home page

7th Pay Commission: अप्रैल से बदल जायेगा कर्मचारियों के महंगाई भत्ते (DA) का फार्मूला, इस तरीके से कैलकुलेट होगा महंगाई भत्ता

DA hike news : लेबर मिनिस्ट्री ने साल 2016 में 7वां वेतन आयोग लागू होने के बाद महंगाई भत्ते की कैलकुलेशन (Dearness Allowance Calculation) का फॉर्मूला भी बदल दिया था। श्रम मंत्रालय ने महंगाई भत्ते के आधार वर्ष (Base Year) 2016 में बदलाव किया और मजदूरी दर सूचकांक (WRI-Wage Rate Index) की एक नई सीरीज जारी की।  श्रम मंत्रालय (Labor Ministry) ने कहा कि आधार वर्ष 2016=100 के साथ WRI की नई सीरीज 1963-65 के आधार वर्ष की पुरानी सीरीज की जगह ली। अब एक बार फिर से महंगाई भत्ते का फॉर्मूला बदलने जा रहा है। आईये नीचे जानते हैं पूरी डिटेल...

 | 

HR Breaking News, New Delhi : केंद्रीय कर्मचारियों (central employees) का महंगाई भत्ता (DA hike news) मार्च में बढ़ेगा. इसमें 4 फीसदी का इजाफा होगा. कुल महंगाई भत्ता 50 फीसदी पहुंच जाएगा. लेकिन, इसके बाद की कैलकुलेशन बदल जाएगी. मार्च में DA बढ़ने के बाद नए तरीके से इसका कैलकुलेशन होगा. अगले महंगाई भत्ते (da hike big news) की कैलकुलेशन के आंकड़े 29 फरवरी से आने शुरू हो जाएंगे. जुलाई 2024 में महंगाई भत्ते (da hike) में बढ़ोतरी की कैलकुलेशन (DA Hike Calculation) नए तरीके या यूं कहें नए फॉर्मूला से होगी. इसके पीछे एक वजह है, दरअसल 50 फीसदी महंगाई भत्ता पहुंचने के बाद इसे जीरो (0) कर दिया जाएगा. 

 

8th Pay Commission: अब नहीं लागू होगा आठवां पे कमीशन, ऐसे बढ़ेगी कर्मचारियों की सैलरी

 

केंद्रीय कर्मचारियों (central employees news) को फिलहाल 46 फीसदी महंगाई भत्ता मिल रहा है. हाल ही में आए AICPI इंडेक्स के आंकड़ों से साफ हुआ है कि इस बार भी DA में 4% का इजाफा हुआ है. हालांकि, अभी इसे मंजूरी केंद्रीय कैबिनेट से मिलनी है. कर्मचारियों को अप्रैल की सैलरी से बढ़े हुए डीए का फायदा मिलेगा. लेकिन, इसे लागू 1 जनवरी 2024 से किया जाएगा. इस बीच अगली तैयारी शुरू हो चुकी है. जनवरी के बाद महंगाई भत्ते (da hike big update) में अगला इजाफा जुलाई 2024 में होगा. इस महंगाई भत्ते (Dearness allowance) की कैलकुलेशन में बदलाव आ सकता है. क्योंकि, 50 फीसदी महंगाई भत्ता होने के बाद इसे शून्य कर दिया जाएगा और नए महंगाई भत्ते की कैलकुलेशन 0 से शुरू होगी.

What is DA?


केंद्र और राज्यों के सरकारी कर्मचारियों को उनकी कॉस्ट ऑफ लिविंग (Cost of Living) के स्तर को बेहतर बनाने के लिए महंगाई भत्ता (DA) मिलता है. महंगाई के अनुपात में महंगाई भत्ते की कैलकुलेशन होती है. कर्मचारी को उनके रहन-सहन का स्तर सुधारने के लिए भत्ते के तौर पर DA सैलरी स्ट्रक्चर का पार्ट रखा जाता है. केंद्रीय कर्मचारियों (central employees), पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को महंगाई भत्ता (DA) और पेंशनधारकों को महंगाई राहत (Dearness relief) दिया जाता है. यही स्ट्रक्चर राज्यों में भी लागू होता है.

 

8th Pay Commission: अब नहीं लागू होगा आठवां पे कमीशन, ऐसे बढ़ेगी कर्मचारियों की सैलरी

 

आधार वर्ष की नई सीरीज से कैलकुलेट होता है DA
श्रम मंत्रालय (Labour minitry) ने साल 2016 में 7वां वेतन आयोग (7th pay commission) लागू होने के बाद महंगाई भत्ते की कैलकुलेशन का फॉर्मूला (da hike formula) भी बदल दिया था. श्रम मंत्रालय ने महंगाई भत्ते (da hike calculation) के आधार वर्ष (Base Year) 2016 में बदलाव किया और मजदूरी दर सूचकांक (WRI-Wage Rate Index) की एक नई सीरीज जारी की. श्रम मंत्रालय ने कहा कि आधार वर्ष 2016=100 के साथ WRI की नई सीरीज 1963-65 के आधार वर्ष की पुरानी सीरीज की जगह ली.

