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Trending : पति-पत्नी एक साल में बन गए करोड़पति, मिले 7 हीरे

हर व्यक्ति चाहता है कि उसे कभी अनचाहा खजाना मिल जाए पर ये असलियत में नामुमकिन सा लगता है। आज हम आपको एक ऐसे ही व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे हैं जिनकी बीवी की किस्मत रातों-रात चमक गई। पति ने पहले अपने नाम से पट्टा लिया, लेकिन ज्यादा कामयाबी नहीं मिली, फिर पत्नी के नाम से पट्टा लेकर कोशिश की, तो जैसे लॉटरी ही लग गई। आइए जानते हैं पूरी कहानी-

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Trending : पति-पत्नी एक साल में बन गए करोड़पति, मिले 7 हीरे

HR Breaking News (ब्यूरो)। हीरे निकालने की तमन्ना में कारोबारी अपना अच्छा खासा चल रहा बिजनेस छोड़कर पत्नी के साथ पन्ना आ गया। यहां अक्टूबर 2021 में हीरे की खदान ली। पति ने पहले अपने नाम से पट्टा लिया, लेकिन ज्यादा कामयाबी नहीं मिली, फिर पत्नी के नाम से पट्टा लेकर कोशिश की, तो जैसे लॉटरी ही लग गई।


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किस्मत ऐसे चमकी की एक महीने में ही पत्नी को 5 उज्जवल किस्म के हीरे मिल गए। नवरात्रि पर एक और हीरा 9.64 कैरेट का मिला। इसकी अनुमानित कीमत करीब 50 लाख रुपए बताई जा रही है। दंपती को अबतक 6 उज्जवल किस्म के और एक कम क्वालिटी का हीरा मिल चुका है। पढ़िए पति-पत्नी के हीरा खदान में किस्मत आजमाने की कहानी...

यूपी के रहने वाले राणा प्रताप चौहान। नोएडा में बिल्डिंग मटेरियल सप्लायर का बिजनेस कर रहे थे। उनके यहां पन्ना के गौतम मिस्त्री, शहमद विश्वास और मनोज दास काम करते थे। तीनों ने उन्हें पन्ना जिले में हीरे की खदानों के बारे में बताया था। तीनों युवकों की बात मानकर उन्होंने बिल्डिंग मटेरियल का बिजनेस कर्मचारियों के भरोसे छोड़ दिया। अक्टूबर 2021 में पत्नी मीना देवी के साथ हीरों की नगरी पन्ना में आकर हीरा की खदान शुरू की। इसके लिए उन्होंने हीरा कार्यालय से सिरस्वाहा क्षेत्र के भरका में खदान का पट्टा लिया।

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पत्नी के नाम से लिया पट़्टा, उसी महीने मिले 5 हीरे


दंपती को पहला हीरा जनवरी 2022 में मिला था। 4.57 कैरेट के इस हीरे की क्वालिटी सही नहीं थी। यह हीरा 2 लाख 6 हजार में नीलाम हुआ। जुलाई 2022 में कारोबारी ने पत्नी मीना देवी के नाम से खदान का पट्टा बनवाया।

इसके बाद तो जैसे लक्ष्मी उन पर मेहरबान हो गई। जुलाई में पत्नी के नाम से पट्टा बनवाते ही उन्हें 5 हीरे मिले। इनमें एक हीरा 2.13 कैरेट का था। पांचों हीरे एक कैरेट से कम थे। इसके बाद भी वह हीरे की तलाश करते रहे। पत्नी को नवरात्रि के दिनों में 9.64 कैरेट का बेशकीमती हीरा मिला। उन्होंने यह हीरा कार्यालय में जमा करवा दिया है। इस हीरे की अनुमानित कीमत 50 लाख रुपए बताई जा रही है।


कारोबारी बोला-पत्नी की मेहनत का परिणाम


हीरा मिलने के बाद राणा प्रताप ने इसे देवी मां का आशीर्वाद और पत्नी की मेहनत बताया। उन्होंने कहा कि इसका सारा श्रेय उन तीनों युवकों को भी जाता है, जिन्होंने खदान के बारे में बताया। राणा ने बताया कि उनका बिजनेस काफी अच्छा चल रहा था। जब हीरा खदान की जानकारी लगी तो यहां आने का मन किया। दुकान पर काम करने वालों से जानकारी जुटाकर बिजनेस मजदूरों के भरोसे छोड़कर यहां आ गया।

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नीलामी के बाद मिलेंगे पैसे


हीरा पारखी अनुपम सिंह ने बताया कि मीणा देवी के नाम जमा हुए सभी 6 हीरे 18 अक्टूबर की हीरा नीलामी में रखे जाएंगे। 6 हीरों में 9.64 कैरेट का हीरा सबसे बड़ा है। नीलामी में मिलने वाली रकम में से 12 प्रतिशत शासन की रॉयल्टी व 1 प्रतिशत टैक्स काटकर बाकी राशि उसके बैंक खाते में डाल दी जाएगी।


उज्जवल किस्म का हीरा मतलब क्या?


