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Check payment : सावधान! चेक से पेमेंट कर रहे हैं तो हो जाएं सावधान, अब नहीं होगा इस गलती का सुधार

अगर आप चेक से payment कर रहे हैं तो इस खबर को ध्यान से पढ़ लें। इसमें चेक संबंधित जरूरी जानकारी दी गई है। Check से Payment के मामले में Supreme Court (एससी) का एक बड़ा Order सामने आया है। चेक करें डिटेल।
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Check payment : सावधान! चेक से पेमेंट कर रहे हैं तो हो जाएं सावधान, अब नहीं होगा इस गलती का सुधार

HR Breaking News : नई दिल्ली : SC के मुताबिक अगर किसी के Check में कोई अन्य व्यक्ति भी Detail भरता है तब भी जिम्मेदारी चेक ड्रॉअर (जिसका चेक है) की ही होती है। 
इस मामले में जस्टिस DY चंद्रचूड़ और एएस बोपन्ना की दो न्यायाधीशों की पीठ ने चेक bounce मामले में अपील की अनुमति देते हुए यह बात कही है।


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किसी भी सूचत में चेक को नहीं किया जा सकता खारिज


लाइव लॉ की Report के अनुसार अदालत ने कहा कि यदि कोई handwriting expert की Report ये बताती है कि चेक में Detail उस व्यक्ति ने नहीं भरी जिसका चेक है, तो इस स्थिति में भी चेक को खारिज (Discredit) नहीं किया जा सकता है।


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आप खुद होंगे जिम्मेदार


शीर्ष अदालत ने कहा कि चेक पर हस्ताक्षर करने वाला, जब पेई (जिसे पेमेंट मिलती है) को चेक देता है, तो उसे तब तक उत्तरदायी माना जाता है जब तक कि यह साबित नहीं हो जाता है कि चेक डेब्ट के भुगतान या लायबिलिटी के डिस्चार्ज के लिए जारी किया गया था।

अदालत ने कहा कि इस तरह के निर्धारण के लिए, तथ्य यह है कि चेक में डिटेल ड्रॉअर (चेक जारी करने वाला) द्वारा नहीं बल्कि किसी अन्य व्यक्ति द्वारा भरी गयी है।

एक्सपर्ट की रिपोर्ट के अनुसार नहीं मिलेगी राहत


अदालत ने कहा कि Headwriting Expert की Report कि क्या detail drawer द्वारा भरी गयी या नहीं, इस बात की इस बचाव के लिए कोई भूमिका नहीं है क्या चेक किसी डेब्ट लायबिलिटी देयता के भुगतान के लिए जारी किया गया था।

Supreme Court ने इस साल मई में check bounce के मामलों के त्वरित निपटान के लिए पांच राज्यों में एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के साथ विशेष अदालतों के गठन का निर्देश दिया था।

नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट (एनआई)


आपकी जानकारी के लिए बता दें कि Negotiable Instruments एक्ट (NI) के तहत महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, उत्तर प्रदेश और राजस्थान राज्यों में लंबित मामलों की एक बड़ी संख्या को देखते हुए विशेष अदालतों की स्थापना की गई थी।

इन राज्यों में check bounce से लंबित कई मामलों के मद्देनजर तीन-न्यायाधीशों के Panel में जस्टिस एल नागेश्वर राव, BR गवई और एस रवींद्र भट को शामिल किया गया था। 
कहा गया था कि महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, उत्तर प्रदेश और राजस्थान राज्य विशेष अदालतें स्थापित करेंगे, जो कि Negotiable Instruments एक्ट के तहत स्थापित होंगी। Supreme Court ने इससे पहले भी देश भर में check bounce के मामलों का तेजी से समाधान सुनिश्चित करने के लिए कई Instructions जारी किए थे। 
शीर्ष अदालत ने यह भी अनुरोध किया कि केंद्र यह सुनिश्चित करने के लिए कानून में संशोधन करे कि ऐसे मामलों में मुकदमे शामिल हो जाएं यदि वे एक वर्ष के भीतर एक ही व्यक्ति के खिलाफ लाए जाते हैं और एक ही लेनदेन से जुड़े होते हैं।



 

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