक-
सरकार गेहूं खरीद (wheat purchasing) के लक्ष्य को पूरा करती दिखाई दे रही थी लेकिन अब कई राज्यों में आवक रुकने से गेहूं खरीद का आंकड़ा कई राज्यों में घट गया है। हरियाणा व पंजाब में भी कुछ ऐसी ही स्थिति देखने को मिल रही है। मंडियों में खराब मौसम होने के कारण भी किसान गेहूं (gwhu ka taja bhav) ले जाने से कतरा रहे हैं। पिछले एक सप्ताह से मौसम परिवर्तनशील चल रहा है। ऐसे में किसानों को बीच रास्ते ही गेहूं के भीगने का डर सता रहा है।