8th Pay Commission : कर्मचारियों को लगेगा तगड़ा झटका, छठे, 7वें वेतन आयोग की तरह नहीं होगी उम्मीद पूरी

HR Breaking News (8th Pay Commission) केंद्रीय सरकार की ओर से जनवरी में ही आठवें वेतन आयोग के गठन का ऐलान किया था। मंजूरी मिलने के बाद से ही आठवें वेतन आयोग से ही अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या इस नए वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर की लिमिट 2.57 से 2.86 की सिफारिश है।
इसके अलावा कई ओर चीजों को लेकर भी चर्चांए हो रही है, लेकिन अब इस अपडेट (8th Pay Commission Updates) के बाद सरकारी कर्मचारियों को तगड़ा झटका लगने वाला है।
फिटमेंट फैक्टर को लेकर उम्मीदें
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बताया जा रहा है कि आठवें वेतन आयोग के लिए नेशनल काउंसिल जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (NC JCM) के कर्मचारियों ने 2.57 से ज्यादा फिटमेंट फैक्टर रखने को लेकर मांग की है। इस फिटमेंट फैक्टर को 7वें वेतन आयोग ने तय किया था।
इसी वर्ष फरवरी 2025 में जब कर्मचारियों ने (Terms of Reference ) में शामिल होने के लिए 15 मांगें रखीं, जिन्हें 8वें वेतन आयोग के काम शुरू करने से पहले इस महीने लागू किए जाने के आसार है।
कर्मचारी संगठन चाहते हैं कि आठवें वेतन आयोग (Eighth Pay Commission) इंडस्ट्रियल और नॉन-इंडस्ट्रियल कर्मचारियों, अखिल भारतीय सेवाओं, रक्षा और अर्धसैनिक बलों, ग्रामीण डाक सेवकों और अन्य कैटेगिरी के साथ ही केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन, भत्ते, पेंशन और रिटायरमेंट बेनिफिट चेक करें और उनमे बदलाव करें।
कब से लागू हो सकता है आठवां वेतन आयोग
कर्मचारी संगठनों का कहना है कि आयोग (kb lagu hoga 8th Pay Commission ) को 1 जनवरी, 2026 से प्रभावी केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन और लाभों में बदलाव को सुनिश्चित करना चाहिए।
उनका कहना है कि ToR को आधुनिक जीवन स्तर (Modern Living Standards) को रिफ्लेक्ट करने के लिए बदलावों के साथ 15वें भारतीय श्रम सम्मेलन (1957) की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम मजदूरी का सुझाव देने की आवश्यकता है।
क्या सरकार मानेगी कर्मचारियों की मांग
जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि नया वेतन आयोग कर्मचारी संगठन की मांगों (demands of workers union)को पूरी तरह से स्वीकार करने की संभावना बहुत कम है।
यहां तक कि पूर्व वित्त सचिव का मानना है कि सरकार कर्मचारियों के वेतन (Salaries of employees) में बदलाव के लिए सरकार कर्मचारी संगठन से 1.92 के फिटमेंट फैक्टर पर समझौता कर सकती है।
7वें वेतन आयोग में क्या थी मांग
इससे पहले वर्तमान में चल रहे सातवें वेतन आयोग (7th pay commission)की सिफारिशें 2015 में आईं, तो उस समय में कर्मचारियों ने न्यूनतम वेतन (Minimum salary for employees)को बढ़ा दिया था ओर बढ़ाकर 26,000 रुपये करने की मांग की थी। यह आंकड़ा उस समय के न्यूनतम वेतन 7,000 रुपये से तकरीबन 3.7 गुना ज्यादा था।
कर्मचारी संगठनों का कहना है कि ये अमाउंट 15वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों और आम नागरिकों के हिसाब से तय की गई थी। हालांकि कर्मचारियों की मांगे (demands of employees) पूरी की गई, लेकिन आयोग ने इन मांगों को पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया। बता दें कि इसका केलकुलेशन एक्रोयड फार्मूले के आधार पर किया गया और इसी के आधार पर 18,000 रुपये न्यूनतम वेतन और 2.57 का फिटमेंट फैक्टर निर्धारित किया गया था।
क्या हुआ था छठे वेतन आयोग में
वहीं, जब सरकार की ओर से छठा वेतन आयोग (6th Pay Commission) लागू किया जा रहा था, तो उस समय में कर्मचारी पक्ष ने 10,000 रुपये न्यूनतम वेतन की डिमांड की थी। उनका कहना था कि सार्वजनिक क्षेत्र के जो कर्मचारी है वो इस वेतन पर काम कर रहे हैं, तो केंद्र सरकार के कर्मचारियों के साथ ऐसा भेदभाव क्यों हो रहा है।
लेकिन आयोग ने कर्मचारियों की इस मांग को तथ्यों से ऊपर बताया और 5,479 रुपये न्यूनतम मूल वेतन (Employees Minimum Basic Pay) की गणना की। भले ही इसे बाद में थोड़ा बढ़ाकर 6,600 रुपये और फिर 7,000 रुपये कर दिया गया।
क्या होगा कर्मचारियों की उम्मीदों का
अब समय के साा-साथ एक बार फिर महंगाई का बोझ आम कर्मचारियों पर पड़ रहा है, जिसके चलते उन्हें चिंताए हो रही है और घटती क्रय शक्ति (Purchasing Power) भी कर्मचारियों की चिंताओं को बढ़ा रही है।
ऐसे में कर्मचारी संगठनों की डिमांड है कि कम से कम इस आठवें वेतन आयोग (Eighth Pay Commission) में तो सरकार देश की मौजूदा आर्थिक हकीकत को देखते हुए सैलरी और पेंशन में इजाफा करें। जहां एक ओर पिछले दो वेतन आयोगों ने कर्मचारियों की उम्मीदों से कम सिफारिशें की थीं।
वहीं दूसरी ओर इस बार केंद्र सरकार में जो कर्मचारी काम कर रहे हैं, उन कर्मचारियों और रिटायर्ड कर्मचारियों (Retired employees) को आशा है कि इस बार उन्हें कुछ राहत मिल सकती है।