कैसे होता है महंगाई भत्ते का कैलकुलेशन?
7th Pay Commission के महंगाई भत्ते की मौजूदा दर को मूल वेतन (Basic Pay) से गुणा करने पर महंगाई भत्ते की रकम निकाली जाती है. मौजूदा दर 46% है, अगर आपका मूल वेतन 56,900 रुपए डीए (56,900 x46)/100 है. महंगाई भत्ते का फीसदी= पिछले 12 महीने का CPI का औसत-115.76. अब जितना आएगा उसे 115.76 से भाग दिया जाएगा. जो अंक आएगा, उसे 100 से गुणा कर दिया जाएगा.

कैसे कैलकुलेट करें सैलरी पर कितना मिलेगा डीए?
7वें वेतन आयोग (7th Pay Commission Salary hike) के तहत सैलरी कैलकुलेशन के लिए कर्मचारी की बेसिक सैलरी पर DA कैलकुलेट करना होगा. मान लीजिए किसी केंद्रीय कर्मचारी की न्यूनतम बेसिक सैलरी 25,000 रुपए है तो उसका महंगाई भत्ता (DA Calculation) 25,000 का 46% होगा. 25,000 रुपए का 46% यानी कुल 11,500 रुपए होगा. ये एक उदाहरण है. इसी तरह बाकी सैलरी स्ट्रक्चर वाले भी अपनी बेसिक सैलरी के हिसाब से इसे कैलकुलेट कर सकते हैं.

 

8th Pay Commission: अब नहीं लागू होगा आठवां पे कमीशन, ऐसे बढ़ेगी कर्मचारियों की सैलरी

 

महंगाई भत्ते पर लगता है टैक्स
महंगाई भत्ता  (da hike) पूरी तरह टैक्‍सेबल (tax on DA hike) होता है. भारत में आयकर नियमों के तहत इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में महंगाई भत्ते के बारे में अलग से जानकारी देना होती है. मतलब आपको जितनी रकम महंगाई भत्ते के नाम पर मिलती है वह टैक्‍सेबल है और उस पर टैक्स चुकाना होगा.

 


क्या आठवें वेतन आयोग का गठन होगा? 

 

8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के गठन का इंतजार कर रहे केंद्रीय कर्मचारियों को सरकार ने झटका दिया है. 8वें वेतन आयोग के गठन को लेकर राज्यसभा में प्रश्नकाल में पूछे गए सवाल के जवाब में वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने कहा सरकार के सामने ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है. 

राज्यसभा सदस्य रामनाथ ठाकुर ने वित्त मंत्री से सवाल किया कि 7वें वेतन आयोग (7th pay commission) के पैरा 1.22 पर विचार ना करने और उसे अनुमोदित नहीं किए जाने की क्या वजहें फाइलों में दर्ज की गई है. इस प्रश्न का जवाब देते हुए वित्त राज्यमंत्री ने कहा, सातवें वेतन आयोग के आधार पर वेतन और भत्तों में संशोधन पर मंजूरी देते समय कैंद्रीय कैबिनेट ने इस मामले पर विचार नहीं किया है.

सातवें वेतन आयोग (7th pay commission) के रिपोर्ट के पैरा 1.22 में 5 वर्ष के बाद फिटमेंट फैक्टर की समीक्षा करने की सिफारिश की गई है जिससे केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन बढ़ोतरी का रास्ता साफ हो सकेगा. लेकिन सरकार इसे लागू करने से बचती आई है.   

वित्त मंत्री से ये भी पूछा गया कि आठवें वेतन आयोग का गठन इसलिए तो नहीं किया जा रहा क्योंकि सरकार वेतन आयोग (pay commission) के भार को वहन की हालत में नहीं है?  क्यों दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्ता होने का दावा करने वाली सरकार पिछले 30 सालों से महंगाई का सामना कर रहे केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन की समीक्षा के लिए आठवें वेतन आयोग का गठन नहीं कर रही है? इस सवाल के जवाब में वित्त राज्यमंत्री ने कि सरकार के सामने ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है. 

कमरतोड़ महंगाई के मद्देनजर केंद्रीय कर्मचारी लगातार सरकार से आठवें वेतन आयोग के गठन करने की मांग कर रहे हैं. हर 10 साल बाद सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशनर्स के पेंशन में बढ़ोतरी के लिए सरकार नए वेतन आयोग का गठन करती है.  वेतन आयोग को अपनी रिपोर्ट और सिफारिशें जमा करने के लिए 18 महीने का समय दिया जाता है. 7वें वेतन आयोग का गठन 2014 में किया गया था और उसकी सिफारिशों को एक जनवरी 2016 से लागू किया गया था. 

