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Success Story- फीस नही भरने की वजह से छूट गया था स्कूल, 19 साल बाद बना सबसे बड़ा अफसर

सपने साकार उन्हीं के होते है जो अपने सपनों के पिछे कड़ी मेहनत करते है।  हमेशा अपने लक्ष्य को ऊंचा रखो, परिश्रम का कोई दूसरा विकल्प नहीं है। आज हम आपको अपनी सक्सेस स्टोरी में के एलमबहावत की कहानी बताने जा रहे है। स्कूली शिक्षा के दौराना फीस नही भर पाने की वजह से उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया था। फिर अपनी कड़ी मेहनत और लगन से ये कैसे बने सबसे बड़े अफसर। आइए जानते है इनकी कहानी। 
 
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 फीस नही भरने की वजह से छूट गया था स्कूल, 19 साल बाद बना सबसे बड़ा अफसर 

HR Breaking News, Digital Desk- सपने साकार करने की इच्छा कभी मत छोड़िए. हमेशा लक्ष्य को ऊंचा रखो, परिश्रम का कोई दूसरा विकल्प नहीं. ये सक्सेस स्टोरी है K Elambahavath की. के एलमबहावत साल 1982 में तमिलनाडु के जिले थनजावूर के छोटे से गांव चोलागनगूडिक्कडू में जन्में थे. पिता ग्राम प्रशासनिक अधिकारी, माँ किसान और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम करती थी. एलमबहावत का सामान्य बचपन बीता.

सिर से पिता का साया उठा-


उन्होंने बचपन के ज्यादातर दिन खेतों में अपनी मां की मदद करने, स्कूल जाने, दोस्तों और तीन बड़ी बहनों के साथ खेलने में बिताए. एलमबहावत के पिता गांव के पहले ग्रेजुएट थे. इनके परिवार ने शिक्षा को अत्यधिक महत्व दिया लेकिन 1997 में इनके सिर से पिता का साया उठ गया. उस समय ये 12वीं में थे और कक्षा 12 के छात्र को आर्थिक तंगी के कारण पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी.

कृषि से परिवार की जरूरतें पूरी करने की कोशिश-


उस समय एलमबहावत यह भी नहीं जानता था कि वह ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल भी कर पाएगा या नहीं, सिविल सर्विस तो दूर की बात है. 24 साल की उम्र तक एलमबहावत को UPSC और उसके रिक्रूटमेंट की कोई जानकारी नहीं थी. कृषि से उन्हें परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं मिल पा रहा था. जिसके बाद उन्होंने Junior Assistant (LDC) post under compassionate grounds के लिए अप्लाई किया. लेकिन उन्हें वो नौकरी नहीं मिली,

हताशा के बाद IAS अधिकारी बनने का फैसला-


एलमबहावत का दिन खेतों में काम करते हुए और शाम में सरकारी दफ्तरों में नौकरी के लिए पता करते हुए बीतता था. ऐसा नौ सालों तक चला लेकिन कोई हल नहीं निकला. हर कोशिश के बाद जब वे थक गए तो अपना लक्ष्य और राह दोनों को बदलने की कोशिश की. उन्होंने खुद को IAS अधिकारी बनाने का फैसला किया. बहुत सारे कैंडीडेट्स IAS बनने के लिए प्रेरित होकर आते हैं पर एलमबहावत ने इसे हताशा के बाद चुना.

12वीं में ही पढ़ाई छूटने के बाद एलमबहावत ने लॉन्ग डिस्टेंस के पढ़ाई की. मद्रास यूनिवर्सिटी से हिस्ट्री में बी.ए. किया. उन्होंने अपने दम पर अध्ययन किया क्योंकि यूपीएससी की तैयारी के दौरान कोचिंग सेंटरों तक कोई पहुंच नहीं थी.


सिविल सर्विस के लिए कोई मार्गदर्शन की सुविधा नहीं-


इनके गाँव या आस-पास के शहरों में सिविल सर्विस के लिए कोई मार्गदर्शन की सुविधा नहीं थी. इन्होंने सार्वजनिक लाइब्रेरी में ही अध्ययन किया, जिसमें सिविल सर्विस के लिए सिर्फ एक अलग सेक्शन है. गांव पट्टुकोट्टई में इन्होंने 10 सिविल सर्विसेज एस्पिरेंट्स के ग्रुप में पढ़ाई की.

जिसमें हेडमास्टर श्रीऔर कई शुभचिंतकों ने मदद की. लाइब्रेरी और लोगों की मदद से इन्होंने तमिलनाडु सरकार की तरफ से नि: शुल्क सिविल सेवा कोचिंग पाई. जिसके बाद उन्होंने कई तमिलनाडु पब्लिक सर्विस कमिशन एग्जाम तो पास किए लेकिन यूपीएससी सिविल सर्विस एग्जाम में फेल हुए.

5 बार MAINS और तीन बार इंटरव्यू राउंड में फेल-


यूपीससी सिविल सर्विस एग्जाम में फेल होने के बाद एलमबहावत ने स्टेट गर्वमेंट ग्रुप 1 सर्विस जॉइन की. इसके अंतर्गत असिस्टेंट डायरेक्टर (पंचायत) और डीएसपी था. नौकरी के साथ तैयारी की, लेकिन 5 बार MAINS और तीन बार इंटरव्यू राउंड में फेल हुए. उसके सभी प्रयास बिना किसी सफलता के समाप्त हो गए.

2014 में इन्होंने स्टेट सिविल सर्विस जॉइन की. केंद्र सरकार ने उन लोगों के लिए दो और अटेंप्ट का मौका दिया जो सिविल सेवा एप्टीट्यूड टेस्ट से प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुए थे. और फिर उन्होंने IAS के लिए 2015 में अपना अंतिम प्रयास किया. जिसके बाद उसने IAS state cadre में ऑल इंडिया 117वीं रैंक पाई.