Success Story - बिना कोचिंग लिए पहले ही प्रयास में क्लियर कर दिया UPSC एग्जाम, छोटी उम्र में बना IAS
HR Breaking News, Digital Desk- 22 साल की उम्र में अधिकांश युवक अपने कॅरियर की दिशा तय नहीं कर पाते हैं जबकि बिहार का यह लड़का धांसू स्ट्रेटजी बनाकर इसी उम्र में सीधा आईएएस बन गया। वो भी पहले प्रयास में और बिना किसी कोचिंग के। कामयाबी की नई कहानी लिखकर खुद की तकदीर बदलने वाले इस लड़के का नाम है मुकुंद कुमार झा। सिविल सेवा परीक्षा 2019 में मुकुंद ने ऑल इंडिया 54वीं रैंक हासिल की।
आईएएस मुकुंद कुमार झा का परिवार-
मुकुंद कुमार झा मूलरूप से बिहार के मधुबनी जिले के बाबूबरही प्रखंड के बरूआर के रहने वाले हैं। मनोज कुमार ठाकुर और ममता देवी के इकलौते बेटे हैं। इनके तीन बहन हैं। ये सबसे छोटे हैं। मुकुंद के पिता मनोज कुमार किसान हैं। मां ममता प्राइमरी स्कूल में पढ़ाया करती थीं।
मुकुंद कुमार झा आईएएस की शिक्षा-
मुकुंद कुमार झा ने पांचवीं तक की पढ़ाई बिहार के आवासीय सरस्वती विद्यालय से की। फिर 12 तक की शिक्षा सैनिक स्कूल गोलपाड़ा आसाम से पूरी की। इसके बाद मुकुंद झा दिल्ली आ गए और पन्नालाल गिरधारी लाल दयानंद एंग्लो वैदिक (पीजीडीएवी) कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक किया।
यूपीएससी 2015 टॉपर टीना डाबी से मिली प्ररेणा-
मीडिया से बातचीत में मुकुंद कुमार झा बताते हैं कि जब मैंने स्नातक की थी। उसी समय दिल्ली की टीना डाबी ने सिविल सेवा परीक्षा 2015 टॉप की थी। तब टीना देशभर की सुर्खियों में रहीं। टीना की सक्सेस ने मुकुंद को काफी प्रभावित किया, लेकिन उस वक्त मुकुंद की यूपीएससी परीक्षा में हिस्सा लेने की उम्र नहीं हुई थी।
मुकुंद कुमार झा की यूपीएससी परीक्षा तैयारी की स्ट्रेटजी-
स्ट्रेटजी नंबर 1-
वे कहते हैं कि ग्रेजुएशन करने के बाद मेरे पास वर्ष 2016 से 2019 तक का वक्त था। मैं भी सिविल सेवा में जाना चाहता था। इसलिए एक साल तक मैंने सिर्फ यूपीएससी परीक्षा के पैटर्न को समझने लगाया और फिर वर्ष 2017 से तैयारी शुरू की। किसी भी परीक्षा को पास करने के लिए सबसे पहले उसके पैटर्न को समझने की स्ट्रेटजी बनानी चाहिए।
स्ट्रेटजी नंबर 2-
उन्होंने कहा है कि मेरी दूसरे नंबर की स्ट्रेटजी यह थी कि मैंने इस सवाल का जवाब तलाश किया कि मुझे यूपीएससी की तैयारी कैसे करनी है। कौनसी कौनसी पुस्तकें पढ़नी हैं। पूरे प्रोसेस को समझने के लिए मैंने सालभर का वक्त लिया था। किताबें जुटाईं।
स्ट्रेटजी नंबर 3-
वर्ष 2016 में मुकुंद कुमार झा यूपीएससी परीक्षा के पैटर्न को अच्छे से समझ गए तो यूपीएससी प्रारम्भिक व मुख्य परीक्षा का पूरा पाठ्यक्रम डाउनलोड किया और उसे अपने स्टडी रूम में टेबल पर लगाया ताकि बार-बार आंखों के सामने ये आता रहे कि उन्हें क्या पढ़ना है।
स्ट्रेटजी नंबर 4-
पाठ्यक्रम डाउनलोड करने के बाद यह भी जानना जरूरी था कि आखिर इस पाठ्यक्रम में से यूपीएससी परीक्षा में किस तरह के सवाल आते हैं। मतलब यूपीएससी हमसे क्या चाहती है। यह समझने के लिए पूर्व की यूपीएससी परीक्षाओं के प्रश्नपत्र डाउनलोड किए। उनसे काफी मदद मिली।
स्ट्रेटजी नंबर 5 -
यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी को वर्ष 2017 व 2018 देने वाले मुकुंद कहते हैं कि तैयारी शुरू करने के साथ ही सबसे पहले प्रारम्भिक व मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल कॉमन विषय जैसे अर्थव्यस्था, पर्यावरण, पॉलिटी व इतिहास आदि के बारे में एक साथ पढ़ा। यह समेकित तैयारी कहलाती है।
