Badri Cow: 5500 रुपये किलो इस घी के रेट, जानिए ऐसी क्या है खासियत
भारत एक कृषि प्रधान देश है। लेकिन भारत देश को हम पशुपालन में भी एक प्रधान देश मान सकते हैं। भारत में अनेकों धर्मों के लोग रहते हैं। लेकिन हिंदू धर्म में गाय को एक मां का दर्जा दिया जाता है। गाय को लाभदायक पशु माना जाता है। इसी कड़ी में आज हम आपको एक कामधेनु गाय के बारे में बताने जा रहे हैं।

HR Breaking News (ब्यूरो): भारत में कई नस्लों की गाय पाई जाती है. हिंदू धर्म में गाय का एक अलग ही स्थान है. गाय को माता का दर्जा दिया गया है, क्योंकि गाय से उत्पन्न होनी वाली हर एक चीज स्वास्थ्य व प्रकृति के लिए लाभदायक मानी जाती है. पशुपालक भी अब फिर गौ पालन की ओर अग्रसर हो रहे हैं. खेती के साथ-साथ किसान गौ पालन से एक अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं. इसी कड़ी में आज हम एक ऐसी गाय के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे पहाड़ों की कामधेनु का दर्जा मिला हुआ है और उसका घी 5500 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिकता है. इस गाय का नाम है बद्री गाय, जो छोटे किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है.
बद्री गाय कितना देती है दूध
बद्री गाय बेहतरीन गायों की नस्ल में से एक है. बद्री गाय मुख्यत: उत्तराखंड में पाई जाती है. देखा जाए तो यह गाय बाकी गायों की तुलना में कम दूध यानि की 3 से 4 लीटर दूध देती है, मगर इस गाय का घी बहुत कीमती है. आपको जहां एक साधारण गाय का घी 800 से 1000 रुपए प्रति किलो के हिसाब से मिल जाएगा, तो वहीं बद्री गाय का घी 5500 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिकता है. यानि की कीमत 5 गुना अधिक है.
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बद्री गाय का घी बहुत महंगा
आपके मन में यह प्रश्न जरूर आ रहा होगा कि आखिर बद्री गाय का घी इतना महंगा क्यों बिकता है. आपको बता दें कि बद्री गाय केवल सर्द व पहाड़ी इलाकों के लिए अनुकूल होती है.
बद्री गाय के घी में 8.4 फीसदी फैट पाया जाता है, जो साधारण गाय व भैंस की तुलना में बहुत अधिक है. इसके अलावा बद्री गाय के दूध में क्रूड प्रोटीन 3.26 फीसदी व टोटल सॉलिड 9.02 फीसदी पाया जाता है. साथ ही इसमें कई अन्य पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जिससे इसके बना घी बहुत महंगा मिलता है.
बद्री गाय हो रही विलुप्त
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यह हमारे लिए बड़ी दुर्भाग्य की बात है कि लोग अब भागदौड़ भरी जिंदगी में बद्री गाय को भूलते जा रहे हैं. दूध उत्पादन कम होने के कारण यह गाय विलुप्ती के कगार पर पहुंच रही है. लेकिन पालकों को कभी-कभी दूध की क्वांटिटी की जगह क्वालिटी पर ध्यान देना चाहिए, जिसे बद्री गाय को संरक्षित करने में मदद मिलेगी. अब इन गायों की संख्या महज सौ के आंकड़ें मे सिमट कर रह गई है.
चंपावत के नरियाल गांव के पशुपालन प्रजनन केंद्र में बद्री गाय को संरक्षित करने के लिए प्रयास किया जा रहा है, जो कि एक सराहनीय काम है. चंपावत जिले की तरह ही बाकी जिलों व राज्यों को भी इसके संरक्षण के लिए आगे आने की जरूरत है.