FD से हुई कमाई पर अब देना होगा इतना टैक्स, इससे बचने के लिए ये हैं 3 तरीके

fixed deposit - हर कोई अपनी कमाई को बढ़ाना चाहता है। ऐसे में लोग पैसा निवेश करने के लिए कई तरह के विकल्प ढूंढ़ते हैं। मौजूदा समय में युवा से लेकर सीनियर सिटीजन तक एफडी (fixed deposit) में निवेश करना पसंद करते हैं। क्योंकि फिकस्ड डिपॉजिट में ज्यादा रिनर्ट मिलता है और पैसा भी सेफ रहता है। लेकिन वहीं, सवाल यह भी बनता है  कि एफडी (FD) से होने वाली कमाई पर कितना टैक्स (Tax on fixed deposits) देना पड़ता है। अगर आप फिकस्ड डिपॉजिट (FD) में निवेश करने की सोच रहे हैं और एफडी से हुई कमाई पर टैक्स देने से बचना चाहते हैं तो ये तीन तरीके आपके बेहद काम आएंगे। चलिए नीचे खबर में जानते हैं- 
 
 

HR Breaking News, Digital Desk-  पैसा निवेश करने के लिए निवेशक कम रिस्क वाला और ज्यादा ब्याज देने वाला इंवेस्टमेंट ऑप्शन ढूंढ़ते हैं। और ऐसे में फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) से अच्छा ऑप्शन और कहीं नहीं मिल सकता। आजकल युवा से लेकर सीनियर सिटीरजन तक एफडी में निवेश करना पसंद करते हैं क्योंकि एफडी (fixed deposit) में आपका पैसा पूरी तरह से सुरक्षित रहता है। लेकिन वहीं, कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर होने वाली ब्याज की कमाई पर टैक्स कटता है। एफडी से ब्याज की कमाई पूरी तरह से टैक्स (Tax on fixed deposits) योग्य है। इसे अपनी कुल आय में जोड़ा जाता है और अपनी कुल आय पर लागू स्लैब दरों पर टैक्स की गणना की जाती है। तो आज हम आपको इस आर्टिकल में कुछ ऐसे तरीके बताने जा रहे हैं जिससे आप एफडी से होने वाली कमाई पर टैक्स लगने से बचा सकते हैं। आइए नीचे खबर में विस्तार से जानते हैं-

 

 

इसे आपके आयकर रिटर्न (ITR) में ‘अन्य स्रोतों से आय’ या इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेसज हेड में दिखाया जाता है. उसके बाद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट टैक्स काटता है. लेकिन आप चाहें तो इस कटौती को आसानी से बचा सकते हैं.

आइए सबसे पहले जानें कि बैंक कब और कितना टैक्स काटता है. यदि आप वरिष्ठ नागरिक नहीं हैं और सामान्य जमाकर्ता के तौर पर फिक्स्ड डिपॉजिट ली है और ब्याज की राशि 40,000 रुपये से अधिक है, तो बैंक आपके खाते में ब्याज जमा करते समय सोर्स पर टैक्स काटता है. वरिष्ठ नागरिक के मामले में यह सीमा 50,000 रुपये है. अर्थात एफडी पर कोई वरिष्ठ नागरिक 50,000 रुपये तक ब्याज कमाता है तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट कोई टैक्स नहीं काटेगा. इसके बाद की ब्याज की कमाई पूरी तरह से टैक्सेबल होगी.

इसलिए यह याद रखना चाहिए कि टीडीएस (TDS) ब्याज जमा होने के समय काटा जाता है न कि फिक्स्ड डिपॉजिट के मैच्योर होने पर. ऐसे में यदि आपके पास 3 साल के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) है, तो बैंक प्रत्येक वर्ष के अंत में टीडीएस  (TDS) काटेगा. फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) मैच्योर होने पर जमाकर्ता को ब्याज और मूलधन दोनों मिलते हैं. इसके अतिरिक्त, DIGCI द्वारा 5 लाख रुपये तक की फिक्स्ड डिपॉजिट का बीमा किया जाता है. अर्थात, अगर बैंक डूबता है तो डीजीसीआई की तरफ से जमाकर्ता को गारंटी के तौर पर 5 लाख रुपये जरूर मिलेंगे.

FD पर टैक्स की गणना कैसे होती है-

फिक्स्ड डिपॉजिट (Fd ) से होने वाली कमाई को इनकम टैक्स रिटर्न में हर साल आपकी कुल इनकम में जोड़ा जाता है. आपको भले ही उस साल ब्याज का पैसा न मिले और एफडी की मैच्योरिटी पर एकसाथ जोड़ कर बैंक पैसा दे, लेकिन आपको हर साल की आईटीआर में इसे दिखाना होता है. बैंक आपके पर टीडीएस काटते हैं जिसे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट बाद में एडजस्ट कर देता है.