स्ट्रेटजी नंबर 6-
समेकित तैयारी करने से फायदा यह रहा कि प्रारम्भिक व मुख्य परीक्षा के समान विषयों की तैयारी के लिए दो बार मेहनत नहीं पड़ी। साथ ही यह भी पता लग गया कि जीएस वन, टू, थ्री और फॉर का कुछ पार्ट आपको पूरी तरह से मुख्य परीक्षा के लिए तैयार करना है, जिसे प्रारम्भिक परीक्षा के बाद भी अच्छे से समय दे सकते हैं।
स्ट्रेटजी नंबर 7-
समेकित तैयारी के दौरान यह भी पता चला कि एथिक्स, विश्व इतिहास, इंटरनल सिक्योरिटी एंड डिजास्टर मैनेजमेंट जैसे विषयों की तैयारी आपको मुख्य परीक्षा के लिए करनी होती है। ना कि प्रारम्भिक के लिए।
स्ट्रेटजी नंबर 8-
प्रारम्भिक व मुख्य परीक्षा की एक साथ की जाने वाली तैयारी को 12 से 15 माह दिए। दोनों परीक्षाओं के कंबाइंड सिलेबस के अलावा जो पार्ट बचा उसे तीन से चार माह में कवर किया।
स्ट्रेटजी नंबर 9-
मुकुंद कहते हैं कि 15 माह की तैयारी के बाद नौ माह बचे थे। इनमें से पांच माह मैंने ऑप्शनल सब्जेक्ट को दिए। ऑप्शनल सब्जेक्ट में काफी हाई अंक प्राप्त किए जा सकते हैं। इसलिए इनकी तैयारी को भी पूरा वक्त दिया। तैयारी अच्छी हो तो ऑप्शनल सब्जेक्ट में 60 से 70 फीसदी अंक आराम से लाया जा सकते हैं।
स्ट्रेटजी नंबर 10-
अब तक मुकुंद को तैयारी करते करते 20 माह हो चुके थे। यूपीएससी की प्रारम्भिक परीक्षा में बैठने के लिए चाह माह बचे थे। मुकुंद कहते हैं सिविल सेवा परीक्षा पास करने की पहली सीढ़ी प्रारम्भिक परीक्षा है। इसलिए करीब चार-पांच पूर्व ही प्रारम्भिक परीक्षा की तैयारी पूरी कर ली थी। तभी एनवक्त पर नर्वस नहीं हुआ था।
स्ट्रेटजी नंबर 11-
प्रारम्भिक परीक्षा से पहले के तीन से चार माह का समय काफी महत्वपूर्ण था। इस समय को बीते 20 माह के दौरान की गई तैयारी को परखने में दिया। इसका सबसे आसान तरीका था मॉक टेस्ट। हर संडे कोचिंग सेंटर पर जाकर मॉक टेस्ट देने को प्राथमिकता दी। वहां यूपीएससी परीक्षा से पहले ही परीक्षा जैसे माहौल में ढलने में भी मदद मिली।
स्ट्रेटजी नंबर 12-
मुकुंद कहते हैं कि मॉक टेस्ट देने के बाद मेरे नम्बर उम्मीद के अनुसार नहीं आए तो उन्हें देख मैं मायूस होने की बजाय मॉक टेस्ट में कम नंबर आने के कारणों का एनालिसिस कर और अपनी तैयारी के कमजोर एरिया पर पकड़ बनाने का प्रयास किया।
स्ट्रेटजी नंबर 13-
मुकुंद के अनुसार प्रारम्भिक परीक्षा में चार विकल्प में से अगर हम तीन गलत विकल्प की पहचान कर लेते हैं तो फिर जो चौथा विकल्प के रूप में जवाब देंगे वो सही ही होगा, मगर कई बार हम चार में से दो गलत जवाब पहचाने के बाद दो सही विकल्प में से एक का चुनाव नहीं कर पाते हैं और उस सवाल को छोड़ना बेहतर समझते हैं जबकि ऐसे में हमें जोखिम लेते हुए उस सवाल को छोड़ने की बजाय अटेंप्ट करना चाहिए। क्योंकि दो गलत जवाब हम पहले ही चुन चुके होते हैं। अब शेष दो सही में से एक को चुनने का प्रयास करना होता है। ऐसी स्थिति में अधिकांश बार हमारा जवाब सही होता है।
फेसबुक और ट्विटर अकाउंटर डीएक्टिवेट किया-
मुकुंद कुमार झा को 22 साल की उम्र में आईएएस बनाने वाली स्ट्रेटजी नंबर 13 ये है कि इन्होंने सोशल डिस्टेंसिंग की और अपनी पढ़ाई के टाइम टेबल को स्ट्रिक्ट होकर फॉलो किया। सोशल डिस्टेंसिंग मतलब इन्होंने फेसबुक और ट्विटर अकाउंटर डीएक्टिवेट कर दिए। दोस्तों, रिश्तेदारों के समारोहों में भी हिस्सा लेना बंद कर दिया था। रोजाना 12 से 14 घंटे तैयारी की।