train gear : ट्रेन में कितने होते हैं गियर, जानिये कब डाला जाता है टॉप
train knowledge : रेल से जुड़ी कई अहम जानकारियां हमें मालूम होनी चाहिए, तो आइए आज जानते है कि ट्रेन के इंजन में कितने गियर ( Train Gear) होते हैं?

HR Breaking News (नई दिल्ली)। गांव, कस्बों से लेकर महानगरों तक बिछी पटरियों पर दौड़ती ट्रेन भारतीय जनमानस के जीवन का अहम हिस्सा हैं. हम सभी कई बार ट्रेन से सफर करते हैं, लेकिन कई बार रेल से जुड़ी कुछ अहम जानकारियां हमें मालूम नहीं होतीं. इनमें से एक ऐसा ही सवाल है कि ट्रेन के इंजन में कितने गियर ( Train Gear) होते हैं? ट्रेन जब यात्रियों को लेकर तेजी से पटरियों पर दौड़ती है, तो उसका टॉप गियर कौन-सा होता है?
ट्रेन के इंजन में भी आम गाड़ियों की तरह गियर होते हैं. क्योंकि अगर गियर नहीं होते तो ड्राइवर ट्रेन की स्पीड(train speed) को कैसे कंट्रोल करते. इंजन में कितने गियर होते हैं, इसकी जानकारी के लिए हमने बात की एक लोको पायलट से.
जब उनसे हमने पूछा कि ट्रेन के डीजल इंजन में कितने गियर(how many gears in the engine) होते हैं? तो सबसे पहले उन्होंने हमें बताया कि रेल के इंजन में आम गाड़ियों की तरह गियर होते हैं, लेकिन उन्हें नॉच कहा जाता है.
कितने गियर होते हैं ?
उन्होंने बताया कि डीजल लोकोमोटिव इंजन और इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव इंजन की बनावट अलग-अलग होती है. वो डीजल इंजन वाली ट्रेन को पटरियों पर दौड़ाते हैं इसलिए उन्होंने इसके बारे में हमें बताया और नॉच से संबंधित जानकारी भी उपलब्ध कराई.
डीजल लोकोमोटिव इंजन में कुल आठ नॉच होते हैं. किसी भी ट्रेन की रफ्तार इंजन की पावर के साथ-साथ सेक्शन पर निर्भर करती है. सेक्शन मतलब कि ट्रेन जिस रूट पर चल रही है उसकी पटरी की क्षमता कितनी है. ट्रेन की कितनी रफ्तार को वो संभाल सकती है.
कितनी रफ्तार?
लोको पायलट साहब ने बताया कि जिस ट्रेन इंजन को वह ऑपरेट करते हैं वो अपने पूरे नॉच यानी आठवें नॉच पर 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ती है. एक बार नॉच को फिक्स कर दिया जाता है तो उसे बार-बार बदलने की जरूरत नहीं पड़ती है. जब गति कम करनी हो तो नॉच को डाउन कर दिया जाता है और ट्रेन की रफ्तार कम हो जाती है.
उन्होंने बताया कि किसी भी लोकोमोटिव इंजन की फुल स्पीड का ट्रायल नहीं किया जाता है. जिस गति के हिसाब से इंजन को तैयार किया जाता है उसके अतिरिक्त स्पीड पर गाड़ी कभी नहीं दौड़ाई जाती. हालांकि, सरकार अब धीरे-धीरे डीजल इंजन को हटा कर इलेक्ट्रिक में तब्दील कर रही है.
उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित कारखाने में डीजल रेल इंजन का निर्माण होता है. साथ ही यहां इसके स्पेयर पार्ट्स भी बनते हैं.