यदि बैंक एफडी के ब्याज पर टीडीएस (TDS) नहीं काटता है तो ब्याज की कमाई को आपकी कुल कमाई के साथ जोड़ा जाता है और उसी के हिसाब से टैक्स की गणना होती है. हमेशा ध्यान रखें कि हर साल ब्याज की कमाई को आईटीआर में दिखाएं, न कि फिक्स्ड डिपॉजिट के मैच्योर होने का इंतजार करें. फिक्स्ड डिपॉजिट की मैच्योरिटी पर आपके खाते में मोटी रकम आएगी जिसके चलते आप ऊंचे टैक्स स्लैब में आ जाएंगे. हर साल कम-कम ब्याज दिखाएं तो टैक्स की निचले स्लैब में शामिल होंगे.

इस उदाहरण से समझें-

मान लें सुनील 20% टैक्स ब्रैकेट में आते हैं. उनके पास 6% वार्षिक ब्याज दर पर 3 साल की अवधि के लिए 1,00,000 रुपये की 2 एफडी हैं. पहले साल में, प्रत्येक एफडी (fixed deposit) से सुनील की ब्याज आय 6,000 रुपये है. इसलिए पहले वर्ष में कुल ब्याज 12,000 रुपये मिलेंगे. यह पैसा 40,000 रुपये की सीमा से कम है, इसलिए बैंक टीडिएस (TDS)  नहीं काटेगा.

एक और उदाहरण लें. अनुराग के पास 6% प्रति वर्ष की दर से 10 लाख रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट है. उन्हें सालाना 60,000 रुपये का ब्याज मिलता है. बैंक पूरे 60,000 रुपये पर 10% यानी 6000 रुपये पर टीडीएस (TDS) काटेगा. यहां TDS की निर्धारित दर 10% होगी.

इन 3 तरीके से बचा सकते हैं टैक्स-

1-अगर आपकी साल भर की कुल आय ₹2.5 लाख से कम है, तो आप फॉर्म 15G/15H फाइल कर सकते हैं या उसका इस्तेमाल कर सकते हैं. फिक्स्ड डिपॉजिट के ब्याज की कमाई 2.5 लाख से कम है, इसलिए टैक्स (Tax) के दायरे में यह कमाई नहीं आएगा. फॉर्म 15G/15H फाइल करने से बैंक TDS नहीं काटेगा. ऐसे में आप FD के ब्याज़ पर कोई इनकम टैक्स देने के लिए बाध्य नहीं होंगे.

2-आप बैंक के बजाय किसी पोस्ट ऑफिस में अपनी एफडी खोल सकते हैं. पोस्ट ऑफिस (post office) की एफडी पर भी टैक्स काटा जाता है, लेकिन बैंकों के जितना नहीं काटा जाता. डाकघरों में एफडी की ब्याज़ दर कम है, लेकिन आप टैक्स में बचत कर सकते हैं.

3-आप अपने जीवनसाथी, माता-पिता और बच्चों के नाम से फिकस्ड डिपॉजिट (FD) में पैसा जमा कर सकते हैं. एफडी से होने वाली ब्याज की कमाई पर टैक्स की गणना प्रत्येक व्यक्ति के लिए उस स्लैब पर की जाती है, जिसमें वे आते हैं. यदि आप अलग-अलग शाखाओं और बैंकों में एफडी खोलते हैं तो टैक्स को बचाना या कम करना संभव हो सकता है.

माना जाता है कि फिकस्ड डिपॉजिट (FD) में आपका पैसा एकदम सुरक्षित रहता है और इसमें रिटर्न की गारंटी होती है। काफी हद तक ये बात सही है। लेकिन क्‍या आपने कभी सोचा है कि अगर आपका बैंक डूब जाए, तो आपकी FD या अकाउंट में जमा रकम का क्‍या होता है? ऐसी तमाम बातें हैं जिनके बारे में बैंक की ओर से आपको नहीं बताया जाता। यहां जानिए इसके बारे में और एफडी पर मिलने वाले तमाम अन्‍य फायदों के बारे में-

5 लाख तक की रकम रहती है सुरक्षित


जिस बैंक में आपने FD कराई है, अगर वो बैंक दिवालिया हो जाए, तो आपको 5 लाख तक का इंश्‍योरेंस कवर मिलता है। अधिकतर लोगों को ये जानकारी नहीं होती है। ये इंश्‍योरेंस कवर डिपॉजिट इंश्योरेंस (deposit insurance) एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) एक्ट के तहत बैंक में जमा राशि पर दिया जाता है। पहले बैंक जमा राशि पर डिपॉजिट इंश्योरेंस एक लाख रुपए होता था लेकिन अब इसे बढ़ाकर पांच लाख कर दिया गया है। 

लेकिन यहां ध्‍यान देने वाली बात ये है कि अगर आपकी जमा रकम 5 लाख रुपए से ज्‍यादा है और बैंक डूब गया, तो भी आपको बैंक की तरफ से सिर्फ 5 लाख तक ही बैंक की ओर से दिया जाएगा। शेष रकम डूब जाएगी। उदाहरण के लिए- अगर किसी बैंक में आपने 10 लाख रुपए का फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) किया है और वह बैंक डूब जाता है तो आपको केवल 5 लाख रुपए वापस मिलेंगे, 5 लाख रुपए का नुकसान आपको झेलना पड़ेगा।