Income Tax : इनकम टैक्स स्लैब नहीं बढ़ाएगी सरकार, लिमिट बढ़कर होगी 1,00,000

Income Tax : आपको बता दें कि निर्मला सीतारमण मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट पेश करने वाली है क्योंकि उसके बाद देशभर में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में सरकार अपने वोट बैंक को भुनाने खासकर सैलरी क्लास के कई ऐलान कर सकती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक ये कहा जा रहा है कि इनकम टैक्स स्लैब नहीं बढ़ाएगी सरकार....
 

HR Breaking News, Digital Desk- Budget 2024: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2024 को छठी बार बजट (Union Budget 2024) पेश करेंगी। निर्मला सीतारमण मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट पेश करने वाली है क्योंकि उसके बाद देशभर में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में सरकार अपने वोट बैंक को भुनाने खासकर सैलरी क्लास के कई ऐलान कर सकती है।

सरकार नौकरीपेशा के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ा सकती है। नौकरीपेशा टैक्सपेयर्स उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार स्टैंडर्ड डिडक्शन को 50,000 रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दे। ताकि, उनके हाथ आने वाला पैसा थोड़ा बढ़ सके और उन्हें बढ़ती महंगाई से निपटने में मदद मिल सके। हालांकि, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि बजट में कोई भी बड़ी घोषणाएं नहीं की जाएगी लेकिन सरकार अपने वोट बैंक के लिए कुछ खास घोषणाएं कर सकती हैं।

टैक्सपेयर्स को मिलता है स्टैंडर्ड डिडक्शन-

इनकम टैक्स एक्ट (Income Tax Act) के तहत नौकरी करने वाले लोगों को एक खास राहत मिली हुई है। पेंशन पाने वाले लोग भी इसका फायदा उठा सकते हैं। इसे स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard Deduction) कहा जाता है। इसमें एक निश्चित अमाउंट नौकरी करने वाले व्यक्ति की टैक्सेबल इनकम से घटा दिया जाता है। इससे नौकरीपेशा की टैक्सेबल इनकम घट जाती है, जिससे उसकी टैक्स लायबिलिटी यानी देने वाला टैक्स भी कम हो जाता है।

टैक्सपेयर्स को मिलती है इतनी राहत-

स्टैंडर्ड डिडक्शन के लिए 50,000 रुपये का अमाउंट तय है। इसका फायदा सभी टैक्सपेयर्स और पेंशनर्स उठा सकते हैं। सरकारी और प्राइवेट नौकरी करने वाले टैक्सपेयर्स इसका फायदा उठा सकते हैं। सेल्फ-एंप्लॉयड टैक्सपेयर्स को स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा नहीं मिलता है। इसी तरह कारोबार करने वाले टैक्सपेयर्स को भी यह राहत नहीं मिलती है।

किस सेक्शन के तहत मिलती है यह राहत?

इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 16 के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन दिया जाता है। खास बात यह है कि टैक्सपेयर्स की एनुअल इनकम कम हो या ज्यादा उन्हें एक निश्चित अमाउंट ही डिडक्ट करने की इजाजत है। इसलिए कम इनकम वाले टैक्सपेयर्स को इससे काफी राहत मिलती है।

कब हुई थी शुरुआत?

स्टैंडर्ड डिडक्शन की शुरुआत 1974 में हुई थी। लेकिन, बाद में इस प्रावधान को खत्म कर दिया गया था। यूनियन बजट 2018 में इसे फिर से शुरू किया गया था। अब तक स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा सिर्फ उन टैक्सपेयर्स को मिलता था, जो इनकम टैक्स की ओल्ड रीजीम का इस्तेमाल करते थे। अब इसका लाभ वैसे टैक्सपेयर्स भी उठा सकते हैं, जो इनकम टैक्स की नई रीजीम का इस्तेमाल करते हैं। इसका ऐलान 1 फरवरी 2023 को पेश बजट में किया गया था।