किराएदारों को Supreme Court ने दी बड़ी राहत, मकान मालिक को झटका

Supreme Court - हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने किराया न दे पाने के एक मामले में एक अहम फैसला सुनाया। बता दें कि कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि किसी मजबूरी के चलते अगर कोई किराया नहीं दे सका तो उसने कोई अपराध नहीं है... कोर्ट की ओर से आए इस फैसले को विस्तार से जानने के लिए खबर के साथ अंत तक बने रहे। 
 

HR Breaking News, Digital Desk- सुप्रीम कोर्ट ने किराया न दे पाने के एक मामले में अहम फैसला सुनाया. कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि किसी मजबूरी के चलते अगर कोई किराया नहीं दे सका तो उसने कोई अपराध नहीं है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एक मकान मालिक की इसी मामले में दर्ज की गई याचिका को भी खारिज कर दिया है.

IPC के तहत नहीं दर्ज हो सकता केस-

जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि अगर किराएदार किसी मजबूरी के चलते बकाया किराए की रकम नहीं देता तो हमारा मानना है कि यह कोई क्राइम नहीं है, भले ही शिकायत में दिए तथ्य सही हों. किराया न चुका पाने पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है, लेकिन IPC के तहत केस दर्ज नहीं होगा.

मामले से जुड़ी एफआईआर भी रद की-

बेंच ने कहा कि केस में धारा 415 (धोखाधड़ी) और धारा 403 (संपत्ति का बेईमानी से दुरुपयोग) के तहत अपराध को साबित करने वाली जरूरी और बुनियादी बातें गायब हैं. कोर्ट ने मामले से जुड़ी FIR भी रद कर दी है. इसके पहले यह मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट के पास था, लेकिन कोर्ट ने अपीलकर्ता के खिलाफ FIR रद्द करने से इनकार कर दिया था.

'सिविल रेमेडीज के तहत सुलझ सकता है मामला'-

दलीलें सुनने के बाद बेंच ने कहा कि किराएदार ने संपत्ति को खाली कर दिया है तो इस मामले को सिविल रेमेडीज के तहत सुलझाया जा सकता है, इसके लिए कोर्ट इजाजत देता है.