Wheat Rate Down : धड़ाम से गिरे गेहूं के दाम, MSP से भी नीचे हो रही गेहूं की बिक्री
Wheat Price Today : जुलाई माह शुरू होते ही गेहूं के भाव (wheat rate latest) में अचानक ऐसी उठापटक शुरू हुई कि ये एक दिन तो हाई हो रहे हैं और अगले ही दिन धड़ाम से जमीन पर आ गिरते हैं। इसी उठापटक के बीच आज फिर गेहूं के दाम (wheat price 6 july) गिर गए हैं। अब गेहूं की बिक्री एमएसपी से भी नीचे हो रही है।

HR Breaking News - (wheat rate)। गेहूं के भाव में निरंतर उतार चढ़ाव चल रहा है। पिछले माह से जारी इस उठापटक के बीच आज गेहूं के दाम अचानक गिर गए हैं। अधिकतर राज्यों की मंडियों में आज गेहूं के भाव (gehu ka bhav) में तेजी से गिरावट देखी गई है।
इस माह में गेहूं की सरकारी खरीद के साथ साथ गेहूं की आवक भी घटी है। इसका असर मंडियों (mandi bhav today) में पसरे सन्नाटे से साफ नजर आ रहा है। एक्सपर्ट्स की ओर से अचानक गेहूं के दाम गिरने के कई कारण बताए जा रहे हैं। इससे यह स्थिति जरूर बनी है कि एमएसपी (wheat MSP) से भी नीचे गेहूं के दाम गिरने से किसानों को सीजन की शुरुआत वाला मुनाफा भी नहीं मिल रहा है।
इन राज्यों में गिरे गेहूं के दाम -
मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश सहित राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में गेहूं के दाम (wheat rate today) गिर गए हैं। हालांकि महाराष्ट्र, गुजरात व गोवा में थोड़ी अलग स्थिति है। गेहूं के दामों में अन्य राज्यों की मंडियों में भी भिन्नता देखी जा रही है। गेहूं का न्यूनतम भाव अब 1900 रुपये प्रति क्विंटल तक आ गया है। वहीं, अधिकतम रेट 2410 रुपये (wheat maximum price) प्रति क्विंटल चल रहे हैं। गेहूं का मॉडल प्राइस भी एमएसपी से कम है, जो 2390 रुपये प्रति क्विंटल है।
निजी व्यापारियों ने बदली पूरी तस्वीर-
गेहूं के भाव (wheat price Fall) गिरने के बाद निजी व्यापारियों ने किसानों से सीधा संपर्क करना शुरू कर दिया है। इससे भाव में कुछ बढ़ौतरी देखी जा रही है। अब तक किसानों को कुछ मुनाफा गेहूं की बिक्री (wheat selling) से हुआ था लेकिन अब यह घट गया है। किसान अब निजी व्यापारियों से अधिक रेट मिलने की उम्मीद में गेहूं बिक्री के लिए सीधा संपर्क कर रहे हैं। इससे गेहूं के भाव (gehu ka aaj ka bhav) को लेकर पूरी तस्वीर ही बदल गई है। आने वाले समय में रेट में फिर से बदलाव होने की संभावना है।
अब आटे का रेट होगा प्रभावित -
गेहूं के दाम घटने बढ़ने का सीधा असर आटे के रेट (wheat flour price) पर भी पड़ता है। गेहूं से बने पदार्थों के दामों पर भी इसका असर दिखाई देता है। जैसे ही गेहूं के दाम गिरते हैं तो आटे के रेट (flour price today) घट जाते हैं और गेहूं के रेट बढ़ते हैं तो आटे का भाव बढ़ जाता है। जिस तरह से गेहूं के भाव में उठापटक चलेगी, आटे के रेट (aate ka bhav) भी अपडाउन होते रहने की संभावना है।
किसानों को यह है उम्मीद -
किसानों को अब सरकार व निजी व्यापारियों से अलग अलग उम्मीद है। सरकार से किसानों को उम्मीद है कि फिर से गेहूं की सरकारी खरीद (wheat purchasing) शुरू की जाए ताकि उन्हें एमएसपी से नीचे गेहूं बेचने को मजबूर न होना पड़े। वहीं, निजी व्यापारियों से किसान यह आस लगाए बैठे हैं कि वे उनके गेहूं को अधिक से अधिक रेट पर खरीदें।
इस उम्मीद पर पानी तो इसलिए फिर रहा है क्योंकि न तो सरकार अब सरकारी रेट (gehu ka sarkari rate) पर गेहूं खरीदने को तैयार है और न ही निजी व्यापारी रेट अधिक बढ़ाने को तैयार हैं। आखिर में प्रभाव किसानों पर ही पड़ रहा है।