Success Story : झुग्गी - झोपड़ियों में पढ़ाते-पढ़ाते IAS बन गई Simi Karan 
 

UPSC परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है इसे क्रैक करने के लिए कड़ी मेहनत करने की जरूरत हाती है। आज हम आपको ओडिशा की रहने वाली सिमी की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने झुग्गी - झोपड़ियों में बच्चों को पढ़ा कर  UPSC की तैयारी की और अपने सपनों को पूरा किया। 
 
 

HR Breaking News : ब्यूरो : संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है और इसे क्रैक करने के लिए बहुत अधिक आत्मविश्वास की आवश्यकता होती है. आज हम आपको ओडिशा की सिमी करन के बारे में बताएंगे जिन्होंने (civil services exam) में सफलता हासिल कर ली.

सिमी को अपने सिलेबस के एक पार्ट के रूप में स्लम क्षेत्रों में बच्चों को पढ़ाने का अवसर मिला जब वह IIT Bombay में बी.टेक की छात्रा थी. जब उन्होंने इन बच्चों की हालत देखी तो उन्हें बहुत बुरा लगा और सोचा कि उन्हें इन बच्चों की मदद करनी चाहिए. इसके बाद उन्होंने सिविल सर्विसेज में जाने का फैसला किया. सिमी करण ओडिशा से ताल्लुक रखती हैं और उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा भिलाई, छत्तीसगढ़ में की है. उनके पिता भिलाई स्टील प्लांट में काम करते थे, जबकि उनकी मां एक टीचर थीं.

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सिमी बचपन से ही एक अच्छी स्टूडेंट थीं. उन्होंने 12वीं कक्षा के बाद इंजीनियरिंग में जाने का फैसला किया. इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल करने के लिए उन्होंने IIT Bombay में दाखिला लिया, लेकिन इंजीनियर बनने का उनका सपना तब बदल गया जब उन्हें वहां झुग्गी बस्तियों में बच्चों से मिलने का मौका मिला. इसके बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करने का फैसला किया.

UPSC की तैयारी के लिए सिमी ने यूपीएससी के टॉपर्स का इंटरव्यू देखे. फिर उन्होंने इंटरनेट पर यूपीएससी के सिलेबस को अच्छी तरह से पढ़ा और उसी के अनुसार किताबें इकट्ठा करना शुरू किया. सीमित संख्या में किताबों के साथ सिमी ने अपनी तैयारी शुरू करने का फैसला किया. साथ ही उन्होंने अपने सिलेबस को छोटे-छोटे हिस्सों में बांट दिया ताकि वह ठीक से पढ़ाई कर सके. अपना पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद, इसे एडिट करना शुरू कर दिया. साल 2019 में, उन्होंने यूपीएससी में ऑल इंडिया रैंक 31 हासिल की और एक आईएएस अधिकारी बन गईं.

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SIMI ने हमेशा पढ़ाई की क्वालिटी पर फोकस किया और कहा, “मैंने कभी भी पढ़ाई के घंटों पर फोकस नहीं किया, बल्कि पूरा करने पर फोकस करने के लिए छोटे छोटे टारगेट (दैनिक, कभी-कभी प्रति घंटा) निर्धारित किए. इसलिए, शेड्यूल के हिसाब से उतार-चढ़ाव आया लेकिन औसतन मैंने 8-10 घंटे पढ़ाई की. मैं यह भी बताना चाहती हूं कि मैंने पढ़ाई की क्वालिटी, सीमित संसाधनों पर फोकस किया. साथ ही मैंने जॉगिंग, अपने दिमाग को आराम देने के लिए स्टैंड-अप कॉमेडी देखने आदि के लिए भी समय निकाला.


सिमी के मुताबिक, टारगेट तय करना बेहद जरूरी है. लक्ष्य तय करने के बाद चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहें. आपको स्ट्रेटजी पर ध्यान देने और हर विषय को महत्व देने की जरूरत है. एक इंटरव्यू में, सिमी ने कहा, "मैं एक कोट में दृढ़ता से विश्वास करती हूं - 'खुद के साथ ईमानदार रहें' - अपने सबसे बड़े आलोचक बनें, अपने प्रयासों का मूल्यांकन करें और आवश्यकतानुसार अपने सिलेबस को ठीक करें. इस तरह आप सफलता प्राप्त कर सकते हैं."