home page

Bank Loan Defaulters Rule : बैंक से लिया लोन नहीं भरने पर आ जाएगी प्रोपर्टी नीलामी की नौबत, आपको पता होने चाहिए अपने ये 5 अधिकार

Loan Holder's Rights : बैंक से लोन लेने के बाद ग्राहक इसकी ईएमआई नहीं चुका पाता है तो लोन डिफॉल्ट (loan default) हो जाता है और लोनधारक को लोन डिफॉल्टर घोषित कर दिया जाता है। इसके बाद लोनधारक की प्रोपर्टी नीलाम होने तक की नौबत आ जाती है। ऐसे में ग्राहक को अपने 5 अधिकारों (loan borrower's rights) के बारे में पता होना बहुत जरूरी है ताकि समय से संभलते हुए वह कई तरह की परेशानियों से बच सके। आइये जानते हैं कौन से हैं ये खास अधिकार -

 | 
Bank Loan Defaulters Rule : बैंक से लिया लोन नहीं भरने पर आ जाएगी प्रोपर्टी नीलामी की नौबत, आपको पता होने चाहिए अपने ये 5 अधिकार

HR Breaking News - (home loan rules) फाइनेंशियल इमरजेंसी में अक्सर लोग बैंक से लोन (loan repayment rights) तो ले लेते हैं लेकिन इसे चुकाने में असमर्थ होने पर कई समस्याओं से घिर जाते हैं। यहां तक कि लोन लेने वाले की प्रोपर्टी नीलाम (property auction rules) होने तक की नौबत भी आ जाती है।

इस नौबत के आने पर लोनधारक को मानसिक परेशानी के अलावा आर्थिक नुकसान होने का डर भी सताने लगता है। इस स्थिति में भी लोनधारक के 5 खास अधिकार (loan holder's rights) होते हैं, अधिकतर लोगों को इस बारे में पता ही नहीं है। नीचे खबर में जानिये एक एक करके इन पांचों विशेष अधिकारों के बारे में।

 

 


पहले जानिये क्या कदम उठा सकता है बैंक-


होम लोन देते समय बैंक लोनधारक के प्रॉपर्टी के कागजात (property documents) अपने पास जमा करवा लेता है, इसके साथ ही लोन के बदले प्रोपटी को गिरवी रख लिया जाता है।

लोनधारक लोन नहीं चुका पाता है तो बैंक के पास लोन लेने वाले को डिफॉल्‍टर (loan defaulter's rights) घोषित करने का अधिकार होता है और बैंक  गिरवी रखी प्रॉपर्टी को कानूनन जब्त करके नीलाम कर सकता है। बैंक किसी को बेशक लोन डिफॉल्‍टर (loan defaulter) घोषित कर दे, लेकिन उसके भी कई अधिकार होते हैं। इनके बारे में हर लोनधारक को पता होना चाहिए। 

ऐसे आती है प्रोपर्टी नीलामी की नौबत-


जब होम लोन की पांच ईएमआई लगातार बाउंस (loan EMI bounce) हो जाती हैं तो ग्राहक की प्रोपर्टी नीलामी कर दी जाती है। लोन की पहली दो ईएमआई न भरने पर बैंक (bank loan news) की ओर से लोनधारक को रिमाइंडर नोटिस आता है। तीन किस्तें चूकने पर लीगल नोटिस भेजा जाता है।

इसके बाद चौथी किस्त न भरने पर प्रोपर्टी नीलामी का नोटिस (property auction rules) आता है। इस नोटिस की अनदेखी करते हुए 5वीं किस्त भी नहीं भरी जाए तो लोनधारक को लोन डिफॉल्टर घोषित करते हुए उसकी प्रोपर्टी को नीलाम करने की प्रक्रिया (property auction process) शुरू की जाती है। इस नीलामी राशि से बैंक लोन राशि की भरपाई करता है।

लोन डिफॉल्‍टर के ये हैं खास अधिकार-

1. कोई लोनधारक लोन नहीं चुकाता है तो बैंक लोन (bank loan rules) वसूलने के लिए रिकवरी एजेंटों की सहायता ले सकते हैं लेकिन लोन रिकवरी एजेंट (recovery agent rules) लोनधारक को कोई धमकी नहीं दे सकते। रिकवरी एजेंट की ओर से की गई बदसलूकी पर लोनधारक को उसकी शिकायत करने का अधिकार (loan borrower's rights) होता है। यह शिकायत बैंक और बैंकिंग ओंबड्समैन तक भी की जा सकती है।

2. बैंक को किसी की प्रोपर्टी को कब्‍जे (property possession) में लेने के लिए जरूरी प्रक्रिया को फॉलो करना होता है। 90 दिनों तक यानी तीन ईएमआई लगातार कोई लोनधारक (loan holder's rights) नहीं चुकाता है तो ही लोन खाते को नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (NPA) में डाला जाता है।

ऐसा कदम उठाने से पहले बैंक को डिफॉल्टर को 60 दिन का नोटिस जारी करना होता है। इस नोटिस पीरियड में भी लोन राशि जमा नहीं करने पर  बैंक प्रोपर्टी (property news) की नीलामी के लिए कदम उठाते हैं। इसके बावजूद बिक्री के मामले में भी बैंक को 30 दिन का अलग से पब्लिक नोटिस (notice on property auction) देना होता है। 

3. बैंक या वित्तीय संस्थान प्रोपर्टी की बिक्री (property selling tips) से पहले उस प्रोपर्टी का उचित मूल्य बताते हुए लोनधारक या लोन डिफॉल्टर को बताने के लिए नोटिस जारी करना पड़ता है।

इसमें प्रोपर्टी (property news) की सारी डिटेल होती है, इसमें रिजर्व प्राइस, तारीख और नीलामी के समय का भी जिक्र करना जरूरी होता है। अगर लोनधारक (loan holder's rights) को यह कीमत कम लगती है तो तो वह नीलामी को चुनौती भी दे सकता है और रेट को फिर से तय करवा सकता है।

4.  प्रोपर्टी की नीलामी अगर होती ही है तो ग्राहक को इस नीलामी प्रक्रिया पर नजर रखनी चाहिए। प्रोपर्टी नीलामी के बाद बैंक (bank news) को मिली रकम से लोन राशि की वसूली की जाती है। इसके बाद बची अतिरिक्त रकम वापस पाने का अधिकार लोन डिफॉल्टर (loan defaulter's rights) को होता है। यह बाकी रकम बैंक की ओर से लोन डिफॉल्टर को लौटानी ही होगी।