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देशभर में 1 तारीख से लागू हो जाएंगे 3 नए कानून, IPC और CRPC की छुट्‌टी

कुछ ही दिनों बाद जुलाई का महीना शुरू होने वाला है और नए महीने की शुरूआत के साथ ही कई बड़े नियमों में बदलाव होता है। इस बार भी कुछ ऐसा ही होने जा रहा है। 1 तारीख से देश भर में तीन नए आपराधिक कानून लागू होने जा रहे हैं। सरकार का नए कानून से यह मकसद हैं कि अगर किसी के साथ भी कोई अन्याय हो रहा है तो बिना कोर्ट कचहरी के चक्कर काटे उसे जल्द से जल्द नया मिल सके। पुलिस को नए आपराधिक कानून की अच्छे से जानकारी हो इसके लिए बड़ी रैंक के अधिकार उन्हें प्रशिक्षण देंगे। आइए नीचे खबर में विस्तार से जानते हैं - 

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HR Breaking News (ब्यूरो)। भारतीय न्याय संहिता (IPC ) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023। ये तीनों कानून 1 जुलाई से प्रभावी होने जा रहा है। इसे लेकर प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार की ओर से पटना में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। पटना के कर्पूरी ठाकुर सदन तीन नए आपराधिक कानूनों पर 'वार्तालाप' हुआ। 


राजगीर पुलिस अकादमी के निदेशक आईपीएस बी. श्रीनिवासन, चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ फैजान मुस्तफा, सीआईडी के पुलिस महानिरीक्षक पी. कन्नन, पीआईबी की महानिदेशक डॉ प्रज्ञा पालीवाल गौड़ और पीआईबी पटना के अपर महानिदेशक एसके मालवीय ने संयुक्त रूप से इसका उद्घाटन किया। मौके पर पीआईबी-सीबीसी के उपनिदेशक संजय कुमार भी मौजूद रहे।


'नए कानूनों को लेकर तैयारियां शुरू है'

बिहार पुलिस अकादमी के निदेशक बी. श्रीनिवासन ने कहा कि तीन नए आपराधिक कानूनों के लागू होने के बाद एफआईआर से लेकर अदालत के निर्णय तक की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हो जाएगी। भारत अपनी आपराधिक न्याय प्रणाली में आधुनिक तकनीक का सबसे अधिक इस्तेमाल करने वाला देश बन जाएगा। उन्होंने कहा कि नए आपराधिक कानूनों से देश में एक ऐसी न्यायिक प्रणाली स्थापित होगी, जिसके जरिए तीन वर्षों के भीतर न्याय मिल सकेगा।

उन्होंने कहा कि इन नए कानूनों को लेकर बिहार पुलिस प्रशासन ने अपनी पहल शुरू कर दी है। इस सिलसिले में 26 हजार से अधिक एसआई से लेकर डीएसपी रैंक तक के अधिकारियों को हाईब्रीड मोड में प्रशिक्षण दिया गया है। प्रशिक्षण देने का मकसद साफ है कि नए आपराधिक कानूनों की जानकारी पुलिसकर्मियों को सही-सही हो और उसका अनुपालन हो ताकि जनता को किसी भी तरह की परेशानी न हो सके।

'न्याय प्रणाली में एक नए युग की शुरुआत'

चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय कुलपति प्रोफेसर (डॉ) फैजान मुस्तफा के मुताबिक इस ऐतिहासिक कानून के बनने के साथ ही भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में एक नए युग की शुरुआत हुई है। पुराने कानून हत्या और महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में कार्रवाई को प्राथमिकता देने की बजाय ब्रिटिश राज्य की सुरक्षा को प्राथमिकता देते थे। उन्होंने कहा कि तीन नए प्रमुख कानूनों का मकसद सजा देने की बजाय न्याय देना है।

इन तीन कानूनों से पहली बार हमारी आपराधिक न्यायिक प्रणाली भारत द्वारा, भारत के लिए और भारतीय संसद द्वारा बनाए गए कानूनों से चलेगी। उन्होंने कहा कि इस कानून को लेकर बिहार सरकार ने जो तैयारी की है, वो ऐतिहासिक और सराहनीय है। प्रो. फैजान ने कहा कि जब नए कानूनों में बदलाव हो रहा है तब और नई चीजों को जोड़ने की जरूरत थी। उन्होंने मीडियाकर्मियों से आग्रह किया कि मीडिया ट्रायल से बचें, इससे कानूनी व्यवधान पड़ता है। नए आपराधिक कानूनों में कई प्रावधान किए गए हैं, जो स्वागत योग्य हैं, इससे मानवीय पक्ष सामने आएगा।


'नए कानून दंड-केंद्रित नहीं, न्याय केंद्रित'

सीआईडी पटना के महानिरीक्षक पी. कन्नन ने नए आपराधिक कानूनों का परिचय देते हुए भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के प्रमुख बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि नए आपराधिक कानूनों से समय पर न्याय मिलेगा। इलेक्ट्रॉनिक तरीके से शिकायत दायर करने के तीन दिन के भीतर FIR दर्ज करने का प्रावधान किया गया है। साथ ही यौन उत्पीड़न के मामलों में सात दिन के भीतर जांच रिपोर्ट देनी होगी।

पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर आरोप तय करने का प्रावधान किया है। भगोड़े अपराधियों की गैर-मौजूदगी के मामलों में 90 दिनों के भीतर केस दायर करने का प्रावधान है। आपराधिक मामलों में सुनवाई पूरी होने के 45 दिनों के भीतर फैसला होगा। उन्होंने कहा कि नए आपराधिक कानून दंड-केंद्रित नहीं, न्याय केंद्रित है। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध पर खास फोकस किया गया है।

'महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध पर फोकस'


पीआईबी की महानिदेशक डॉ प्रज्ञा पालीवाल गौड़ ने कहा कि नए आपराधिक कानून का उद्देश्य पीड़ितों को न्याय दिलाना है। ऐसे में जरूरी है कि जो कानूनी बदलाव हुए हैं, उसकी जानकारी जनता को हो। इसी मकसद को लेकर मीडियकर्मियों के साथ वार्तालाप का कार्यक्रम किया गया है। उन्होंने कहा कि 150 साल के कानून में जो नए बदलाव हुए हैं, उसे जन-जन तक पहुंचाने में मीडिया की भूमिका अहम है। इस कानून का मुख्य उद्देश्य अपराधी को दंड देने के साथ-साथ पीड़ित को न्याय दिलाना है। इस कानून में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हो रहे अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए विशेष और त्वरित प्रावधान किए गए हैं।

अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे जानकारी- एसके मालवीय


वहीं, प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो पटना के अपर महानिदेशक एसके मालवीय ने अतिथियों और मीडियाकर्मियों का स्वागत करते हुए कहा कि तीन नए आपराधिक कानूनों को संसद द्वारा पारित किया गया है, जो 1 जुलाई 2024 से लागू हो जाएगा। मीडिया कार्याशाला का मुख्य उद्देश्य मीडियाकर्मियों को आपराधिक कानूनों से अवगत कराना है। उन्होंने अनुरोध किया कि इस नए कानून के बारे में आम लोगों तक इसकी जानकारी पहुंचाई जानी चाहिए ताकि इसका उद्देश्य पूर्ण हो सके।