wheat flour price : बाजार में सातवें आसमान में गेहूं के भाव, इतने रुपये किलो हुआ आटा
Wheat and flour price :गेहूं के भाव ने निरंतर बढ़ने की रफ्तार पकड़ ली है। गेहूं के भाव (wheat and flour price today) में इजाफा होने से आटे के भाव भी पहले से काफी बढ़ चुके हैं। बढ़ते गेहूं के भाव से आप आदमी को रोटी भी महंगी पड़ रही है, जिससे उनका बजट भी बिगड़ रहा है। अधिकतर राज्यों में एमएसपी के काफी ऊंचे रेट पर गेहूं बेचा जा रहा है। आइए जानते हैं गेहूं के ताजा भाव इस खबर में ।
HR Breaking News - (Wheat price)। हाल ही के दिनों में गेहूं, आटे की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे आम लोग आर्थिक रूप से प्रभावित हो रहे हैं। हाईलेवल पर पहुंचे गेहूं व आटे के रेट (wheat flour price hike) कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। पिछले तीन माह से इनके दामों में रिकॉर्ड बढ़ौतरी दर्ज की गई है। गेहूं के दाम बढ़ने से इससे बनने वाले कई खाद्य पदार्थ भी महंगे होते जा रहे हैं। अभी निकट भविष्य में दाम कम होने के आसार भी नजर नहीं आ रहे हैं, बल्कि इनमें और तेजी आ सकती है।
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गेहूं व आटे के रिटेल प्राइस ने चौंकाया-
इस समय गेहूं और आटे के दाम में भारी वृद्धि देखने को मिल रही है। गेहूं के खुदरा दाम 30 रुपये से 32 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 35 से 36 रुपये प्रति किलोग्राम (wheat retail price) हो गए हैं, जबकि आटे के रिटेल प्राइस अभी भी 40 से 45 रुपये (flour price) प्रति किलोग्राम हैं। इस वृद्धि के पीछे मुख्य कारण गेहूं की कम आपूर्ति और घटते स्टॉक को बताया जा रहा है। इसके अलावा, बदलते मौसम के कारण गेहूं की उत्पादन में कमी आई है, जिसके चलते दामों में यह उछाल आया है। गेहूं की कीमत सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (wheat, flour price update) से भी ज्यादा हो गई है।
एमएसपी से इतना ऊपर हुआ गेहूं के भाव -
भारतीय खाद्य निगम (food carporation of india) द्वारा गेहूं की आपूर्ति में कमी होने से भी बाजार में गेहूं की कमी बनी हुई है। गेहूं का बीज भी अब 20 प्रतिशत (gehu ka taja bhav) महंगा हो गया है, जो खेती की लागत को और बढ़ा रहा है। मंडी में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2275 रुपये (wheat MSP) प्रति क्विंटल है और गेहूं के भाव न्यूनतम एमएसपी से करीब 900 रुपये तक की बढ़ौत्तरी हो गई है। जबकि थोक में यह 3110 रुपये प्रति क्विंटल और फुटकर में 3150 रुपये से लेकर 3190 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है।
विदेश से गेहूं का आयात भी रुका -
गेहूं के आयात पर 40 प्रतिशत इंपोर्ट ड्यूटी के कारण विदेश से गेहूं का आयात (Import Export of wheat) भी रुक गया है, जिससे घरेलू आपूर्ति में और कमी हो गई है। यह स्थिति गरीबों के साथ-साथ समृद्ध वर्ग के लिए भी चिंता का कारण बन चुकी है। गेहूं के दाम (wheat rate today) इसी गति से दौड़ते रहे तो लोगों के लिए महंगाई से लड़ना भी मुश्किल हो जाएगा। गेहूं के बढ़ते रेट व असंतुलित आपूर्ति के परिणामस्वरूप, गेहूं और आटे के दामों में इस समय कोई कमी होने की संभावना नहीं दिख रही है। बाजार व मंडी भाव (mandi bhav today) के जानकारों का मानना है कि होली तक दामों (wheat price today 23 february) में कोई राहत नहीं मिलने वाली है।
कोविड के समय में निरंतर बढ़े दाम -
साल 2020 में कोरोना ने दस्तक दी थी। तब से ही गेहूं का खरीद मूल्य करीब 2000 रुपये प्रति क्विंटल हो गया था। उस समय बाजार में गेहूं की कीमत करीब 3000 रुपये (wheat latest price) प्रति क्विंटल थी। कोरोना महामारी के बाद, हर साल गेहूं की कीमत (gehu ka bhav) में लगभग 100-200 रुपये की बढ़ोतरी हुई, जिससे किसानों को तो राहत मिली लेकिन बाजार में आपूर्ति का दबाव बढ़ा।
उत्पादन पर पड़ता जा रहा है असर -
पहले के वर्षों की अपेक्षा हर सीजन में गेहूं की बुवाई में लगभग 2 हफ्तों की देरी हो रही है और इस साल भी समय पर बुवाई (cultivation of wheat) नहीं हो सकी। मौसम ठीक नहीं होने की वजह से गेहूं की खेती प्रभावित हो रही है। फरवरी में ही तापमान बढ़ने लगता है और बालियां सूख जाती हैं। सही तरीके से बीजों का प्रबंध नहीं होने से भी पैदावार कम हो रही है।
खादों का ज्यादा उपयोग भी इसका कारण है। किसानों को बीज की मात्रा बढ़ानी पड़ेगी ताकि उत्पादन पर बुरा असर न पड़े। गेहूं के बीज की कीमत भी पहले से काफी बढ़कर करीब 89 रुपये हो गई है। कुछ अच्छी किस्मों के बीज (wheat best quality seed) उपलब्ध नहीं हैं, जैसे पीवीडब्ल्यू 343, पीवीडब्ल्यू 502, एचडी 2967 बीज। जिससे समस्या और बढ़ रही है।
सरकार दे रही किफायती दाम पर आटा -
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यूपी के रोलर फ्लोर नाम की एक प्रमुख मिल एसोसिएशन (Roller Floor Mill Association) के अध्यक्ष ने बताया कि सरकार ने सस्ते दाम पर विदेश से आटा मंगवाया है। साथ ही, सरकार ने मिलों को खुले बाजार में गेहूं देने की योजना बनाई है। इसका उद्देश्य गेहूं और आटे की कीमतों को नियंत्रित करना है। हालांकि गेहूं के भाव (gehu ka aaj ka bhav) पर नियंत्रण पाने के लिए सरकार के कदम नाकाफी लग रहे हैं।