supreme court : कर्मचारियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- पुराने फैसले को नहीं बना सकते ढाल
Supreme Court :सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि पुराने फैसले का हवाला देकर कर्मचारियों को उनके हकों से वंचित नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले से कई राज्यों के कर्मचारियों को राहत मिलेगी। वे कर्मचारी भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अपने हकों के लिए रेफरेंस के तौर पर प्रयोग कर सकेंगे।
HR Breaking News (Supreme Court) : सुप्रीम कोर्ट की ओर से कर्मचारियों के मामले में बड़ा फैसला आया है। यह फैसला संविदा पर काम कर रहे कर्मचारियों के पक्ष को मजबूत करेगा। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की ओर से नौकरी में स्थायी लाभ देने से बचने के लिए सरकारों के कदम की आलोचना की है।
बता दें कि नौकरी के स्थायी लाभ को न देने की के लिए संविदा पर अस्थायी नियुक्तियां करना सरकारों का चलन बनता जा रहा है।
Supreme Court केन कही अहम बात
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court decision) की ओर से फैसले में बहुत अहम बातें कहीं गई हैं, जो कर्मचारियों के अधिकारों को बल देंगी। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है कि सरकारी संस्थानों व कार्यालयों में स्वीकृत पदों पर लंबे समय से संविदा (कॉन्ट्रेक्ट) पर कार्यरत अस्थायी यानी कच्चे कर्मचारियों को इस आधार पर नौकरी में पक्का करने से नहीं रोक सकते कि उनकी शुरूआत में ज्वाइनिंग अस्थायी कर्मचारी के तौर पर हुई है।
सरकारों के चलन की आलोचना की
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court order) ने सरकारों के इस चलन की आलोचना भी की कि कर्मचारियों को नौकरी के स्थायी लाभ देने से बचने के लिए सरकारें संविदा पर अस्थायी नियुक्तियां कर कतरी है। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की बेंच ने मामले की सुनवाई की। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में नगर निगम में माली के पद पर 1999 से अस्थायी तौर पर कार्यरत कर्मियों की ओर से याचिका दायर की गई थी। सुनवाई के बाद कोर्ट ने इसपर यह फैसला दिया है।
स्वीकृत पदों पर कच्चे कर्मचारियों को पक्का करना अनुचति नहीं
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court latest Decision) ने फैसले के दौरान भारतीय श्रम कानून का भी हवाला दिया। कोर्ट ने कहा कि श्रम कानून स्थायी नेचर के कार्य वाली पोस्ट पर लगातार दैनिक वेतन अथवा संविदा पर कर्मचारी रखना सही नहीं है। अपील करने वाले कच्चे कर्मचारी वर्षों से पक्के कर्मचारियों के समान काम कर रहे हैं, परंतु, उनको सही सैलरी और लाभों से वंचित रखा गया है।
कोर्ट की ओर से सरकार के उस तर्क को खारिज कर दिया गया कि भर्ती पर रोक होने की वजह से कच्चे कर्मियों को नियमित नहीं कर सकते। अदालत ने कर्मचारियों की अपील को स्वीकार किया और नगर पालिका को छह महीने के अंदर नियमितीकरण प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए हैं।
पुराने फैसले को नहीं बनाया जा सकता ढाल
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की ओर से पुराने फैसले को ढाल नहीं माना गया। कोर्ट ने कहा कि उमा देवी मामले में 2006 में दिया गया सुप्रीम कोर्ट का निर्णय कर्मचारियों को स्थायी पद के लाभों से वंचित कर उनके शोषण को सही नहीं ठहराता है। बता दें कि उमा देवी के मामले में अदालत की ओर से कहा गया था कि दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी स्वीकृत पदों पर स्थायी रोजगार का दावा जरूरी संवैधानिक औपचारिकताओं को पूरा किए बगैर नहीं कर सकते हैं।
राज्यों के कर्मचारियों को भी होगा लाभ
संविदा पर कर्मचारी रखने का चलन हर राज्य में बढ़ता जा रहा है। राज्यों में बढ़ती इस समस्या पर फैसले का असर पड़ सकता है। सरकारी पदों पर कार्य कर रहे कच्चे कर्मचारी लगातार पक्के करने की मांग उठाते रहते हैं, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के ऐसे फैसले से उनके अधिकारों को भी बल मिलेगा।