Success Story: दिन रात मेहनत करके माता-पिता करते थे 300 से 400 रुपये की आमदनी, बेटे ने ऐसे जगमगाय अपना करियर

अगर कड़ी मेहनत, दृढ़ इच्छाशक्ति और पक्का संकल्प हो तो सफलता जरूर आपके कदम चूमती है। इस कहावत को सच कर दिखाया है जितेंद्र कुमार ने। उनके माता-पिता जहां दिन रात मेहनत करके 300 से 400 रुपये की आमदनी कमा पाते थे। आज उनके बेटे ने नीट की परीक्षा पास कर अपने करियर को जगमगाय है। आइए जानते है इनकी पूरी कहानी। 
 

HR Breaking News, Digital Desk- अगर कड़ी मेहनत, दृढ़ इच्छाशक्ति और पक्का संकल्प हो तो कामयाबी जरूर कदम चूमती है. ऐसे मजबूत इरादों के साथ सपने पूरे करने के लिए धन दौलत की कमी भी आड़े नहीं आती है. ऐसा ही कुछ बाड़मेर जिले के सिवाना के जितेंद्र कुमार ने कर दिखाया है. जबकि उनके पिता पनाराम साइकिल पंचर की दुकान चलाते हैं.

दरअसल जितेंद्र कुमार ने अपनी कड़ी मेहनत और लग्न से नीट परीक्षा पास की है. साधारण परिवार के इस छात्र को महंगी कोचिंग या बड़े क्लासरूम नहीं मिले. बावजूद इसके देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक नीट परीक्षा को उत्तीर्ण कर दिखाया है. बाड़मेर के छोटे से गांव सिवाना के जीनगर मोहल्ला के रहने वाले पनाराम की कस्बे के गांधी चौक के पास टायर पंचर की गुमटी है.

दिन में बामुश्किल 300 से 400 रुपये की आमदनी होती है. इसी आमदनी से घर के पांच सदस्यों का पेट पालते हैं, लेकिन घर के विकट हालातों में बिना किसी कोचिंग के बेटे जितेंद्र कुमार ने नीट की परीक्षा पास की है.


जितेंद्र को AIR 32861 और एससी कैटेगरी में मिली 638वीं रैंक-


जितेंद्र कुमार की AIR 32861 रैंक है. जबकि एससी कैटेगरी में 638वीं रैंक है. उसकी इस सफलता पर पूरे कस्बे में खुशी की लहर है. जितेंद्र ने बताया कि कैसी भी मुश्किलें हो, लेकिन हिम्मत से सभी को पार किया जा सकता है.

मां का संघर्ष भी नहीं कम-


जितेंद्र की मां फाउ देवी भी घर पर कशीदाकारी कर परिवार चलाने में हाथ बंटाती हैं. हालांकि जितेंद्र के पिता पनाराम को इस बात का मलाल है कि वह अपने बच्चे को महंगे कोचिंग सेंटर नहीं भेज पाए,

लेकिन खुशी है कि इसके बावजूद उनके बेटे ने सफलता के झंडे गाड़ दिए हैं. वहीं, जितेंद्र की मेहनत के बाद अब उसके अंकों के आधार पर सरकारी मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिलेगा, जहां वह छोटे से कस्बे में संजोए अपने बड़े सपने को हकीकत का रूप देगा.