UP के कर्मचारियों की हुई मौज, कोर्ट ने समान वेतन पर कोर्ट ने लगाई मुहर, इतनी बढ़ेगी सैलरी

यूपी सरकार ने कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने कर्मचारियों के समान वेतन पर मुहर लगा दी है। अब जल्द ही पीआरडी के जवानों को होमगार्डों के बराबर वेतन भुगतान किया जाएगा। 

 

HR Breaking News (नई दिल्ली)। 7th pay commission salary मानदेय को लेकर सरकार और प्रांतीय रक्षक दल(पीआरडी) दल के बीच कोर्ट में चल रही लड़ाई में हाई कोर्ट ने कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश देते हुए कहा है कि पीआरडी जवानों को होमगार्डों के बराबर सैलरी का भुगतान किया जाए। न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने कहा है कि ये संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। सरकार इसका जल्द ही निराकरण करे।


7th pay commission salary दरअसल पीआरडी जवानों की ओर से लगाई गई याचिकाओं में कहा गया था कि याची प्रांतीय रक्षक दल में चयनित अभ्यर्थी हैं। उन्होंने बाकायदा प्रशिक्षण प्राप्त किया है और उन्हें सर्टिफिकेट भी जारी किया गया है लेकिन उन्हें उन्हीं के समान चयनित और लगभग वही काम करने वाले होमगार्ड जवानों के बराबर मानदेय नहीं दिया जा रहा है, जो संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। याचिकाओं में कहा गया था कि होमगार्डों की नियुक्ति भी उसी प्रकार होती है, जैसे पीआरडी जवानों की होती है।


इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में याचियों का कहना था कि प्रांतीय रक्षक दल और होमगार्ड सेवाओं का गठन अलग-अलग विभागों के तहत किया गया है। उनसे सामान्य दिनों में भी लोक शांति से संबंधित कार्य व सेवाएं ली जाती हैं। उसी प्रकार होमगार्ड से ली जाती हैं। प्रांतीय रक्षक दल के जवानों को 2013 तक 126 रुपये प्रतिदिन मानदेय मिलता रहा जबकि होमगार्ड के जवानों को 2009 तक 140 रुपये मिलता था, जिसे बढ़ाकर 210 रुपये कर दिया गया।

वर्तमान में होमगार्ड का मानदेय 375 रुपये प्रतिदिन से बढ़ा करके 500 रुपये प्रतिदिन कर दिया गया है जबकि प्रांतीय रक्षक दल के जवानों को हाईकोर्ट के निर्देश के बाद वर्तमान में 375 रुपये प्रतिदिन ही मानदेय दिया जा रहा है। होमगार्डों के समान ही सेवा देने और होमगार्डों की ही तरह नियुक्ति प्रक्रिया होने के बावजूद कम मानदेय देना भेदभावपूर्ण व मनमानापूर्ण है।


याचिकाओं में यह भी कहा गया था कि यह संविधान के अनुच्छेद 23 का भी उल्लंघन है क्योंकि पीआरडी जवानों को मिल रहा मानदेय न्यूनतम वेतन से कम है। कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने गृह रक्षक होमगार्ड वेलफेयर एसोसिएशन के केस में होमगार्डों को पुलिस बल के जवानों को एक माह में मिलने वाले वेतन के बराबर न्यूनतम मानदेय देने का निर्देश दिया था। पीआरडी जवान भी होमगार्डों के समान ही मानदेय पाने के हकदार हैं।


राज्य सरकार के अधिवक्ता का कहना था कि होमगार्ड और पीआरडी के जवानों का काम भले ही एक जैसा है लेकिन दोनों अलग-अलग विभागों के तहत काम करते हैं और उन्हें मानदेय का भुगतान राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए बजट के अनुसार किया जाता है। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति को उसकी आर्थिक मजबूरी और काम के विकल्प के अभाव में न्यूनतम मजदूरी से कम मजदूरी पर काम करने के लिए विवश करना बंधुआ मजदूरी के समान ही है।

यह अनुच्छेद 23 के विपरीत भी है। कोई व्यक्ति न्यूनतम मजदूरी से कम मजदूरी पर काम करने को तभी तैयार होता है, जब उसके पास अपनी आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करने का कोई अन्य विकल्प नहीं होता। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि तीन माह के अंदर पीआरडी जवानों को होमगार्डों के समान मानदेय भुगतान को लेकर आदेश जारी करे।


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्युनल्स को मुआवजा अवार्ड करने में बजाज एलियांज केस में सुप्रीम कोर्ट की मुआवजा गाइड लाइंस का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति डॉ कौशल जयेंद्र ठाकर ने राज्य सड़क परिवहन निगम की अपील पर उनके अधिवक्ता और पीड़िता सुषमा सिंह व अन्य की ओर से अधिवक्ता वीके चंदेल व मयंक कृष्ण चंदेल को सुनकर दिया है। कोर्ट ने जौनपुर के ट्रिब्युनल द्वारा उप्र राज्य सड़क परिवहन निगम को जारी मुआवजा अवार्ड को संशोधित करते हुए पांच लाख 60 हजार 800 रुपये भुगतान करने का आदेश दिया है।