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cheque bounce case : चेक बाउंस मामले में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, अब ये नोटिस होगा मान्य

cheque bounce : कई कारणों से चेक बाउंस होते ही रहते हैं। चेक बाउंस होने के बाद चेक जारी करने वाले को नोटिस भेजा जाता है। ये नोटिस (cheque bounce notice) भेजने के लिए भी किसी न किसी माध्यम को अपनाना पड़ता है। हाईकोर्ट ने चेक बाउंस के मामले में अहम फैसला सुनाते हुए एक खास तरह के नोटिस को वैध बताया है। आइये जानते हैं कोर्ट के इस फैसले के बारे में।

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cheque bounce case : चेक बाउंस मामले में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, अब ये नोटिस होगा मान्य

HR Breaking News - (cheque bounce decision)। अगर आप चेक से भुगतान करते हैं तो यह खबर आपके लिए बेहद अहम है। हाईकोर्ट का चेक बाउंस (high court decision in cheque bounce ) के मामले में बड़ा फैसला आया है, जिसमें चेक बाउंस होने पर भेजे जाने वाले खास तरह के नोटिस को मान्य करार देते हुए अहम टिप्पणी भी की है।

हाई कोर्ट का यह फैसला बैंकों, बैंक उपभोक्ताओं व चेक लेने और देने वालों के लिए भी जानना बहुत जरूरी है, क्योंकि इस फैसले में चेक बाउंस (cheque bounce reasons) पर नोटिस भेजने के तरीके पर भी खास टिप्पणी की गई है।

हाई कोर्ट ने इस कंफ्यूजन को किया दूर-

अब तक कई लोगों के बीच संशय बना हुआ था कि ईमेल और व्हाट्सएप से भेजा गया नोटिस (cheque bounce notice rules) मान्य नहीं होगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले ने यह कंफ्यूजन दूर कर दी है। कोर्ट के अनुसार चेक बाउंस के मामलों में ईमेल और व्हाट्सएप से नोटिस भेजा जाता है तो इसे अमान्य नहीं कहा जा सकता है।

यह वैध (cheque bounce valid notice) और मान्य होगा, बस वह आईटी एक्ट की धारा 13 में दिए गए प्रावधानों के अनुसार होना चाहिए। अब फोन से व्हाटसएप, ईमेल करके चेक बाउंस का डिमांड नोटिस (demand notice) भेजा जाता है तो वह वैध होगा। 

हाईकोर्ट ने ऐसे नोटिस को दिया वैध करार-

चेक बाउंस का यह मामला राजेंद्र यादव बनाम उत्तर प्रदेश सरकार (UP govt) से जुड़ा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के अनुसार नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट (Negotiable Instruments Act) की धारा 138 इस बात को सही मानती है कि कोई लिखित नोटिस है तो वह मान्य होगा। इस धारा में नोटिस कैसे लिखा या टाइप करके किस माध्यम से भेजा, यह नहीं कहा गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने इस आधार पर चेक बाउंस के मामलों में ईमेल और व्हाट्सएप से भेजे गए नोटिस को वैध व मान्य करार दिया है।


एविडेंस एक्ट की धारा 65 बी का दिया हवाला - 


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चेक बाउंस (how to send cheque bounce notice ) के मामले में नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट व आईटी एक्ट में दिए गए प्रावधानों की पड़ताल करके यह निर्णय सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि आईटी कानून (IT Act) में स्पष्ट किया गया है कि चेक बाउंस के मामले में कोई जानकारी लिखित या टाइप हो और यह इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भेजी जाती है तो इसे सही माना जाएगा, बशर्ते की इसका प्रूफ रखना होगा।

आईटी कानून के सेक्शन 4 और 13 का भी हाईकोर्ट ने इस बात की पुष्टि के लिए हवाला दिया है। इसके अलावा इंडियन एविडेंस एक्ट (Indian Evidence Act) की धारा 65 बी का भी निर्णय सुनाते हुए हवाला दिया। इस धारा में इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड स्वीकार करने की बात कही गई है।


न्यायाधीशों के लिए निर्देश जारी -


इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने इस मामले में उत्तर प्रदेश के न्यायाधाशों के लिए भी निर्देश जारी किए हैं। हाईकोर्ट (HC decision in cheque bounce) ने कहा है कि नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स कानून से जुड़े मामलों की सुनवाई करते समय यह भी ध्यान रखा जाए कि इस एक्ट के तहत जो शिकायत दर्ज की गई है, उसके लिए संबंधित मजिस्ट्रेट या कोर्ट को रजिस्टर्ड पोस्ट के जरिये भेजी गई शिकायत का पूरा ब्योरा रखना होगा।

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