Noida से लखनऊ का सफर हो जाएगा आसान, 45000 करोड़ की लागत से यहां बनेगा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे
Noida - उत्तर प्रदेश में नोएडा से लखनऊ तक एक नया ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे बनने जा रहा है। लगभग ₹45,000 करोड़ की लागत वाली यह परियोजना दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) और लखनऊ के बीच यात्रा का समय काफी कम कर देगी... इस एक्सप्रेसवे से जुड़ी पूरी जानकारी जानने के लिए इस खबर को पूरा पढ़ लें-
HR Breaking News, Digital Desk- (Expressway Noida Lucknow) उत्तर प्रदेश में नोएडा से लखनऊ तक एक नया ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे बनने जा रहा है। लगभग ₹45,000 करोड़ की लागत वाली यह परियोजना दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) और लखनऊ के बीच यात्रा का समय काफी कम कर देगी। यह एक्सप्रेसवे व्यापार, उद्योग और निवेश के लिए नए रास्ते खोलेगा, जिससे राज्य की आर्थिक और सड़क संपर्क व्यवस्था में बड़ा बदलाव आएगा।
8-9 घंटे से घटकर 3-4 घंटे की यात्रा-
उत्तर प्रदेश का विकास हो रहा है। नोएडा (Noida) और लखनऊ (lucknow) को जोड़ने वाला नया एक्सप्रेसवे यातायात को आसान बना देगा। वर्तमान में सड़क मार्ग से 8 से 9 घंटे का समय लगता है, जो एक्सप्रेसवे चालू होने के बाद घटकर मात्र 3 से 4 घंटे रह जाएगा। यह बदलाव न केवल यात्रियों के लिए सुविधाजनक होगा, बल्कि इससे माल ढुलाई और औद्योगिक परिवहन (industrial transportation) को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी।
पूरी तरह एक्सेस-कंट्रोल्ड ग्रीनफील्ड कॉरिडोर-
यह परियोजना एक ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के रूप में विकसित की जाएगी, जिसका अर्थ है कि इसे नई भूमि पर शून्य से विकसित किया जाएगा। इसमें कोई ट्रैफिक सिग्नल नहीं होगा और वाहन बिना रुके तेज गति से यात्रा कर सकेंगे। प्रमुख विशेषताएँ होंगी:
स्मार्ट टोलिंग सिस्टम – वाहन बिना रुके टोल पार करेंगे।
सर्विस लेन – लोकल ट्रैफिक के लिए अलग व्यवस्था।
ओवरब्रिज और अंडरपास – हर प्रमुख जंक्शन पर सुरक्षित क्रॉसिंग।
समर्पित ट्रैफिक मैनेजमेंट सेंटर – हर समय मॉनिटरिंग और सुरक्षा व्यवस्था।
इको-फ्रेंडली डिजाइन – ध्वनि रोधी दीवारें, वर्षा जल संचयन और सोलर लाइटिंग।
आर्थिक विकास को मिलेगी रफ्तार-
इस एक्सप्रेसवे के बनने से उत्तर प्रदेश के पश्चिमी और केंद्रीय हिस्सों के बीच कनेक्टिविटी मजबूत होगी। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और दिल्ली-एनसीआर के उद्योगों से जुड़े माल को लखनऊ और आसपास के बाजारों तक तेज़ी से पहुँचाया जा सकेगा।
व्यापार को बढ़ावा – निर्यातक और आपूर्ति श्रृंखला कंपनियों को लॉजिस्टिक्स लागत घटेगी।
निवेश के नए अवसर – हाई-स्पीड कनेक्टिविटी से औद्योगिक पार्क और वेयरहाउस हब का विकास होगा।
पर्यटन को बढ़ावा – लखनऊ, कानपुर और आसपास के ऐतिहासिक व धार्मिक स्थलों तक पहुँच आसान होगी।
2026 तक परियोजना पूरी करने का लक्ष्य-
उत्तर प्रदेश सरकार और NHAI मिलकर बलिया-लिंक एक्सप्रेसवे परियोजना को 2026 तक पूरा करने की तैयारी में हैं। इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) अंतिम चरण में है और जल्द ही भूमि अधिग्रहण शुरू होगा। इस परियोजना का उद्देश्य निर्माण कार्य को गति देना है ताकि इसे समय पर पूरा किया जा सके।
रोजगार और क्षेत्रीय विकास के अवसर-
इस एक्सप्रेस वे के निर्माण से हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। निर्माण सामग्री, इंजीनियरिंग सेवाएं, ढांचागत सुविधाएं और स्थानीय संसाधनों की मांग बढ़ेगी। इसके अलावा, रास्ते में पड़ने वाले कस्बों और शहरों में रियल एस्टेट और व्यापारिक गतिविधियों का विस्तार होगा।
सुरक्षा और आधुनिक तकनीक का मेल-
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे (Delhi-Mumbai Expressway) को अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ भारत का सबसे सुरक्षित मार्ग बनाया जा रहा है। पूरी तरह से सीसीटीवी कैमरों, आपातकालीन कॉल बॉक्स और एम्बुलेंस से लैस इस एक्सप्रेसवे पर हर 30-40 किमी पर ट्रैफिक कंट्रोल यूनिट (traffic control unit) और हर 100 किमी पर फ्यूल स्टेशन और रेस्ट एरिया होंगे। स्मार्ट लाइटिंग और स्वचालित मॉनिटरिंग सिस्टम (Automated Monitoring System) यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।
ग्रीन कॉरिडोर का लाभ-
यह एक्सप्रेसवे इको-फ्रेंडली ग्रीन कॉरिडोर (Eco-friendly Green Corridor) के रूप में भी विकसित होगा। किनारों पर लाखों पौधे लगाए जाएंगे और सौर ऊर्जा से कुछ हिस्से रोशन होंगे। वर्षा जल संग्रहण प्रणाली भी बनाई जाएगी ताकि पर्यावरण संरक्षण और भूजल स्तर को लाभ मिले।
राज्य के लिए रणनीतिक महत्व-
नोएडा से लखनऊ के बीच हाई-स्पीड कनेक्टिविटी उत्तर प्रदेश के विकास के लिए रणनीतिक दृष्टि से अहम है।
यह एक्सप्रेसवे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे और पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को जोड़ सकता है।
राज्य के औद्योगिक गलियारों को नई दिशा मिलेगी।
पूर्वी और पश्चिमी यूपी के बीच आर्थिक असंतुलन घटेगा।