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bank cheque bounce case : चेक बाउंस मामले में हाईकोर्ट ने दिया सख्त फैसला, अब भुगतने होंगे गंभीर परिणाम

cheque bounce decision : चेक बाउंस होना दंडनीय अपराध माना जाता है। इस कारण चेक बाउंस होने पर चेक जारी करने वाले की कई तरह की समस्याएं बढ़ जाती हैं। अब चेक बाउंस (cheque bounce high court case) के मामले में हाईकोर्ट ने भी सख्त फैसला सुनाया है, जिस कारण चेक से भुगतान करने वालों को सतर्क होना जरूरी है। जरा सी चूक होने पर चेक बाउंस (cheque bounce news) हुआ तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
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bank cheque bounce case : चेक बाउंस मामले में हाईकोर्ट ने दिया सख्त फैसला, अब भुगतने होंगे गंभीर परिणाम

HR Breaking News - (cheque bounce )। चेक से भुगतान करने वालों के लिए अहम खबर है। अगर आप भी चेक से भुगतान (cheque using tips) करते हैं तो अभी से सतर्क हो जाएं और हाईकोर्ट के इस फैसले को भी जान लें। हाईकोर्ट ने चेक बाउंस के मामले में सख्ती बरतते हुए अहम टिप्पणी की है।

 

चेक बाउंस होना अपराध की श्रेणी में आता है और इसमें केस, सजा व जुर्माना (cheque bounce punishment)  किए जाने का प्रावधान है। हाईकोर्ट ने तो यहां तक कहा है कि चेक बाउंस (cheque bounce case latest update) होने पर चेक से भुगतान करने वाले को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। आइये जानते हैं हाईकोर्ट की इस तल्ख टिप्पणी व चेक बाउंस के इस मामले के बारे में डिटेल से।

 

 

 


यह टिप्पणी की है हाईकोर्ट ने अपने फैसले में-


दिल्ली कोर्ट (cheque bounce high court case) ने कहा है कि चेक बाउंस के मामले में नोटिस का मतलब अवसर देना होता है। इसके बावजूद ओरोपी भुगतान नहीं करता है तो इसे नोटिस की अनदेखी माना जाएगा। इसके चेक जारीकर्ता को गंभीर परिणाम (legal action on cheque bounce)  भुगतने होंगे। इस अनदेखी पर चेक लेनदार या चेक देनदार पर आपराधिक मुकदमा दर्ज करा सकता है। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में पुनरीक्षण याचिका पर यह अहम बात कही है। 


निचली अदालत ने लगाया था जुर्माना-


चेक बाउंस के इस मामले में मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट ने याचिकाकर्ता को दोषी ठहराते हुए तीन माह की (cheque bounce court case) सजा सुनाई थी। इसके अलावा उस पर 7 लाख रुपये का फाइन भी किया था।

शिकायतकर्ता को यह राशि चार माह तक न देने पर तीन माह अतिरिक्त सजा का आदेश भी कोर्ट ने सुनाया था। यह मामला अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के पास भी पहुंचा था, जिसमें मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट (metropolitan magistrate) के फैसले को सही बताया गया था। 


इस आदेश को नहीं किया हाई कोर्ट ने रद्द-


चेक बाउंस के इस मामले में मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट की ओर से दोषी ठहराए गए संजय नाम के व्यक्ति ने मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट के आदेश को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट (delhi HC decision on cheque bounce) में याचिका लगाई थी। हाई कोर्ट ने इन आदेशों को रद्द न करते हुए निचली कोर्ट के निर्णय को बरकरार रखा है।


याचिकाकर्ता के पास नहीं थे सबूत -


हाईकोर्ट ने इस मामले में (cheque bounce case) ने पाया कि याचिकाकर्ता ने चेक गुम होने व इसकी शिकायत दर्ज करवाने का दावा किया था। इसके सबूत या रिकॉर्ड (cheque bounce Record) याचिकाकर्ता नहीं दिखा सका। याची इस मामले में आरोपी था और उसने बैंक में उस चेक के भुगतान को रोकने के लिए भी नहीं कहा। इस कारण इन तमाम सुबूतों के अभाव में कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को यथावत रखा है।

जानिये क्या था मामला -


संजय नाम के एक व्यक्ति ने हाईकोर्ट (cheque bounce high court case) में याचिका लगाकर इस मामले में न्याय की गुहार लगाई थी। उसने एक माह के लिए बैंक से 4.80 लाख का लोन लिया था। बाद में संजय ने बैंक में इस लोन की एवज में चेक दिया था।

बैंक में चेक लगाने के बाद वह बाउंस (cheque bounce reasons) हो गया। इसके बाद बैंक की ओर से इस शख्स को 15 दिन का नोटिस दिया गया था लेकिन इस नोटिस (cheque bounce notice) की अनदेखी की गई और पैसों का भुगतान नहीं किया गया। इसके बाद यह मामला कोर्ट तक पहुंचा था।