Success Story - मजदूरी करने पहुंचे मुंबई, झुग्गी में रहकर किया गुजारा, मेहनत से खड़ा किया करोड़ों का बिजनेस
 

मेहनत के दम पर सब कुछ संभव है. आज हम आपको इसी कहावत को सच करने वाले शख्स की कहानी बताएंगे जो मुंबई में मजदूरी किया करते थे और झुग्गी में रहकर  जिन्होंने अपना गुजारा किया। आज अपनी मेहनत से उन्होंने खड़ा किया करोड़ो का बिजनेस। आइए जानते है इनकी कहानी।  
 
 

HR Breaking News, Digital Desk- एशिया के सबसे बड़े स्लम एरिया मुंबई के धारावी में स्थित लेदर बैग मैन्युफैक्चरिंग कंपनी ‘शान वर्ल्ड वाइड’ इस बात का सबूत है मेहनत के दम पर सब कुछ संभव है. ये कंपनी उस शख्स की कहानी कहती है जो मुंबई शहर में मजदूरी करने आया और अपनी मेहनत के दम पर न केवल करोड़ों की कंपनी खड़ी की बल्कि अपने जैसे कई लोगों के मददगार भी बना. 

 

 

मजदूरी करने आए थे मुंबई- 


ये कहानी है शान वर्ल्ड वाइड के मालिक कनवीर कमर फैजी की. एक समय था जब कनवीर अपने रिश्तेदारों के साथ रोजगार की तलाश में मुंबई आए थे. वह मजदूरी करने के मकसद से अपना घर छोड़ इस सपनों की नगरी में आए थे. किसे पता था कि सपनों की ये नगरी कनवीर को वो सब दे देगी जो उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था. आज कनवीर की कंपनी का सालाना टर्नओवर एक करोड़ है. 

7000 महीने पर मिली नौकरी-  

रिपोर्ट के अनुसार 2010 में कनवीर गांव के कुछ दोस्तों के साथ मुंबई पहुंचे. उन्हें हमेशा से अपना कारोबार करना था लेकिन वह आर्थिक रूप से इतने सक्षम नहीं थे. कुछ करने की चाह लिए कनवीर अपने गांव के लोगों के साथ धारावी में रहने लगे. इस दौरान उन्हें काफी कोशिशों के बाद टाटा इंडिकॉम में सिम कार्ड बेचने का काम मिला. इस नौकरी में उनका वेतन 7,000 रुपए महीना था. 


कुछ समय तक उन्होंने यहां नौकरी की लेकिन इतने कम पैसों में गुजारा करना मुश्किल था. इसके बाद 2013 में कनवीर ने लोन देने वाली एक कंपनी में 14000 रुपये महिना की वेतन पर नौकरी कर ली. हालांकि वह इन नौकरियों से खुश नहीं थे. उन्हें हर रोज जिंदगी के उस मोड़ के दिखने का इंतजार रहता जो उन्हें कामयाबी की बुलंदियों तक ले जाए. 

संघर्ष से मिला बिजनेस आइडिया- 


इन संघर्ष के दिनों में जाने अनजाने में कनवीर के साथ एक अच्छी बात हुई. दरअसल, उनके गांव के लगभग  80% लोग लेदर के प्रोडक्ट्स बनाने का काम करते हैं. कनवीर ऐसे ही लेदर फैक्ट्री में मजदूरी करने वालों के साथ रहते थे. यहां रहते हुए उन्हें अपने लोगों से लैडर प्रोडक्ट्स के बिजनेस और इसके अच्छे स्कोप के बारे में पता चला. 


उनके मन में ये बात कई बार आई कि लेदर के बिजनेस में उतरा जाए लेकिन आर्थिक तंगी ने उनकी सोच और हाथ बांध रखे थे. लेकिन कनवीर हार मानने वालों में से नहीं थे. उन्होंने जो ठान लिया था वो किसी भी हाल में उन्हें करना था. ऐसे में उन्होंने अपने रिश्तेदारों से एक लाख 10 हजार रुपए का कर्ज लेकर बिजनेस शुरू किया. वह शुरुआत में धारावी से कच्चे माल मंगवा कर लेदर बैग बनाने लगे. कनवीर ने 20,000 रुपए एडवांस देकर एक कमरा किराये पर लिया, जिसका रेंट 4,000 रुपए महीने था. इसके बाद उन्होंने तीन लोगों के साथ काम शुरू किया. 

