प्लाट या घर खरीदने से पहले जरूर पढ़ लें खबर, आपके साथ भी हो सकता हैं धोखा
HR Breaking News (नई दिल्ली)। Chhattisgarh News: जिला मुख्यालय के अंर्तगत पिछले कुछ वर्षों में अस्तित्व में आए कई रहवासी कॉलोनियों में सुविधाओं का अभाव है। रहवासियों को सड़क, नाली, स्ट्रीट लाइट और पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं ही मुहैया नहीं हो सकी है।
जिला मुख्यालय में नगर पालिका क्षेत्र और इससे लगे ग्राम में पिछले एक से डेढ़ दशक में दर्जनों की संख्या में आवासीय कॉलोनियां अस्तित्व में आए। इनमें कॉलोनाइजर्स ने प्लाट बेचते समय खरीददारों को सुविधाओं के लिए नेताओं की तरह लोक लुभावने वादे जरूर किए, लेकिन समय गुजरने के बाद भी उन सुविधाओं को देने में कोई रूचि नहीं दिखाई। इस बीच प्लाट खरीदने वाले लोगों ने अपनी जमापूंजी लगाकर मकान तैयार कर लिए और निवास भी करना शुरू कर दिए, लेकिन वर्षों बाद भी इन कॉलोनियों की हालात गांवों की गलियों से भी बदतर नजर आ रहे हैं।
एक प्रोजेक्ट के नाम से कॉलोनी के पीछे कॉलोनी बनाने का चल रहा खेल -
इतना ही नहीं कालोनाइजरों के द्वारा विकसित कॉलोनियों के पीछे की जमीनों को लेकर भी कॉलोनी पर कॉलोनी बनाने का खेल भी धड़ल्ले से चल रहा है। कालोजाइनर्स पहले तो किसी एक प्रोजेक्ट का अप्रूवल करा ले रहे हैं और बाद में उसके पीछे कई एकड़ तक घर पर घर तान रहे हैं। इसके लिए न तो किसी तरह की कॉलोनी के नाम पर अप्रूवल लिया जा रहा है और न ही रेरा से पंजीयन।
इधर जिम्मेदार नगरपालिका और टाउन एंड कंट्री प्लान विभाग के अधिकारियों को शिकायतों का इंतजार है। नपा के सीएमओ चंदन शर्मा का कहना है कि वर्तमान में कॉलोजाइनर्स के लिए सिंगल विंडो की सुविधा शुरू हो गई है। नपा से एनओसी सभी दस्तावेज ओके होने पर जारी किया जाता है। अगर बुनियादी सुविधाएं नहीं दे रहे हैं तो रेरा से शिकायत कर सकते हैं। निर्धारित प्रोजेक्ट से ज्यादा एरिया में निर्माण हो रहा है तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
गाइडलाइन में 30 प्रकार की सुविधाएं....
नपा की माने तो निजी कॉलोनी के अंतर्गत बाह्य 21 और आंतरिक 19 प्रकार की बुनियादी सुविधाएं शामिल रहती है। लेकिन शहर में अधिकांश कॉलोनियों में इस गाइडलाइन का पालन तो दूर की बात है, सड़क, नाली तक की समुचित व्यवस्था मुहैया नहीं कराई जा रही है। शहर की सीमा पार गांव अंतर्गत कॉलोनी बस चुकी है। पार्षदों द्वारा वोट बैंक की राजनीति करते हुए वहां के रहवासियों को अपने-अपने वार्डों के शामिल कर लिया। उन कॉलानियों को अपने वार्ड का नाम दिया गया। पार्षदों द्वारा मतदाताओं को साधने के लिए ग्राम पंचायत की जमीन पर भी नगर पालिका प्रशासन द्वारा सीसी रोड़ निर्माण करा दिया गया।
रेरा में पंजीयन जरूरी -
नगरपालिका क्षेत्र की सीमाओं से लगे आउटरों में इन दिनों इस तरह के कॉलोनी और अवैध प्लाटिंग का खेल जोरों से चल रहा है। खेती की जमीनों को टुकड़ों में बांटकर खरीद-फरोख्त का कारोबार यहां तेजी से बढ़ रहा है। रेरा एक्ट 2016 की धारा 3 के तहत प्रदेश में प्रत्येक रियल एस्टेट प्रोजेक्ट का रेरा प्राधिकरण में पंजीयन जरूरी है। बिल्डर्स की नई संपत्ति ग्राहकों को बेचने वाले रियल एस्टेट एजेंट का पंजीयन भी धारा 9 में जरूरी किया गया है।