Supreme Court: कर्मचारियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट के दो फैसले, दोनों कर्मचारियों के हक में
 

कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) के कुछ प्रावधानों में बदलाव करते हुए कर्मचारियों को योजना के तहत विकल्प का लाभ उठाने की अनुमति दी, जो नियोक्ता और कर्मचारी को सीमा से इतरपेंशन योगदान की इजाजत देता है।
 
 

HR Breaking News, Digital Desk- सुप्रीम कोर्ट ने 2014 के कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना की वैधता को बरकरार रखा है। कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें इस योजना को खारिज कर दिया गया था। शीर्ष कोर्ट ने फैसले में संशोधन योजना को बरकरार रखते हुए वास्तविक वेतन की बजाय पेंशन की गणना के लिए 15000 रुपये की सीमा को मान्य किया है। 


हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) के कुछ प्रावधानों में बदलाव करते हुए कर्मचारियों को योजना के तहत विकल्प का लाभ उठाने की अनुमति दी, जो नियोक्ता और कर्मचारी को सीमा से इतर (अनकैप्ट) पेंशन योगदान की इजाजत देता है। जिन कर्मचारियों ने स्पष्टता की कमी के कारण योजना में शामिल होने के विकल्प का प्रयोग नहीं किया था, उन्हें इसका उपयोग करने के लिए चार महीने का समय दिया जाएगा।

चीफ जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने वास्तव में आरसी गुप्ता बनाम क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त के अपने 2016 के फैसले को बरकरार रखा, जिसमें यह माना गया था कि योजना के तहत विकल्प का लाभ उठाने के लिए कोई कट-ऑफ तारीख नहीं हो सकती है। हालांकि एक सितंबर, 2014 के संशोधन से पहले बिना संशोधित ईपीएस के पैरा- 11 (3) के तहत विकल्प का प्रयोग किए बिना सेवानिवृत्त हो चुके कर्मचारी, योजना के तहत विकल्प का उपयोग करने के पात्र नहीं होंगे।

पीठ ने 15 हजार से अधिक वेतन होने पर योजना के तहत सदस्यों के 1.16 फीसदी अतिरिक्त योगदान के प्रावधान को पीठ ने अवैध ठहरा दिया है। हालांकि, फैसले के इस हिस्से को छह महीने के लिए स्थगित रखा गया है, ताकि सरकार योजना में उपयुक्त बदलाव कर सके। सुप्रीम कोर्ट ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा दायर अपीलों के एक समूह पर यह फैसला सुनाया। केरल, राजस्थान और दिल्ली हाईकोर्ट के 2014 कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना को दरकिनार करने के आदेशों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

जेसीओ रैंक के अधिकारियों को यथानुपात पेंशन मिलेगी-


रक्षा मंत्रालय ने कम से कम 10 साल की सेवा वाले जूनियर कमीशंड अधिकारियों और अन्य रैंक (जेसीओ एंड ओआर) अधिकारियों को यथानुपात (प्रो रेटा) पेंशन देने का फैसला किया है। पहले यह सुविधा केवल कमीशंड अधिकारियों को मिलती थी। 

मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पूर्व सैनिक विभाग के इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है और मंत्रालय ने शुक्रवार को जरूरी आदेश भी जारी कर दिए। आदेश के अनुसार, यह प्रावधान उन अधिकारियों पर लागू होगा जो सीपीएसई/सीपीएसयू में छह मार्च 1985 या उसके बाद और केंद्र सरकार के स्वायत्त संगठन में 31 मार्च 1987 या उसके बाद स्थाई रूप से शामिल हुए हों।