No cost EMI की भी होती है कीमत, यहां 'मुफ्त' में कुछ नहीं मिलता
Actual cost of Zero cost EMI: आप जब भी को वाहन, इलेक्ट्रिक सामान या कोई मोबाइलफोन खरीदने जाते हैं और इस पर लोन करना चाहते हैं तो आपको ‘नो कॉस्ट ईएमआई’ (No Cost EMI) या ‘जीरो कॉस्ट ईएमआई’ (Zero Cost EMI) टर्म जरूर सुनने को मिलेगी.
ऑनलाइन शॉपिंग (Online Shopping) के दौरान खासकर मोबाइल या लैपटॉप (Mobile Or Laptop) की खरीद पर यह टर्म जरूर सामने आती है. त्योहारी मौसम में ऑनलाइन और ऑफलाइन सामान खरीदने के दौरान तमाम कंपनियां या दुकानदार नो-कॉस्ट ईएमआई (No Cost EMI) का ऑफर देते हैं.
जीरो कॉस्ट ईएमआई (Zero Cost EMI) या नो कॉस्ट ईएमआई (No Cost EMI) का मतलब है कि अगर आपने क्रेडिट पर कोई सामान खरीदा है, तो आपको मूलधन पर कोई अतिरिक्त ब्याज नहीं देना होगा. आप बिना किसी अतिरिक्त लागत के आसान किस्तों में केवल सामान की वास्तविक कीमत का भुगतान करते हैं.
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अगर आपने 20,000 रुपये का कोई सामान खरीदा है और नो कॉस्ट ईएमआई (No Cost EMI) सुविधा लेते हैं तो आपको किस्तों में केवल 20,000 रुपये का ही भुगतान देना होगा. अलग से कोई ब्याज या अतिरिक्त चार्ज नहीं देना होगा. लेकिन बाजार का कटु सत्य यह है कि यहां मुफ्त में कुछ भी नहीं मिलता.
बाजार में नो-कॉस्ट ईएमआई (No Cost) की भी कीमत (No Cost EMI Cost) होती है. और खासतौर पर लोन तो कतई ब्याज मुक्त (Interest Free) नहीं होता है.
क्या कहता है रिजर्व बैंक
खुद भारतीय रिजर्व बैंक- आरबीआई (RBI) के एक सर्कुलेशन में कहा है कि कोई भी लोन ब्याज मुक्त नहीं है. 2013 का आरबीआई (RBI) का एक सर्कुलर कहता है कि क्रेडिट कार्ड आउटस्टैंडिंग्स (Credit Card Outstanding) पर जीरो पर्सेंट ईएमआई (Zero Percent EMI) स्कीम में ब्याज की रकम की वसूली अक्सर प्रोसेसिंग फीस के रूप में कर ली जाती है. ठीक उसी तरह कुछ बैंक अपने द्वारा दिए लोन का ब्याज सामान की कीमत से वसूल रहे हैं. नो कॉस्ट ईएमआई (No Cost EMI) जैसी स्कीम का इस्तेमाल सिर्फ ग्राहकों को लुभाने के लिए किया जाता है.
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सामान की कीमत में शामिल होता है ब्याज
नो-कॉस्ट ईएमआई (No Cost EMI) में ब्याज परोक्ष रूप से सामान की अधिक कीमत वसूल कर नो-कॉस्ट ईएमआई (No Cost EMI) में शामिल किया जाता है, इसलिए ब्याज के लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगता है. नो-कॉस्ट ईएमआई (No Cost EMI) लोन का ही एक हिस्सा है जो आपको बिना किसी ब्याज (Loan Interest Rate) के समय के साथ खरीदारी के लिए भुगतान करने की अनुमति देता है. ऊपरी तौर पर यह आकर्षक लग सकता है, परन्तु वास्तव में आप इसकी एक कीमत चुकाते हैं.
MyMoneyMantra.com के संस्थापक और एमडी राज खोसला (Raj Khosla) ने livemint.com को बताया कि आमतौर पर, एक नियमित ईएमआई (EMI) का मतलब है कि उत्पाद लागत का मासिक भुगतान मूलधन और ब्याज के साथ जुड़ा हुआ है. नो-कॉस्ट ईएमआई (No Cost EMI) योजनाओं में ब्याज की राशि उत्पाद की कीमत में शामिल की जाती है.
राज खोसला कहते हैं कि नो कॉस्ट ईएमआई (No Cost EMI) एक भ्रम है. यहां ब्याज की रकम ईएमआई (EMI) में वसूल ही ली जाती है. अगर आप अगर खरीदारी करते वक्त जीरो कॉस्ट ईएमआई (Zero Cost EMI) के नियमों एवं शर्तों को गौर से तो आप इसे समझ सकते हैं.
नो कॉस्ट ईएमआई स्कीम (No Cost EMI Scheme)
राज खोसला (Raj Khosla) कहते हैं कि जीरो पर्सेंट स्कीम (Zero Percent) कुछ नहीं है, बल्कि मार्केटिंग (Marketing) का एक फंडा है. लोन का ब्याज किसी और रूप में ग्राहकों से ही वसूला जाता है. वे बताते हैं कि ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियां (Online Shopping) अक्सर किसी सामान का पूरा भुगतान करने पर आपको जो छूट देती हैं, नो-कॉस्ट ईएमआई (No Cost EMI) में उसे नहीं देते.
छूट की वही रकम बैंक या लोन देने वाली संस्थान को देते हैं. दूसरा तरीका यह है कि लोन पर ब्याज की रकम भी सामान की कीमत में ही जोड़ दी जाती है. नो-कॉस्ट ईएमआई (No Cost EMI) पर कंपनियां अपने सामान पर डिस्काउंट आपको नहीं बल्कि फाइनेंस कंपनियों को देती हैं. नो-कॉस्ट ईएमआई पर बैंक या फाइनेंस कंपनियां ऊंची ब्याज दर वसूल करती हैं और यह ब्याज दर 15 फीसदी या इससे ऊपर हो सकता है.
नो-कॉस्ट EMI हमेशा तीन हिस्सों में बंटा होती है. इसमें रिटेलर, बैंक या फाइनेंस कंपनी और ग्राहक तीनों शामिल होते हैं. हालांकि, ग्राहक को यह फायदा होता है कि उसे सामान के पूरे पैसे एकसाथ नहीं चुकाने पड़ते.
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कैश इन किंग
टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन कहते हैं- ‘कैश इन किंग’ (Cash is King). सामान हमेशा नकद ही खरीदें, नहीं तो कर्ज के जाल में फंस जाएंगे. नो-कॉस्ट EMI के लिए आपके पास क्रेडिट कार्ड (Credit Card) होना जरूरी है. और आप जानते हैं कि क्रेडिट कार्ड (Credit Card) पर कुछ भी मुफ्त नहीं मिलता. बल्कि मोटा ब्याज वसूला जाता है. इसलिए आगे से जब भी आप नो-कॉस्ट ईएमआई (No Cost EMI) पर सामान खरीदने का प्लान बनाएं तो पहले सारा गणित अच्छी तरह से समझ लें.