किस्मत ने दिलाया पहला बड़ा ऑर्डर- 


कनवीर का बिजनेस शुरू हो चुका था, प्रोडक्ट बनने लगे थे लेकिन समस्या ये थी कि इसे बेचा कैसे जाए. काफी भटकने के बाद भी उन्हें छोटे-मोटे 10-20 प्रोडक्ट बनाने के ही ऑर्डर मिलते थे. ऐसे में कारीगरों को रोज काम देना भी मुश्किल हो रहा था. ऐसे ही एक आम दिन कनवीर अपना पासपोर्ट रिन्यू करवाने गए. आदत के अनुसार वह पासपोर्ट ऑफिस में अपने काम से आए अन्य लोगों के साथ अपने प्रोडक्ट और काम के बारे में बात करने लगे.

इसे किस्मत का शुभ संकेत ही कहेंगे कि जिस व्यक्ति से वह अपने काम के बारे में बता रहे थे वो गो ब्रांड नामक कंपनी का अकाउंटेंट था. दोनों की बातचीत का ये नतीजा निकला कि उस शख्स ने कनवीर को अगले ही दिन अपनी कंपनी बुलाया और वहां उन्हें 10 लाख का ऑर्डर मिल गया.

बढ़ने लगा बिजनेस-


इसके बाद तो कनवीर ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. समय के साथ कई बड़ी कंपनियों के साथ जुड़ने के  अलावा उन्हें एलबॉर्न इंटरनेशनल, अल्फा डिजिटल, सन फार्मा जैसी कंपनियों के ऑडर्स मिलने लगें. कनवीर के बिजनेस की सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कंपनी खुलने के चंद सालों बाद ही 2016 में इसका सालाना टर्नओवर एक से डेढ़ करोड़ के बीच होने लगा था.

बिजनेस पर पड़ी कोरोना की मार-


हालांकि कोरोना की वजह से बिजनेस पर बुरा असर पड़ा. ऑर्डर मिलने बंद हो गए. एक कमरे में उन्हें 20 लोगों के साथ रहना पड़ा. ऐसा इसलिए थे क्योंकि कोरोना के दौरान कई फैक्ट्री मालिकों ने बिहार-यूपी के मजदूरों को निकाल दिया था. कनवीर ऐसे मजदूरों को अपने साथ रखते थे.

बाद में वह अपने परिवार और 3 वर्कर्स के साथ दरभंगा चले गए. इस दौरान ये हालत थी कि 20 लाख का ऑर्डर स्टोर में रखे-रखे सड़ गया. इस दौरान कनवीर ने वक्त की गहरी मार जरूर सही लेकिन हारे नहीं. उन्होंने गांव लौटने के बाद भी अपने कस्टमर्स को कॉल कर उनसे बातचीत करना नहीं छोड़ा. स्थिति के थोड़ा सामान्य होते ही वह फिर से मुंबई लौट आए.

फिर से उठे और कामयाबी पाई-


1 से डेढ़ करोड़ का टर्न ओवर कमाने वाली कंपनी के मालिक कनवीर एक बार फिर से जीरो लेवल पर आ गए लेकिन इससे वह हताश नहीं हुए. उन्होंने हर रोज नई कंपनियों में जाना शुरू किया. उनसे काम मांगा. वह बिना किसी अफसोस के कहते कि उन्हें काम दिया जाए, उनके कारीगर खाली बैठे हैं. समय पड़ने पर वह गिड़गिड़ाए भी.

इसका परिणाम ये रहा कि उन्हें फिर से अल्फा डिजिटल, सन फार्मा जैसी कंपनियों से ऑर्डर मिलने लगे. वह महामारी के दौरान बिजनेस पर पड़ी मार से धीरे-धीरे उबरने लगे. आज फिर से उनकी कंपनी 1 करोड़ का सालाना टर्न ओवर दे रही है. इसके साथ ही वह 'EXOX' नाम से अपना खुद का ब्रांड लॉन्च करने जा रहे हैं.