Cheque Bounce Case : चेक बाउंस के मामले में हाईकोर्ट ने कहा- ऐसे मामलों में नहीं बनेगा केस
Cheque Bounce Case : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि जिन बैंकों का किसी अन्य बैंक (bank) में विलय हो चुका है, उनके चेक के अनादर पर एनआई एक्ट की धारा 138 के तहत अपराध नहीं बनेगा। कोर्ट की ओर से आए इस फैसले को विस्तार से जानने के लिए इस खबर को पूरा पढ़ लें-

HR Breaking News, Digital Desk- (Check bounce case) इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि जिन बैंकों का किसी अन्य बैंक (bank) में विलय हो चुका है, उनके चेक के अनादर पर एनआई एक्ट की धारा 138 के तहत अपराध नहीं बनेगा।
इस फैसले का प्रभाव इस बात पर पड़ेगा कि अगर किसी ग्राहक का चेक किसी ऐसे बैंक द्वारा जारी किया गया हो, जो अब अस्तित्व में नहीं है, तो उसके खिलाफ 138 एनआई एक्ट का मुकदमा नहीं चल सकेगा। यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण सिंह देशवाल ने बांदा की अर्चना सिंह गौतम की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया।
याची ने 21 अगस्त 2023 को विपक्षी को एक चेक जारी किया जिसे उसने 25 अगस्त 2023 को बैंक में प्रस्तुत किया। बैंक ने इसे अमान्य करार देते हुए चेक लौटा दिया। जिस पर विपक्षी ने याची के खिलाफ 138 एन आई एक्ट के तहत चेक बाउंस (cheque bounce update) का परिवाद कायम करा दिया। कोर्ट द्वारा जारी समन आदेश को याची ने हाईकोर्ट में चुनौती दी।
कोर्ट ने कहा कि एन आई एक्ट की धारा 138 के अनुसार यदि अमान्य चेक बैंक में प्रस्तुत करने पर बैंक द्वारा अस्वीकार किया जाता है तो धारा 138 का अपराध गठित नहीं होता है। इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक (Indian Bank of Allahabad Bank) में 1 अप्रैल 2020 को विलय हुआ तथा इसके चेक 30 सितंबर 2021 तक मान्य थे। इसके बाद प्रस्तुत किया गया चेक यदि बैंक अमान्य करता है तो चेक बाउंस (Cheque Bounce) का केस नहीं बनता है। कोर्ट 9court) ने कहा कि एन आई एक्ट के अनुसार जारी किया गया चेक वैध होना चाहिए तभी उसके बाउंस होने पर अपराध गठित होता है।