Bank News :  धोखाधड़ी के शिकार 5 ग्राहकों को 15 साल तक बैंक कटवाता रहा कोर्ट-कचहेरी के चक्कर, अब NCDRC ने दिए ये आदेश

बैंक ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी के मामले आए दिन सोशल मीडिया पर सामने आते रहते हैं। एक ऐसा ही 15 साल पुराना मामला सामने आया है, जिसमें पांच बैंक ग्राहकों के अकाउंट से फर्जी चेक के माध्यम से पैसे निकाले गए थे। धोखाधड़ी के शिकार ग्राहकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन इंसाफ नहीं मिला। अब हाल ही में NCDRC इस मामले पर एक बड़ा फैसला सुनाया है। चलिए जानते हैं- 

 

HR Breaking News (ब्यूरो)। चेक फ्रॉड मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) ने बड़ा फैसला सुनाते हुए एक्सिस बैंक को धोखाधड़ी के शिकार हुए पांच व्यक्तियों को 73.93 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश  दिया है. इन पांच लोगों के खातों से फर्जी चेक के माध्‍यम से पैसे निकाले गए थे. घटना साल 2008 की है. बैंक पिछले पंद्रह वर्षों से धोखाधड़ी के शिकार हुए ग्राहकों के नुकसान की भरपाई से आनाकानी कर रहा था. हालांकि, बैंक को जिला उपभोक्‍ता अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक मुंह की खानी पड़ी. अब राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता विवाद निवारण आयोग के फैसले के बाद पीड़ित ग्राहकों को कोर्ट-कचहरी के चक्‍कर लगाने से राहत मिली है।

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एनसीडीआरसी ने राज्य उपभोक्ता आयोग के आदेश को ही लागू रखते हुए कहा कि वोटर कार्ड, बिजली बिल, फोन बिल, पासपोर्ट आदि डॉक्यूमेंट्स मिलने के बाद भी बैंक ने केवाईसी की प्रक्रिया को पूरा नहीं किया था. ऐसे में NCDRC ने बैंक को धोखाधड़ी से निकाले गए 68.93 लाख रुपये चुकाने के अलावा 5 लाख रुपये बतौर जुर्माना पांचों शिकायतकर्ताओं को देने का आदेश दिया है.

यह था मामला

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24 मई 2008 को एक पीड़ित अपने बैंक खाते से कुछ पैसे निकालने पहुंचे था. उस समय व्यक्ति के खाते में 11.93 लाख रुपये थे. बैंक जाने पर उसे पता चला कि उसके खाते में केवल 10,000 रुपये बचे थे. ऐसे में मामले की जांच करने पर यह पता चला कि किसी गुरविंदर सिंह नाम के व्यक्ति ने एक फर्जी चेक लगाकर पीड़ित के खाते से 11.83 लाख रुपये निकाल लिए थे. एक्सिस बैंक की उसी शाखा में चार और घटनाएं सामने आई थीं, जिसमें फर्जी चेक के जरिए ग्राहकों के खाते से कुल 68.93 लाख रुपये निकाल लिए गए.

चेक फ्रॉड की शिकायत एक्सिस बैंक ने पुलिस को दी और संदिग्ध गुरविंदर सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया. बैंक ने इस चेक फ्रॉड की जानकारी रिजर्व बैंक को भी दी थी. इसके बाद एक्सिस बैंक ने मामले की जांच के लिए एक स्पेशल टीम का भी गठन किया. एक्सिस बैंक ने अपने स्टाफ का बचाव करते हुए कहा कि उसके बैंक अधिकारियों ने किसी भी गलत इरादे से कार्य नहीं किया था. बैंक ने NCDRC ने में सफाई पेश करते है कहा कि उसने मामले में तुरंत एफआईआर दर्ज करने से लेकर जांच तक सभी जिम्मेदारी को पूरा किया है.


नुकसान की भरपाई से बचता रहा बैंक

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पीडित ग्राहक इस मामले को जिला उपभोक्ता फोरम में ले गए. जिला उपभोक्ता फोरम ने सभी तथ्यों और सबूतों को देखने के बाद राय दी कि बैंक की गलती है और उन्हें मुआवजे के साथ धोखाधड़ी से निकाली गई राशि का भुगतान करना चाहिए. जिला उपभोक्ता फोरम में केस हारने के बाद एक्सिस बैंक ने राज्य उपभोक्ता फोरम में अपील दायर की. इस आदेश के खिलाफ बैंक ने 2015 में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक विशेष अनुमति याचिका दायर की.

अदालत ने मामले को राज्य आयोग को यह जांचने के लिए भेज दिया कि क्या बैंक के खाते से डेबिट करना उचित था. राज्य उपभोक्ता आयोग में केस हारने के बाद बैंक ने एनसीडीआरसी में अपील दायर की. एनसीडीआरसी ने कहा कि राज्य आयोग द्वारा पारित आदेश में कोई गलती नहीं है और यह उचित है. बैंक को पीड़ितों को मुआवजा देना होगा.