Haryana News हरियाणा में गहराया भूजल संकट, 38 गावों में 250 फीट नीचे तक पहुंचा पानी
HR Breaking News, कुरुक्षेत्र ब्यूरो, कुरुक्षेत्र के कई गांवों में भूजल लगातार नीचे जा रहा है। कई गांवों में तो स्थित चिंताजनक बनी हुई है। शाहाबाद खंड की बात करें तो इस खंड के 38 गांवों में भूजल 179 से 250 फीट तक है। भूजल के दोहन की स्थिति यही रही तो आने वाले कुछ दिनोें में लोगों को पीने के लिए भी पानी मुश्किल से मिल पाएगा। ऐसे में लोगों को अभी जल संरक्षण की दिशा में काम करना होगा।
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99 प्रतिशत डार्क जोन में जिला
जिले में गेहूं, धान और गन्ने की खेती अधिक करते हैं। इन फसलों की सिंचाई में पानी सबसे अधिक लगता है। शाहाबाद के अलावा लाडवा और पिहोवा खंड को डार्क जोन में शामिल किया गया है। इसके साथ पूरा जिला करीब 99 प्रतिशत डार्क जोन में है।
12 साल से गिर रहा भूजल
शाहाबाद खंड में भूजल की बड़ी समस्या 10-12 वर्षों में आई है। इन वर्षों में जल स्तर की दर लगातार गिर रही है। इन 38 गांवों का वर्तमान जलस्तर 170-250 फीट के बीच है। यह खंड में डार्क जोन की स्थिति को दर्शाता है। इसके पीछे तीन मुख्य फसलें यानी धान, गन्ना और गेहूं की फसलें हैं। क्योंकि इन फसलों को अधिक मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है। नहर के पानी की कमी के कारण अधिकांश कृषि गतिविधियां भूजल पर निर्भर है।
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ये उपाय जरूरी
भूजल को कुछ उपायों को अपनाकर बचाया जा सकता है। इसमें सूक्ष्म सिंचाई तकनीक (स्प्रिंकलर और ड्रिप), फसल विविधीकरण और भूमिगत जल पाइपलाइन का इस्तेमाल किया जा सकता है। जल सुरक्षा योजना के आपूर्ति पक्ष में गांव के तालाबों की सफाई और उनके जीर्णोद्धार, वर्षा जल संचयन संरचनाओं, शाक-पिट और रिचार्ज बोरवेल को उन्नत तकनीक से भूजल पुनर्भरण के लिए प्रस्तावित किया जा रहा है। घरों में जल संरक्षण किया जा सकता है। पानी का उपयोग कपड़े धोने, बर्तन धोने, पशुओं के पीने और नहाने, शौचालय के उद्देश्य और अन्य घरेलू उपयोगों में किया जा सकता है।
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ग्रामीणों को पढ़ा रहे जागरूकता पाठ
भूजल विशेषज्ञ डा. नवीन नैन ने बताया कि जिला इंप्लीमेंट पार्टनर टीम बनाई गई है। इसके अंतर्गत टीम लगातार लोगों को जागरूक कर रही है। जल सुरक्षा योजना और जल बजट बनाया जा रहा है। इसमें जल समिति सदस्य, ग्राम सचिव, सरपंच, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता, नंबरदार, चौकीदार, स्कूल शिक्षक, युवा समिति, वृद्ध व अन्य सक्रिय ग्रामीणों को शामिल ककिया जाता है। इनमें ग्रामीणों के सुुझाव भी लिए जाते हैं।