हीरे तीन प्रकार के होते हैं। पहला- उज्ज्वल/जेम, दूसरा- मैलो और तीसरा- मट्ठो। सबसे ज्यादा भाव जेम क्वालिटी के हीरे को मिलता है। यह बिल्कुल सफेद होता है। सूरत के सराफा बाजार में 8 लाख रुपए औसत एक कैरेट हीरे की कीमत होती है, जो शुद्ध मात्रा में होता है। पन्ना जिले की नीलामी में 4 लाख रुपए औसत बोली लगाई जाती है। यह पूरी तरह शुद्ध नहीं होता। मेलो यानी ब्राउन और मट्‌ठो यानी काला होता है।

सरकारी जमीन का पट्‌टा पाने की प्रक्रिया


पन्ना में सरकारी जमीन का पट्‌टा पाने के लिए आवदेन फॉर्म भरना होता है। हीरा कार्यालय के लिपिक सुनील कुमार जाटव ने बताया, आवेदन फॉर्म के साथ तीन फोटो, आधार कार्ड की कॉपी और 200 रुपए का बैंक चालान पन्ना की SBI शाखा में जमा करना होता है। चालान की एक कॉपी कार्यालय में भी जमा कराना पड़ती है। इसके बाद 20 दिन के अंदर पट्‌टा मिल जाता है।

निजी जमीन में पट्टे की प्रक्रिया


निजी जमीन में हीरा खदान चलाने के लिए जमीन मालिक से सहमति और समझौता पत्र, बिक्रीनामा, किरायानामा जरूरी है। 3 फोटो, आधार कार्ड की कॉपी, 200 रुपए का चालान जमा कराने के बाद पट्टा जारी कर दिया जाता है। निजी खदान कहीं भी संचालित तो हो सकती है, लेकिन इलाके का हीरा खनन क्षेत्र के नक्शे में होना जरूरी है।

ऐसे निकलता है हीरा


फॉर्म वगैरह की प्रक्रिया पूरी करने के बाद हीरा कार्यालय पट्‌टा जारी करता है। इसके बाद ठेकेदार खुद या लेबर लगाकर हीरे को खोज सकता है। पहले मिट्‌टी को छांटकर बाहर फेंक दिया जाता है। इसके बाद पथरीली मिट्‌टी को पानी में धोते हैं। इसके बाद सुखाकर इसकी छनाई की जाती है। उसी में से हीरे निकलते हैं जो कि किस्मत और मेहनत का खेल है।

12% राजस्व काटकर बाकी पैसा हीरा ढूंढने वाले को मिलते है


हीरा मिलने पर इसे हीरा कार्यालय में जमा कराना होता है। वहां से बाकायदा नीलामी की प्रक्रिया होती है, जिसमें देश के बड़े कारोबारी भाग लेते हैं। वे दाम लगाते हैं। जो दाम तय होता है, उसमें से 12% राशि राजस्व सरकार काट लेती है। शेष रकम हीरा ढूंढने वाले को दे दिए जाते हैं। काटी जाने वाली राशि में 11% रॉयल्टी और 1% TDS होता है। नीलामी की प्रक्रिया हर तीन महीने में एक बार व साल में चार बार कराई जाती है। अखबारों में बाकायदा एड जारी होता है।


गृहिणी को खुदाई में मिला 10 लाख का हीरा


पन्ना की एक गृहिणी ने करीब सात महीने पहले 200 रुपए में खदान का पट्टा लेकर खुदाई शुरू की। उसे यहां से 10 लाख रुपए का हीरा मिला। हीरा मिलने के बाद महिला ने कहा कि वह इन रुपयों से अपना घर बनाएगी।


पन्ना में हीरों की तलाश में खत्म कर रहे जंगल

प्रदेश का पन्ना जिला हीरे की खदानों के लिए मशहूर है, लेकिन अब ये रत्न ही इस क्षेत्र के जंगलों के लिए मुसीबत बन गया है। यहां सितंबर में हीरे तलाशने वालों की भीड़ बढ़ गई। यहां 20 हजार लोग हीरे की तलाश में अवैध रूप से खुदाई की जा रही है। इसके लिए पेड़ों की जड़ों तक को काटा जा रहा है। 20 हजार लोग पेड़ों की जड़ें काटकर गड्‌ढे खोद रहे हैं। पांच दिन में 15 हीरे मिल चुके हैं। 


पन्ना में हीरे की खोज में जुटी भीड़


पन्ना जिले की रुंझ नदी। यहां हीरा तलाशने के लिए लोगों की भीड़ लगी है। आसपास के जिलों के ही नहीं, उत्तर प्रदेश से भी लोग यहां अपनी किस्मत आजमाने पहुंच रहे हैं। मिट्टी में हीरे की तलाश कर रहे हैं। हीरा तलाशने वालों ने यहां तीन से चार फीट तक के गड्ढे कर दिए हैं।