Success Story - हिंदी मीडियम से पढ़ाई कर लड़के ने खड़ी कर दी कंपनी, जानिए Paytm की कहानी
HR Breaking News, Digital Desk- 8 नवंबर 2016 को जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की इस दौरान बैंकों में और एटीएम के बाहर पैसे निकालने वालों की लंबी कतारें लगने लगीं. इस दौरान लोगों के पास पैसे होने के बावजूद उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा. इस दौरान सरकार ने डिजिटल पेमेंट की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित किया.
लोगों को लगने लगा कि लंबी कतारों में लगने से बेहतर है कि डिजिटल पेमेंट किया जाए ताकि लोगों को हर छोटी छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए एटीएम या बैंक से पैसे निकालने की आवश्यकता न पड़े. ऐसे में सबके सामने एक विकल्प था Paytm. आज हम आपको पेटीएम की कहानी बताने वाले हैं.
हिंदी मीडियम वाले विजय शेखर शर्मा-
पेटीएम के मालिक विजय शेखर शर्मा अलीगढ़ के एक हिंदी मीडियम स्कूल मे पढ़े लिखे हैं. विजय काफी टैलेंटेड हैं. उन्होंने 14 साल की उम्र में ही 12वीं कक्षा पास कर ली थी. वे सभी विषयों में काफी अच्छे थे. उनके माता पिता और शिक्षक उनकी पढ़ाई से काफी खुश रहते थे. स्कूल की पढ़ाई खत्म करने के बाद विजय शेखर शर्मा ने दिल्ली के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया लेकिन यह वही स्थान था जहां से उनकी जिंदगी बदल गई.
दरअसल हिंदी मीडियम से पढ़ा छात्र जब इंजीनियरिंग कॉलेज में आया तो उसे अंग्रेजी में पढ़ाई करना पड़ा. एक दिन जब प्रोफेसर ने विजय से सवाल पूछा, ऐसे में विजय उस सवाल का जवाब नहीं दे पाएं क्योंकि उन्हें सवाल ही समझ नहीं आया था. इस दौरान विजय यह समझ गए कि उनकी अंग्रेजी काफी कमजोर है. विजय को उस दिन बेहद शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा. स्कूल में पहली बेंच पर बैठने वाला लड़का कब बैकबेंचर बन गया यह पता ही नहीं चला.
बिजनेस का आइडिया-
विजय इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान अब क्लास छोड़ने लगे थे और अपना ज्यादातर समय वे लाइब्रेरी और कंप्यूटर सेंटर में बिताने लगे. इस दौरान उन्होंने बहुत कुछ सीखा.विजय को किताब, मैगजीन पढ़ना अच्छा लगने लगे और उन्हें इसमें मजा आने लगा. इसी समय की बात है जब विजय सेकेंड हैंड किताब खरीदने के लिए दरियागंज मार्केट गए थे.
इस दौरान कुछ मैगजीन द्वारा सिलिकॉन वैली पर आर्टिकल छाफे गए थे. उसे पढ़ने के बाद विजय को भी लगा कि भारत में भी सिलिकॉन वैली होनी चाहिए. साल 1995 के दौरान भारत में इंटरनेट की सुविधा नहीं थी तो इंटरनेट बिजनेस की शुरुआत नहीं हो सकती थी. इसी बीच कंप्यूटर सेंटर में बैठे विजय ने एक मैगजीन में मार्क एंड्रीसन का इंटरव्यू पढ़ा जहां उन्होने नेटस्केप का बिजनेस मॉडल समझाया था.
विजय ने इसके बाद अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर एक सर्च इंजन बनाया जिसका नाम रखा XS कम्यूनिकेशन. बाद में इसे एक कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम की तरफ डेवलप किया. साल 1999 में विजय ने इसे एक अमेरिकी बिजनेसमैन को बेच दिया. इसके बाद उन्होंने यहीं से one97 कम्यूनिकेशन की शुरुआत की. विजय ने बताया कि जो बिजने उन्होंने शुरू किया था वह इंटरनेट कंटेंट ऑन SMS मॉडल पर आधारित था. वे टेलीकॉम ऑपरेटर्स से कुछ नहीं वसूलते लेकिन जो कंटेंट सर्विस वो देते थे उसके लिए वे कंज्यूमर से पैसे चार्ज करते थे.
इनवेस्टर से मुलाकात-
विजय की कंपनी तब चल पड़ी जब उनकी मुलाकात से नामी एंजल इन्वेस्टर से हुई जिन्होंने विजय को एक बड़े प्रोजेक्ट का काम दिया. काम से खुश होकर उन्होंने विजय को कंपनी का सीईओ बनने का ऑफर दिया. लेकिन विजय न इस ऑफर को ठुकरा दिया कि उनकी खुद की कंपनी है. उन्होंने विजय को 40 फीसदी हिस्से के बदले 8 लाख रुपये और काम करने को ऑफिस भी दिए.
धीरे धीरे विजय की कंपनी ट्रैक पर आ गई और फिर साल 2010 में स्मार्टफोन्स और इंटरनेट का दौर शुरू हुआ और विजय ने मौके का लाभ उठाते हुए कंज्यूमर बेस्ड ब्रैंड लाने का आईडिया दिया, जहां यूजर्स को न केवल कंटेंट बल्कि कई अन्य चीजे भी ऑफर की जाए. ऐसे करते हुए पेटीएम (Paytm) की शुरुआत हुई.
खाने पीने के लिए दोस्तों पर थे निर्भर-
विजय शेखर ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने बुरे दिन भी देखे हैं, जब उन्हें अपने गुजारे के लिए, खाने पीने के लिए दोस्तों से उधार लेना पड़ता था. उस समय उन्हें दो कप चाय भी मिलना मुश्किल हो गया था. पैसे न खर्च हों इसके लिए वे 14 किमी पैदल चला करते थे.