जानिये पुरानी पेंशन योजना पर सरकार का क्या मुड 


 पिछले काफी समय से देश भर में पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) यानी ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को फिर से लागू करने की मांग हो रही है। इसको लेकर पूरे देश में राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन चल रहा है। जब-जब चुनावी सीजन करीब आता है इसकी मांग और तेज हो जाती है। ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) के मद्देनजर अब नए सिरे से पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Yojana) को लागू करने की मांग को लेकर बहस छिड़ गई है। एक तरफ सरकार जहां पुरानी पेंशन को लागू किए जानें के पक्ष में नजर नहीं आ रही है, वहीं, चुनावी माहौल में विपक्षी पार्टियां पुरानी पेंशन व्यवस्था (Old Pension System) की बहाली पर लगातार सियासत करती आई हैं। आगामी चुनाव में भी कुछ पार्टी इसकी बहाली के मुद्दे को उठाकर वोटर को लुभाने का प्रयास कर सकती है।


पुराने पेंशन योजना को बहाल कर सकती है सरकार?


ऐसे में क्या लोकसभा चुनाव को देखते हुए केंद्र की मोदी सरकार कर्मचारियों की मांग को ध्यान में रखते हुए एक बार फिर से पुरानी पेंशन को वापस ला सकती है? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि सैलरीड और पेंशनर्स एक बड़ा वोटर वर्ग है। चुनाव के देखते हुए सरकार इन्हें लुभाने का प्रयास करती रहती है। कई राज्यों में कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की मांग कर रहे हैं। आखिर न्यू पेंशन स्कीम (New Pension Scheme) को छोड़ कर्मचारी फिर से पुरानी पेंशन की मांग ही क्यों कर रहे हैं? क्या सरकार उनकी मांग पर कोई हल निकालने की कोशिश करेगी? अगर देश भर में एक बार फिर पुरानी पेंशन योजना लागू हुई तो सरकारी कर्मियों को कौन-कौन से फायदे होंगे? इन सभी सवालों के जवाब हम आपको देने जा रहे हैं।

ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) क्या है?


पुरानी पेंशन योजना यानी ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) के तहत सरकार साल 2004 से पहले कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद एक निश्चित पेंशन देती थी। यह पेंशन कर्मचारी के रिटायरमेंट के समय उनके वेतन पर आधारित होती थी। इस स्कीम में रिटायर हुए कर्मचारी की मौत के बाद उनके परिजनों को भी पेंशन दी जाती थी। हालांकि, पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) को 1 अप्रैल 2004 में बंद कर दिया गया था। इसे राष्ट्रीय पेंशन योजना (National Pension Scheme) से बदल दिया गया है। जिसके बाद से  इसको वापस लेने की मांग काफी जोरों से हो रही है। वहीं, पुरानी पेंशन योजना  लागू करने की मांग भी लगातार की जा रही है।

पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) के फायदे


इस स्कीम के तहत कर्मचारियों को रिटायरमेंट के समय उनके वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है।
पुरानी पेंशन स्कीम में अगर रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी की मृत्यु हो जाए तो उनके परिजनों को पेंशन की राशि दी जाती है।
इस स्कीम में पेंशन देने के लिए कर्मचारियों के वेतन से किसी भी तरह की कटौती नहीं होती है।
OPS में रिटायरमेंट के समय कर्मचारियों की अंतिम बेसिक सैलरी का 50 फीसदी यानी आधी राशि तक पेंशन के रूप में दिया जाता है।
इस स्‍कीम के जरिये रिटायरमेंट  के बाद मेडिकल भत्‍ता और मेडिकल बिलों की रिम्बर्समेंट की सुविधा भी दी जाती  है।
इस स्कीम में रिटायर्ड हुए कर्मचारी को 20 लाख रुपये तक ग्रेच्‍युटी की रकम दी जाती है।


ओपीएस बहाली पर सरकार ने फिर साफ किया अपना रुख


हालांकि, इस योजना को फिर से लागू करने को लेकर सरकार ने अपना रुख एक बार फिर साफ कर दिया है। लोकसभा में ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली के इस मुद्दे पर को लेकर किए गए सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी (Pankaj Chaudhary) ने  कहा कि सरकार के पास ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है।

RBI ने भी OPS को लेकर किया आगाह

वहीं,भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) यानी ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को लेकर आगाह किया है। RBI ने कहा है कि इसे लागू करने से राज्यों के वित्त पर काफी दबाव पड़ेगा और विकास से जुड़े खर्चों के लिए उनकी क्षमता सीमित होगी। आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस प्रकार राज्यों के पुरानी पेंशन की ओर लौटना पीछे की तरफ जाने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।